mp-news:-सौ-करोड़-के-करार-मामले-में-fir-निरस्त,-कोर्ट-ने-कहा-कि-सिविल-मामले-को-आपराधिक-बनाकर-दबाव-नहीं-बना-सकते
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मप्र सड़क विकास निगम से हैदराबाद की ट्रांसट्रॉय बायपास टोल्सवे कंपनी लमिटेड कंपनी द्वारा सौ करोड़ रुपये के करार करने के मामले में दर्ज एफआईआर निरस्त कर दी।  भोपाल पुलिस ने कंपनी प्रबंध निदेशक श्रीधर चेरकुरी, लेखाकार कल्याण सुंदर और कंपनी सचिव पल्ला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। आरोप था कि कंपनी ने जनता से वसूली करके बैंक में राशि जमा नहीं की। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि दोनों पक्षों के बीच लिखित अनुबंध हुआ था। यह मामला पूरी तरह सिविल प्रकृति का है। कोर्ट ने कहा कि सिविल मामले को आपराधिक बनाकर पक्षकार पर समझौता करने का दबाव नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी पाया कि अनुबंध 2018 में समाप्त हो चुका है। इसके बावजूद केवल महाधिवक्ता कार्यालय ओपीनियन पर दो साल बाद 2020 में एफआईआर दर्ज की गई। इस मामले में अभी तक चालान भी पेश नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में आवेदकों को बेवजह परेशान नहीं किया जा सकता। आवेदक की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा ने पक्ष रखा।

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मप्र सड़क विकास निगम से हैदराबाद की ट्रांसट्रॉय बायपास टोल्सवे कंपनी लमिटेड कंपनी द्वारा सौ करोड़ रुपये के करार करने के मामले में दर्ज एफआईआर निरस्त कर दी। 

भोपाल पुलिस ने कंपनी प्रबंध निदेशक श्रीधर चेरकुरी, लेखाकार कल्याण सुंदर और कंपनी सचिव पल्ला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। आरोप था कि कंपनी ने जनता से वसूली करके बैंक में राशि जमा नहीं की। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि दोनों पक्षों के बीच लिखित अनुबंध हुआ था। यह मामला पूरी तरह सिविल प्रकृति का है। कोर्ट ने कहा कि सिविल मामले को आपराधिक बनाकर पक्षकार पर समझौता करने का दबाव नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी पाया कि अनुबंध 2018 में समाप्त हो चुका है। इसके बावजूद केवल महाधिवक्ता कार्यालय ओपीनियन पर दो साल बाद 2020 में एफआईआर दर्ज की गई। इस मामले में अभी तक चालान भी पेश नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में आवेदकों को बेवजह परेशान नहीं किया जा सकता। आवेदक की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा ने पक्ष रखा।

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