रतलाम पुलिस ने एप के जरिेए ठगी करने वाले तीन लोगों को हिरासत में लिया है। - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us रतलाम पुलिस ने बहुचर्चित एमटीएफई एप फर्जीवाड़े के मुख्य सरगना हुजैफा जमाली और उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया है। एमटीएफई ऑनलाइन ट्रेडिंग एप के जरिए रतलाम जिले सहित मंदसौर, नीमच और राजस्थान में सैकड़ों निवेशकों के करोड़ों रुपये डूबे हैं। रतलाम के जावरा शहर थाने में शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने इस फर्जी ऑनलाइन ट्रेडिंग एप और चौन नेटवर्किंग के मास्टरमाइंड हुजैफा जमाली को गिरफ्तार कर धोखाधड़ी और पोंजी स्कीम चलाने के मामले में प्रकरण दर्ज कर लिया है।  गौरतलब है कि इस मामले में नीमच पुलिस द्वारा भी हुजैफा जमाली से पूछताछ की गई थी, लेकिन पुलिस ने करोड़ों रुपये के घोटालेबाज को क्लीन चिट दे दी थी। इसके बाद अब निवेशकों द्वारा शिकायत और ज्ञापन दिए जाने के बाद रतलाम पुलिस ने इस मामले पर कार्रवाई करते हुए आरोपी हुजैफा जमाली सहित वाजिद पिता वली मोहम्मद और वसीम पिता मुजम्मत को गिरफ्तार किया है। शिकायतकर्ताओं के अनुसार अकेले रतलाम जिले में ही करीब 50 करोड़ रुपये की ठगी को ऑनलाइन ट्रेडिंग एप और क्रिप्टो करंसी के नाम पर अंजाम दिया गया है।  शिकायत में एमटीएफई, यूटीएफ और टोन लिंक प्रो नामक कंपनियों का जिक्र है, जो लोगों को लाखों और करोड़ों रुपये की चपत लगाकर गायब हो चुकी हैं। रतलाम पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि आरोपी हुजैफा जमाली इस क्षेत्र में सबसे पहले ऑनलाइन ट्रेडिंग एप के जरिए रुपये कमाने की फर्जी स्कीम लेकर आया। उसने और उसके साथियों ने सेमिनार आयोजित कर लोगों को कम समय में अधिक रुपये कमाने का लालच देकर लोगों से निवेश करवाया। इस स्कीम में लोगों को कंपनी के पोर्टल पर उनके रुपये डॉलर में कन्वर्ट कर कई गुना बड़ी हुई राशि दिखाई जाती थी। जिससे लालच में आकर लोगों ने अपने मिलने-जुलने वालों और रिश्तेदारों का भी निवेश इस फर्जी ट्रेडिंग कंपनी में करवाया।  सितंबर में इस कंपनी के रफूचक्कर हो जाने के बाद अपने रुपये गवां चुके लोगों ने शिकायत की, जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आया है। पीड़ित लोगों की मानें तो रतलाम, मंदसौर, नीमच और राजस्थान के बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ क्षेत्र में करीब 100 करोड़ रुपये का निवेश इस फर्जी ट्रेडिंग एप पर करवाया गया था। बीते दिनों रतलाम में एक इलेक्ट्रॉनिक व्यापारी द्वारा की गई सुसाइड के मामले को भी इस फर्जी ऑनलाइन ट्रेडिंग एप से जुड़ा होना बताया जा रहा है। ऐसे बनाते हैं शिकार शेयर ट्रेडिंग, करेंसी ट्रेडिंग, क्रिप्टोकरंसी और एमसीएस में रुचि रखने वाले लोगों के डाटा की जानकारी मिलते ही सोशल मीडिया पर इन लोगों को ऑनलाइन ट्रेडिंग एप के विज्ञापन और ऑफर मिलना शुरू हो जाते हैं। इन विज्ञापनों में अधिक रुपये कमाने का लालच दिया जाता है। रजिस्टर करने वाले ग्राहक को अन्य ग्राहक जोड़ने पर आकर्षक इंसेंटिव का भी लालच दिया जाता है। वहीं ऑनलाइन पेड टिप देने के नाम पर भी सैकड़ों लोगों को इस जाल में फंसाया जाता है। खास बात यह है कि क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज और फॉरेन स्टॉक एक्सचेंज के नाम पर यह कंपनियां अपना ही अलग ट्रेडिंग मार्केट संचालित करती हैं। जिसे ऊपर और नीचे ले जाने का कंट्रोल इन्हीं के हाथ में होता है। नए जुड़े ग्राहकों को शुरुआती दौर में फायदा पहुंचाया जाता है जिसके बाद उनसे बड़ा इन्वेस्टमेंट करवाया जाता है। इसके बाद ऐसी कई कंपनियां रातों-रात गायब हो जाती हैं।  

