indore:हुकमचंद-मिल-मजदूरों-को-ब्याज-के-44-करोड़-भुगतान-के-दस्तावेज-प्रस्तुत-करने-के-लिए-कोर्ट-से-मांगा-समय
हुकमचंद मिल - फोटो : amar ujala digital विस्तार Follow Us हुकमचंद मिल मामले हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के एक दिन पहले हुई मंत्री परिषद की बैठक में 44 करोड़ रुपये मजदूरों को ब्याज के रुप में देने का फैसला हो गया। सुनवाई में सरकारी वकील ने फैसले की जानकारी तो दी, लेकिन दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। अब इस मामले में अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। सरकारी वकील ने कोर्ट के समक्ष बताया कि मजदूरों के बकाया 174 करोड़ रुपये हाऊसिंग बोर्ड देगा। बदले में मिल की जमीन पर कोई स्कीम लाई जाएगी। इसके अलावा ब्याज के 44 करोड़ रुपये के भुगतान का प्रस्ताव मंत्री परिषद की बैठक में गुरुवार को स्वीकृत हो गया, लेकिन अभी दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए। दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय चाहिए। कोर्ट ने एक सप्ताह का समय देते हुए सुनवाई की अगली तिथि 13 अक्टूबर तय की। अब अगली सुनवाई पर मंत्री परिषद के फैसले के दस्तावेज प्रस्तुत होंगे। 30 वर्षों से हुकमचंद मिल के मजदूर अपने बकाया की मांग कर रहे है। हाऊसिंग बोर्ड 174 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव रख चुका था, लेकिन मजदूर ब्याज की राशि भी चाहते थे। उनका कहना था कि जब मिल को कर्ज देने वाले दूसरे संस्थानों को ब्याज दिया जा रहा है तो फिर हमें भी मिलना चाहिए। बुधवार रात हुई मंत्री परिषद की बैठक में मजदूरों के बकाया 174 करोड़ रुपये के अलावा ब्याज के 44 करोड़ रुपये का प्रस्ताव स्वीकृत हो गया। इस फैसले से मजदूर भी खुश है। उल्लेखनीय है कि 12 दिसंबर 1991 को मिल बंद होने के बाद से श्रमिक अपने हक का इंतजार कर रहे है। कई श्रमिकों की तो मौत भी हो चुकी है। बंद मिल के परिसर में 30 वर्षों से हर रविवार को मजदूर बैठक करते है और आगे की रणनीति तैयार करते है। 30 वर्ष के संघर्ष के बाद श्रमिकों को राहत मिली। शुक्रवार को कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान बड़ी संख्या में मजदूर कोर्ट पहुंचे थे। अब उन्हें अगली सुनवाई का इंतजार है, ताकि शासन की तरफ से लिखित दस्तावेज प्रस्तुत हो और मजदूरों को भुगतान की प्रक्रिया आगे बढ़ सके।

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हुकमचंद मिल – फोटो : amar ujala digital

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हुकमचंद मिल मामले हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के एक दिन पहले हुई मंत्री परिषद की बैठक में 44 करोड़ रुपये मजदूरों को ब्याज के रुप में देने का फैसला हो गया। सुनवाई में सरकारी वकील ने फैसले की जानकारी तो दी, लेकिन दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। अब इस मामले में अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी।

सरकारी वकील ने कोर्ट के समक्ष बताया कि मजदूरों के बकाया 174 करोड़ रुपये हाऊसिंग बोर्ड देगा। बदले में मिल की जमीन पर कोई स्कीम लाई जाएगी। इसके अलावा ब्याज के 44 करोड़ रुपये के भुगतान का प्रस्ताव मंत्री परिषद की बैठक में गुरुवार को स्वीकृत हो गया, लेकिन अभी दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए। दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय चाहिए। कोर्ट ने एक सप्ताह का समय देते हुए सुनवाई की अगली तिथि 13 अक्टूबर तय की। अब अगली सुनवाई पर मंत्री परिषद के फैसले के दस्तावेज प्रस्तुत होंगे।

30 वर्षों से हुकमचंद मिल के मजदूर अपने बकाया की मांग कर रहे है। हाऊसिंग बोर्ड 174 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव रख चुका था, लेकिन मजदूर ब्याज की राशि भी चाहते थे। उनका कहना था कि जब मिल को कर्ज देने वाले दूसरे संस्थानों को ब्याज दिया जा रहा है तो फिर हमें भी मिलना चाहिए। बुधवार रात हुई मंत्री परिषद की बैठक में मजदूरों के बकाया 174 करोड़ रुपये के अलावा ब्याज के 44 करोड़ रुपये का प्रस्ताव स्वीकृत हो गया। इस फैसले से मजदूर भी खुश है।

उल्लेखनीय है कि 12 दिसंबर 1991 को मिल बंद होने के बाद से श्रमिक अपने हक का इंतजार कर रहे है। कई श्रमिकों की तो मौत भी हो चुकी है। बंद मिल के परिसर में 30 वर्षों से हर रविवार को मजदूर बैठक करते है और आगे की रणनीति तैयार करते है।

30 वर्ष के संघर्ष के बाद श्रमिकों को राहत मिली। शुक्रवार को कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान बड़ी संख्या में मजदूर कोर्ट पहुंचे थे। अब उन्हें अगली सुनवाई का इंतजार है, ताकि शासन की तरफ से लिखित दस्तावेज प्रस्तुत हो और मजदूरों को भुगतान की प्रक्रिया आगे बढ़ सके।

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