न्यूज डेस्क, अमर उजाला, छिंदवाड़ा Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Wed, 02 Aug 2023 09: 40 AM IST
छिंदवाड़ा जिले में सोमवार को एक ऐसे शिक्षक का रिटायरमेंट हुआ जिन्होंने अपनी सेवा के 41 साल एक ही स्कूल में गुजार दिए। जब उनकी विदाई हुई तो हर आंख नम हो गई। लोगों ने उन्हें भावुक होकर विदाई दी। आपको शायद यह सुनकर आश्चर्य होगा लेकिन छिंदवाड़ा विकासखंड के ग्राम नेर के प्राथमिक स्कूल में पदस्थ शिक्षक श्रीकांत असराठी ने शिक्षा जगत में एक ऐसी ही मिसाल कायम की जो हर किसी के लिए प्रेरणास्पद रहेगी। दरअसल शिक्षक रहते हुए 41 साल एक महीने का लम्बा कार्यकाल उन्होंने एक ही स्कूल में बिता दिया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। सोमवार को उनकी शैक्षणिक सेवा पूर्ण हुई तो पूरा गांव उनकी विदाई में भावुक होकर शामिल हुआ।
2 जुलाई 1982 को प्राथमिक टीचर के रूप में ली थी जॉइनिंग
श्रीकांत अश्राठी ने 41 साल पहले 2 जुलाई 1982 को नेर गांव के प्राथमिक स्कूल में शिक्षक की नौकरी ज्वाइन की थी। 10 से 20 बच्चों को घर से बुला-बुलाकर पढ़ाने का सिलसिला उन्होंने प्रारंभ किया। शुरू में उन्हें बहुत परेशानी हुई बाद में धीरे-धीरे स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या बढ़ने लगी। एक अलग तरीके से अपने सरल व्यवहार के कारण वह सभी बच्चों के लिए पसंदीदा शिक्षक बन गए।
सर्दी हो या बरसात सुबह पहुंच जाते थे स्कूल
उनको विदाई देने के लिए पहुंचे उनके पूर्व छात्र जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष अश्वनी रघुवंशी ने उनके संस्मरण को याद करते हुए बताया कि श्रीकांत असराठी समय के बहुत पाबंद रहे हैं, चाहे बारिश का समय हो या सर्दी का सुबह 7: 00 बजे से पहले वही स्कूल पहुंच जाते थे। कोई बच्चा स्कूल नहीं आता तो उसे घर जाकर स्कूल लेकर आते थे, उनकी इस कर्तव्य निष्ठा का परिणाम था कि उनके पढ़ाए हुए कई बच्चे आज राजनीति सामाजिक विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम रोशन कर रहे हैं।
25 स्कूलों के टीचर विदाई देने पहुंचे, छलक पड़े आंसू
असराठी सर की विदाई की जानकारी लगते ही सिर्फ गांव के लोग ही नहीं बल्कि जन शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाले 25 स्कूलों के प्रधान पाठक और शिक्षक उनकी विदाई समारोह में पहुंचे थे, कार्यक्रम में सेवानिवृत्त शिक्षक कृष्ण कुमार घोगरे, घनराज रघुवंशी, लेखराम रघुवंशी, सुंदर लाल चौधरी, प्रकाश सोनी उपसरपंच अमित रघुवंशी मुकेश रघुवंशी मुख्य रूप से मौजूद रहे जिन्होंने असराठी सर के 41 साल की सेवा के लिए उन्हें सम्मानित किया।
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