सुन-लो-सरकार!-फीस-बकाया-होने-का-दर्द-झेल-रही-बच्ची,-घर-से-पैदल-आई-और-गुरुजी-ने-धूप-में-खड़ा-किया,-जानें-मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मंदसौर Published by: अरविंद कुमार Updated Sat, 19 Aug 2023 10: 49 AM IST लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें आज कल शिक्षा जैसा पवित्र कार्य व्यापार बन गया है, जहां एक ओर स्कूल ड्रेस, कापी किताबें एक ही दुकान से खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर किया जाता है। वहीं, किसी छात्र या छात्रा की स्कूल फीस बकाया हो तो उसके भाई बहन को भी स्कूल में बैठने नहीं दिया जाता है।  फीस बकाया होने का दर्द झेल रही बच्ची - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्यप्रदेश के वित्त एवं वाणिज्यकर मंत्री जगदीश देवड़ा के विधानसभा क्षेत्र के ग्राम झारड़ा से एक मामला सामने आया है। यहां अन्नुपूरा रोड पर संचालित शारदा विद्या निकेतन स्कूल है। जहां बड़ी बहन की स्कूल फीस बकाया होने के चलते अनिवार्य शिक्षा के तहत पढ़ने वाली छोटी बहन को तीन दिन से स्कूल में नहीं बैठने दिया जा रहा। छात्रा अनिता पंवार कक्षा छह में पढ़ती है। छात्रा का कहना है कि तीन दिन से स्कूल बस में भी नहीं बैठाया जा रहा है। किशनगढ़ से पैदल चलकर स्कूल जा रही है। स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। स्कूल के हाल में भी नहीं बैठने दिया और स्कूल के बाहर ही खड़ी रही। इस संबंध में छात्र के पिता चांदमल पंवार ने विभागीय अधिकारी को अवगत कराया, जिस पर विभाग की ओर से स्कूल को नोटिस जारी किया गया है। वहीं, इस मामले में जब स्कूल डायरेक्टर रोहित पाटीदार से सम्पर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। जनपद शिक्षा केंद्र ने किया नोटिस जारी मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्यालय जनपद शिक्षा केन्द्र मल्हारगढ़ कार्यालय द्वारा स्कूल को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उल्लेख किया गया कि निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (C) के अंतर्गत कमजोर एवं वंचित समूह के बच्चों के निःशुल्क प्रवेश के प्रावधान के तहत लाटरी के माध्यम से छात्रा कुमारी अनीता पिता चांदमल पवार आपकी संस्था में प्रवेशित है। पालक की शिकायत के अनुसार, छात्रा को कक्षा में नहीं बैठाया जा रहा है, जिससे छात्रा की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिकायत के संदर्भ में मेरे द्वारा संचालक रोहित पाटीदार से मोबाइल पर जानकारी लेने पर भी छात्रा को कक्षा में नहीं बिठाया जाएगा बताया गया। बता दें कि निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (C) के अंतर्गत कमजोर एवं दचित समूह के बच्चों के निःशुल्क प्रवेश के प्रावधान का उल्लंघन है। क्यों न आपकी शाला की मान्यता समाप्ति हेतु वरिष्ठ कार्यालय को लिखा जाए। इस संबंध में अपना स्पष्ट प्रति उत्तर तीन दिवस में समक्ष में उपस्थित होकर देना सुनिश्चित करें। समय सीमा में उत्तर न देने की स्थिति में वैधानिक कार्रवाई का समस्त उत्तरदायित्व आपका रहेगा।  मुकेश प्रजापति, संकुल प्राचार्य शाउमा विद्यालय झारड़ा ने कहा कि छात्रा को निकालना गलत है। छात्रा निःशुल्क आरटीई में है तो पढ़ेगी, मेरी चर्चा हुई है। वहीं पालक ने कहा, मेरी बच्ची को स्कूल में आरटीई के तहत निःशुल्क प्रवेश दिया गया था, जिसको स्कूल में नहीं आने दिया जा रहा है। बच्ची बस से आती है, जिसका किराया मैं देने को तैयार हूं। पैसे लेकर आया था, स्कूल संचालक ने नहीं लिए और मेरी बेटी को स्कूल में आने नहीं दे रहे हैं। मेरी बेटी गांव किशनगढ़ से पैदल चलकर आती है और तेज धूप में खड़ी रखते हैं स्कूल के बाहर। अनीता पवार, छात्रा कक्षा छह टी ने कहा, पहले में स्कूल बस में आती थी, अब मुझे स्कूल बस में नहीं बिठाया जाता है। मैं मेरे गांव किशनगढ़ से पैदल चलकर स्कूल में आती हूं, मुझे स्कूल के अंदर नहीं आने दिया जाता है। गेट पर ही रोक दिया गया और धूप में खड़ी रही मुझे कहीं बैठने नहीं दिया गया। मैं नीचे वर्ग में आती हूं, इसलिए मेरे को टॉर्चर किया जा रहा है। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मंदसौर Published by: अरविंद कुमार Updated Sat, 19 Aug 2023 10: 49 AM IST

लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें

आज कल शिक्षा जैसा पवित्र कार्य व्यापार बन गया है, जहां एक ओर स्कूल ड्रेस, कापी किताबें एक ही दुकान से खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर किया जाता है। वहीं, किसी छात्र या छात्रा की स्कूल फीस बकाया हो तो उसके भाई बहन को भी स्कूल में बैठने नहीं दिया जाता है।  फीस बकाया होने का दर्द झेल रही बच्ची – फोटो : अमर उजाला

विस्तार Follow Us

मध्यप्रदेश के वित्त एवं वाणिज्यकर मंत्री जगदीश देवड़ा के विधानसभा क्षेत्र के ग्राम झारड़ा से एक मामला सामने आया है। यहां अन्नुपूरा रोड पर संचालित शारदा विद्या निकेतन स्कूल है। जहां बड़ी बहन की स्कूल फीस बकाया होने के चलते अनिवार्य शिक्षा के तहत पढ़ने वाली छोटी बहन को तीन दिन से स्कूल में नहीं बैठने दिया जा रहा। छात्रा अनिता पंवार कक्षा छह में पढ़ती है।

छात्रा का कहना है कि तीन दिन से स्कूल बस में भी नहीं बैठाया जा रहा है। किशनगढ़ से पैदल चलकर स्कूल जा रही है। स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। स्कूल के हाल में भी नहीं बैठने दिया और स्कूल के बाहर ही खड़ी रही। इस संबंध में छात्र के पिता चांदमल पंवार ने विभागीय अधिकारी को अवगत कराया, जिस पर विभाग की ओर से स्कूल को नोटिस जारी किया गया है। वहीं, इस मामले में जब स्कूल डायरेक्टर रोहित पाटीदार से सम्पर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

जनपद शिक्षा केंद्र ने किया नोटिस जारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्यालय जनपद शिक्षा केन्द्र मल्हारगढ़ कार्यालय द्वारा स्कूल को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उल्लेख किया गया कि निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (C) के अंतर्गत कमजोर एवं वंचित समूह के बच्चों के निःशुल्क प्रवेश के प्रावधान के तहत लाटरी के माध्यम से छात्रा कुमारी अनीता पिता चांदमल पवार आपकी संस्था में प्रवेशित है। पालक की शिकायत के अनुसार, छात्रा को कक्षा में नहीं बैठाया जा रहा है, जिससे छात्रा की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिकायत के संदर्भ में मेरे द्वारा संचालक रोहित पाटीदार से मोबाइल पर जानकारी लेने पर भी छात्रा को कक्षा में नहीं बिठाया जाएगा बताया गया।

बता दें कि निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (C) के अंतर्गत कमजोर एवं दचित समूह के बच्चों के निःशुल्क प्रवेश के प्रावधान का उल्लंघन है। क्यों न आपकी शाला की मान्यता समाप्ति हेतु वरिष्ठ कार्यालय को लिखा जाए। इस संबंध में अपना स्पष्ट प्रति उत्तर तीन दिवस में समक्ष में उपस्थित होकर देना सुनिश्चित करें। समय सीमा में उत्तर न देने की स्थिति में वैधानिक कार्रवाई का समस्त उत्तरदायित्व आपका रहेगा।  मुकेश प्रजापति, संकुल प्राचार्य शाउमा विद्यालय झारड़ा ने कहा कि छात्रा को निकालना गलत है। छात्रा निःशुल्क आरटीई में है तो पढ़ेगी, मेरी चर्चा हुई है।

वहीं पालक ने कहा, मेरी बच्ची को स्कूल में आरटीई के तहत निःशुल्क प्रवेश दिया गया था, जिसको स्कूल में नहीं आने दिया जा रहा है। बच्ची बस से आती है, जिसका किराया मैं देने को तैयार हूं। पैसे लेकर आया था, स्कूल संचालक ने नहीं लिए और मेरी बेटी को स्कूल में आने नहीं दे रहे हैं। मेरी बेटी गांव किशनगढ़ से पैदल चलकर आती है और तेज धूप में खड़ी रखते हैं स्कूल के बाहर।

अनीता पवार, छात्रा कक्षा छह टी ने कहा, पहले में स्कूल बस में आती थी, अब मुझे स्कूल बस में नहीं बिठाया जाता है। मैं मेरे गांव किशनगढ़ से पैदल चलकर स्कूल में आती हूं, मुझे स्कूल के अंदर नहीं आने दिया जाता है। गेट पर ही रोक दिया गया और धूप में खड़ी रही मुझे कहीं बैठने नहीं दिया गया। मैं नीचे वर्ग में आती हूं, इसलिए मेरे को टॉर्चर किया जा रहा है।

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