court-news:-छठवें-वेतनमान-के-लिए-दायर-की-याचिका-को-हटा-दिया-सेवा-से,-हाईकोर्ट-ने-नोटिस-जारी-कर-मांगा-जवाब
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर - फोटो : Social Media विस्तार Follow Us छठवें वेतनमान की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने सेवा से निष्कासित किए जाने का नोटिस थामा दिया। निष्कासन किए जाने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस एमएस भटटी की एकलपीठ ने अनावेदकों को हमदस्त नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई सात अगस्त को निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ता वर्षा दुबे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह साल 2006 से पांच दशकों से संचालित डीएन जैन महाविद्यालय में अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद पर पदस्थ हैं और उनकी शैक्षणिक योग्यता पीएचडी है। अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद पर पदस्थ होने के बावजूद भी उनका वेतन महज दस हजार पांच सौ रुपये है। छठवें वेतनमान के लिए उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका दायर करने के 15 दिन बाद ही कॉलेज प्रबंधन ने एक महीने की अवधि प्रदान करने हुए निष्कासन की नोटिस प्रदान कर दिया। नोटिस में कारण बताया गया कि वह सांइस की अस्सिटेंट प्रोफेसर हैं और कॉलेज में इस विषय के छात्र बहुत कम हैं। याचिका में प्रमुख सचिव तथा आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय तथा डीएनएन कॉलेज प्रबंधन तथा प्राचार्य को अनावेदक बनाया गया है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की।

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छठवें वेतनमान की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने सेवा से निष्कासित किए जाने का नोटिस थामा दिया। निष्कासन किए जाने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस एमएस भटटी की एकलपीठ ने अनावेदकों को हमदस्त नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई सात अगस्त को निर्धारित की गई है।

याचिकाकर्ता वर्षा दुबे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह साल 2006 से पांच दशकों से संचालित डीएन जैन महाविद्यालय में अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद पर पदस्थ हैं और उनकी शैक्षणिक योग्यता पीएचडी है। अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद पर पदस्थ होने के बावजूद भी उनका वेतन महज दस हजार पांच सौ रुपये है। छठवें वेतनमान के लिए उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिका दायर करने के 15 दिन बाद ही कॉलेज प्रबंधन ने एक महीने की अवधि प्रदान करने हुए निष्कासन की नोटिस प्रदान कर दिया। नोटिस में कारण बताया गया कि वह सांइस की अस्सिटेंट प्रोफेसर हैं और कॉलेज में इस विषय के छात्र बहुत कम हैं। याचिका में प्रमुख सचिव तथा आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय तथा डीएनएन कॉलेज प्रबंधन तथा प्राचार्य को अनावेदक बनाया गया है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की।

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