नई दिल्ली : चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर लैंडर विक्रम के सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब प्राइवेट स्पेसक्रॉफ्ट के क्षेत्र में होड़ मचने की संभावना अधिक नजर आ रही है. अभी तक तो अमेरिका, चीन और रूस समेत दुनिया के शक्तिशाली देश निजी हित को साधने के लिए चांद पर पहुंचे हैं या पहुंचने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया के पहला और चांद की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश बन गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि बुधवाार की शाम 5.44 मिनट के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम के सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हुई, उसके पहले से ही न केवल दुनिया भर के वैज्ञानिकों की नजर इसरो की गतिविधियों और टीवी स्क्रीन पर टिकी हुई थीं, बल्कि स्पेस टूरिज्म शुरू करने वाले दुनिया तमाम अरबपति कारोबारी भी बेसब्री से भारत की सफलता पर निगाहें टिकाए हुए थे. इसका कारण यह था कि भारत ने अपने चंद्र अभियान के तहत न केवल चांद की सतह पर कदम रखने में कामयाबी हासिल की है, बल्कि स्पेस टूरिज्म पर नजर गड़ाकर बैठे उद्योगपतियों को भी उद्वेलित कर दिया है. संभावना यह भी जाहिर की जा रही है कि भविष्य में भारत दुनिया भर में एक अंतरिक्ष पावर के तौर पर उभरकर सामने आएगा और अब सौरमंडल की सीमाओं के सामर्थ्य को परखेगा.

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नई दिल्ली : चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर लैंडर विक्रम के सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब प्राइवेट स्पेसक्रॉफ्ट के क्षेत्र में होड़ मचने की संभावना अधिक नजर आ रही है. अभी तक तो अमेरिका, चीन और रूस समेत दुनिया के शक्तिशाली देश निजी हित को साधने के लिए चांद पर पहुंचे हैं या पहुंचने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया के पहला और चांद की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश बन गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि बुधवाार की शाम 5.44 मिनट के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम के सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हुई, उसके पहले से ही न केवल दुनिया भर के वैज्ञानिकों की नजर इसरो की गतिविधियों और टीवी स्क्रीन पर टिकी हुई थीं, बल्कि स्पेस टूरिज्म शुरू करने वाले दुनिया तमाम अरबपति कारोबारी भी बेसब्री से भारत की सफलता पर निगाहें टिकाए हुए थे. इसका कारण यह था कि भारत ने अपने चंद्र अभियान के तहत न केवल चांद की सतह पर कदम रखने में कामयाबी हासिल की है, बल्कि स्पेस टूरिज्म पर नजर गड़ाकर बैठे उद्योगपतियों को भी उद्वेलित कर दिया है. संभावना यह भी जाहिर की जा रही है कि भविष्य में भारत दुनिया भर में एक अंतरिक्ष पावर के तौर पर उभरकर सामने आएगा और अब सौरमंडल की सीमाओं के सामर्थ्य को परखेगा.