सांकेतिक तस्वीर। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us फॉर्म में मानवीय त्रुटि के कारण अयोग्य माने जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जस्टिस जीएस अहलुवालिया की एकलपीठ ने पाया कि त्रुटि से उम्मीदवार को कोई फायदा नहीं हो रहा था, मानवीय त्रुटि क्षम्य योग्य है। एकलपीठ ने पुनः विचार करने के निर्देश केन्द्र गृह विभाग को दिए हैं। याचिकाकर्ता सुधीर कुमार पांडे की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसने केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के लिए आवेदन किया था। आवेदन फॉर्म में उसने गलती से एक कॉलम में गृह जिला रीवा लिख दिया था। वह सीधी जिले का निवासी था और दूसरे कॉलम में उसने अपना गृह जिला सही लिखा था। कटऑफ से अधिक अंक मिलने के बावजूद भी इस त्रृटि के कारण उसे अयोग्य मान लिया गया। एकलपीठ ने माना कि इस त्रुटि से याचिकाकर्ता को कोई फायदा नहीं था और यह एक मानवीय भूल थी। याचिककर्ता को कटऑफ से भी अधिक अंक मिले थे। एकलपीठ ने उपरोक्त भूल को क्षम्य बताते हुए अनावेदकों को पुनः आदेश पारित करने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता एनएस रूपराह ने पैरवी की।  

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सांकेतिक तस्वीर। – फोटो : अमर उजाला

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फॉर्म में मानवीय त्रुटि के कारण अयोग्य माने जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जस्टिस जीएस अहलुवालिया की एकलपीठ ने पाया कि त्रुटि से उम्मीदवार को कोई फायदा नहीं हो रहा था, मानवीय त्रुटि क्षम्य योग्य है। एकलपीठ ने पुनः विचार करने के निर्देश केन्द्र गृह विभाग को दिए हैं।

याचिकाकर्ता सुधीर कुमार पांडे की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसने केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के लिए आवेदन किया था। आवेदन फॉर्म में उसने गलती से एक कॉलम में गृह जिला रीवा लिख दिया था। वह सीधी जिले का निवासी था और दूसरे कॉलम में उसने अपना गृह जिला सही लिखा था। कटऑफ से अधिक अंक मिलने के बावजूद भी इस त्रृटि के कारण उसे अयोग्य मान लिया गया।

एकलपीठ ने माना कि इस त्रुटि से याचिकाकर्ता को कोई फायदा नहीं था और यह एक मानवीय भूल थी। याचिककर्ता को कटऑफ से भी अधिक अंक मिले थे। एकलपीठ ने उपरोक्त भूल को क्षम्य बताते हुए अनावेदकों को पुनः आदेश पारित करने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता एनएस रूपराह ने पैरवी की।
 

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