फाइल फोटो – फोटो : सोशल मीडिया
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मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को एक और मादा चीता टिबलिसी की मौत की खबर सामने आई है।इस समय मादा चीता की मौत के कारणों का खुलासा नहीं हो सका है। कुछ ही दिनों में श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में छह चीते और तीन शावकों की जान जा चुकी हैं।
कूनो नेशनल पार्क की ओर जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि वहां रखे गए सभी 14 चीते (सात नर एवं छह मादा एवं एक मादा शावक) स्वस्थ हैं। उनका स्वास्थ्य परीक्षण कूनो के वन्यप्राणी चिकित्सक टीम एवं नामीबियाई विशेषज्ञ कर रहे हैं। बाड़ों के बाहर घूम ही दो मादा चीतों को नामीबियाई विशेषज्ञ एवं कूनो वन्यप्राणी चिकित्सक एवं प्रबंधन टीम लगातार फॉलो कर रही थी। उनकी हेल्थ चेकअप के लिए उन्हें फिर से बोमा (बाड़े) में लाने के लगातार प्रयास किए जा रहे थे। इन दोनों में से बुधवार सुबह एक मादा चीता – धात्री (टिबलिसी) मृत पाई गई है। मृत्यु के कारणों का पता लगाने हेतु पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है। कूनो नेशनल पार्क में पिछले चार महीने में नौ चीतों की मौत हो चुकी है। इसमें छह चीते और तीन शावक शामिल हैं। अब कूनो नेशनल पार्क में 14 चीते और एक शावक बचा है।
खटाई में पड़ सकती है चीता परियोजना
देश में 1952 के बाद से विलुप्त हुए चीतों को फिर से बसाने के उद्देश्य के साथ मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 91 करोड़ रुपये से ज्यादा के बजट से चीतों को बसाने की कोशिश की गई है। कूनो में चीता शावकों के जन्म के बाद इस परियोजना को सफलता मिलती दिखाई दी थी, लेकिन बीते चार महीनों से लगातार एक-एक कर हो रही चीतों की मौत से अब चीता प्रोजेक्ट खटाई में पड़ता दिखाई दे रहा है।
गले में घाव के चलते बीते दिनों हुई थी सूरज की मौत
कूनो नेशनल पार्क में बीते जुलाई में एक मेल चीते सूरज की कॉलर आई में संक्रमण की वजह से मौत हो गई थी। जांच रिपोर्ट में चीते सूरज के गले में घाव और घाव में कीड़े होने की बात सामने आई थी। वहीं, सूरज से पहले जुलाई में ही नर चीता तेजस की मौत हुई थी। कूनो में लगातार हो रही चीतों की मौत से सरकार और वन विभाग चितिंत है।
कमलनाथ ने जताई चीतों की मौत पर चिंता
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मृत्यु का समाचार आया है। जब से प्रधानमंत्री ने चीतों को यहां छोड़ा है, तब से अब तक नौ चीतों की मौत हो चुकी है। सरकार लगातार इस बात पर अड़ी हुई है कि वह अन्य किसी जगह पर चीतों को नहीं बसाएगी। बेगुनाह वन्य प्राणियों को अपने राजहठ की भेंट चढ़ाना अत्यंत निंदनीय कृत्य है।
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