mp-high-court:-हाईकोर्ट-ने-कहा-न्यायालय-तथा-अधिकरणों-को-न्यायिक-कार्य-करने-से-नहीं-रोक-सकते
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर - फोटो : Social Media विस्तार Follow Us खुद के द्वारा वक्फ ट्रिब्यूनल में दायर याचिका पर कोई आदेश नहीं दिए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने फटकार लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि न्यायालय तथा अधिकरण को न्यायायिक कार्य करने से नहीं रोका जा सकता है। याचिकाकर्ता मोहम्मद मकसूद की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि वह वक्त इंतजामिया कमेटी निपनिया कब्रिस्तान रीवा का अध्यक्ष था। उसे हटाकर निसार मोहम्मद की अध्यक्षता में नई कमेटी गठित कर दी। नई कमेटी को निरस्त करते तथा उसके कार्य में हस्ताक्षेप नहीं करने की मांग करते हुए उसने वक्फ ट्रिव्यूनल में याचिका दायर की थी, जो लंबित है। याचिकाकर्ता की तरफ से राहत चाही गई थी कि वक्फ ट्रिव्यूनल लंबित याचिका में उसके खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं करे। एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल ने कोई आदेश पारित नहीं किया है। न्यायालय व अधिकरणों को न्यायिक कार्य करने से नहीं रोका जा सकता है। याचिका की सुनवाई के दौरान आपत्तिकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शीतला प्रदास त्रिपाठी तथा अधिवक्ता सुशील त्रिपाठी ने पैरवी की।

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खुद के द्वारा वक्फ ट्रिब्यूनल में दायर याचिका पर कोई आदेश नहीं दिए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने फटकार लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि न्यायालय तथा अधिकरण को न्यायायिक कार्य करने से नहीं रोका जा सकता है।

याचिकाकर्ता मोहम्मद मकसूद की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि वह वक्त इंतजामिया कमेटी निपनिया कब्रिस्तान रीवा का अध्यक्ष था। उसे हटाकर निसार मोहम्मद की अध्यक्षता में नई कमेटी गठित कर दी। नई कमेटी को निरस्त करते तथा उसके कार्य में हस्ताक्षेप नहीं करने की मांग करते हुए उसने वक्फ ट्रिव्यूनल में याचिका दायर की थी, जो लंबित है।

याचिकाकर्ता की तरफ से राहत चाही गई थी कि वक्फ ट्रिव्यूनल लंबित याचिका में उसके खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं करे। एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल ने कोई आदेश पारित नहीं किया है। न्यायालय व अधिकरणों को न्यायिक कार्य करने से नहीं रोका जा सकता है। याचिका की सुनवाई के दौरान आपत्तिकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शीतला प्रदास त्रिपाठी तथा अधिवक्ता सुशील त्रिपाठी ने पैरवी की।

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