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रतलाम पुलिस ने एप के जरिेए ठगी करने वाले तीन लोगों को हिरासत में लिया है। – फोटो : सोशल मीडिया

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रतलाम पुलिस ने बहुचर्चित एमटीएफई एप फर्जीवाड़े के मुख्य सरगना हुजैफा जमाली और उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया है। एमटीएफई ऑनलाइन ट्रेडिंग एप के जरिए रतलाम जिले सहित मंदसौर, नीमच और राजस्थान में सैकड़ों निवेशकों के करोड़ों रुपये डूबे हैं। रतलाम के जावरा शहर थाने में शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने इस फर्जी ऑनलाइन ट्रेडिंग एप और चौन नेटवर्किंग के मास्टरमाइंड हुजैफा जमाली को गिरफ्तार कर धोखाधड़ी और पोंजी स्कीम चलाने के मामले में प्रकरण दर्ज कर लिया है। 

गौरतलब है कि इस मामले में नीमच पुलिस द्वारा भी हुजैफा जमाली से पूछताछ की गई थी, लेकिन पुलिस ने करोड़ों रुपये के घोटालेबाज को क्लीन चिट दे दी थी। इसके बाद अब निवेशकों द्वारा शिकायत और ज्ञापन दिए जाने के बाद रतलाम पुलिस ने इस मामले पर कार्रवाई करते हुए आरोपी हुजैफा जमाली सहित वाजिद पिता वली मोहम्मद और वसीम पिता मुजम्मत को गिरफ्तार किया है। शिकायतकर्ताओं के अनुसार अकेले रतलाम जिले में ही करीब 50 करोड़ रुपये की ठगी को ऑनलाइन ट्रेडिंग एप और क्रिप्टो करंसी के नाम पर अंजाम दिया गया है। 

शिकायत में एमटीएफई, यूटीएफ और टोन लिंक प्रो नामक कंपनियों का जिक्र है, जो लोगों को लाखों और करोड़ों रुपये की चपत लगाकर गायब हो चुकी हैं। रतलाम पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि आरोपी हुजैफा जमाली इस क्षेत्र में सबसे पहले ऑनलाइन ट्रेडिंग एप के जरिए रुपये कमाने की फर्जी स्कीम लेकर आया। उसने और उसके साथियों ने सेमिनार आयोजित कर लोगों को कम समय में अधिक रुपये कमाने का लालच देकर लोगों से निवेश करवाया। इस स्कीम में लोगों को कंपनी के पोर्टल पर उनके रुपये डॉलर में कन्वर्ट कर कई गुना बड़ी हुई राशि दिखाई जाती थी। जिससे लालच में आकर लोगों ने अपने मिलने-जुलने वालों और रिश्तेदारों का भी निवेश इस फर्जी ट्रेडिंग कंपनी में करवाया। 

सितंबर में इस कंपनी के रफूचक्कर हो जाने के बाद अपने रुपये गवां चुके लोगों ने शिकायत की, जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आया है। पीड़ित लोगों की मानें तो रतलाम, मंदसौर, नीमच और राजस्थान के बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ क्षेत्र में करीब 100 करोड़ रुपये का निवेश इस फर्जी ट्रेडिंग एप पर करवाया गया था। बीते दिनों रतलाम में एक इलेक्ट्रॉनिक व्यापारी द्वारा की गई सुसाइड के मामले को भी इस फर्जी ऑनलाइन ट्रेडिंग एप से जुड़ा होना बताया जा रहा है।

ऐसे बनाते हैं शिकार
शेयर ट्रेडिंग, करेंसी ट्रेडिंग, क्रिप्टोकरंसी और एमसीएस में रुचि रखने वाले लोगों के डाटा की जानकारी मिलते ही सोशल मीडिया पर इन लोगों को ऑनलाइन ट्रेडिंग एप के विज्ञापन और ऑफर मिलना शुरू हो जाते हैं। इन विज्ञापनों में अधिक रुपये कमाने का लालच दिया जाता है। रजिस्टर करने वाले ग्राहक को अन्य ग्राहक जोड़ने पर आकर्षक इंसेंटिव का भी लालच दिया जाता है। वहीं ऑनलाइन पेड टिप देने के नाम पर भी सैकड़ों लोगों को इस जाल में फंसाया जाता है। खास बात यह है कि क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज और फॉरेन स्टॉक एक्सचेंज के नाम पर यह कंपनियां अपना ही अलग ट्रेडिंग मार्केट संचालित करती हैं। जिसे ऊपर और नीचे ले जाने का कंट्रोल इन्हीं के हाथ में होता है। नए जुड़े ग्राहकों को शुरुआती दौर में फायदा पहुंचाया जाता है जिसके बाद उनसे बड़ा इन्वेस्टमेंट करवाया जाता है। इसके बाद ऐसी कई कंपनियां रातों-रात गायब हो जाती हैं।
 

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