mp-news:-संरक्षित-वन-से-202-गांवों-को-बाहर-किया,-ग्रामीणों-के-सहयोग-से-सुरक्षा-बढ़ाई,-नतीजतन-बढ़ा-बाघों-का-कुनबा
प्रदेश लगातार दूसरी बार बना टाइगर स्टेट - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us विश्व बाघ दिवस पर मध्य प्रदेश के लिए अच्छी खबर आई है। एनटीसीए ने शनिवार को बाघों के आंकड़े जारी किए। इसमें मध्य प्रदेश लगातार दूसरी बार टाइगर स्टेट का बन गया है। प्रदेश में 785 बाघ हैं। प्रदेश में लगातार टाइगर स्टेट का तमगा बरकरार रखने पीछे की वजह वन विभाग का अच्छा मैनेजमेंट और बाघ के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों को जमीन पर उतारना है। प्रदेश के जंगलों में बाघों को सुरक्षित क्षेत्र उपलब्ध कराने के लिए सरकार और वन विभाग ने अभियान चलाया। इसमें सबसे पहले 202 गांवों को बाघों के लिए संरक्षित क्षेत्र से बाहर किया गया। इससे प्रोडक्टिव लैंड ग्रास लैंड में परिवर्तित हुई। इससे शाकाहारी प्राणियों की संख्या बढ़ने से बाघों को भी आसानी से शिकार उपलब्ध हुए। बाघों की सुरक्षा के लिए मॉनीटरिंग सिस्टम को बेहतर किया गया। पीसीसीएफ वन्य प्राणी असीम श्रीवास्तव ने बताया कि एम स्ट्राइब मोबाइल एप से पेट्रोलिंग की मॉनीटरिंग की गई। साथ ही इसमें सामने आने वाली कमियों को दूर किया गया। श्रीवास्तव ने बताया कि अवैध शिकार को रोकने और बाघों की सुरक्षा के लिए लगातार कदम उठाए गए। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स का गठन किया गया। इसका दायरा बढ़ाया गया। अपराधियों को पकड़कर सजा दिलाने का काम किया गया। ग्रामीणों के साथ वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए मिलकर काम किया गया। वहीं, जगल में विकास के कार्यों से वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए ब्रिज का निर्माण किया गया। प्रदेश की 1850 बीट में मिली बाघों की उपस्थिति मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ बांधवगढ़ में है। इस इलाके में 165 बाघों की मौजूदगी मिली है। यहां पर 2018 में 124 बाघ थे। बता दें प्रदेश में 2014 में 700 बीट में बाघों की उपस्थिति थी, जो 2018 में बढ़कर 1400 बीट हो गई थी। अब 2022 में यह 1850 बीट में बाघों की उपस्थिति मिली है। टाइगर रिजर्व के अलावा घने जंगलों में भी बाघ की मौजूदगी मिली। यहां पर बाघों ने अपनी टेरिटरी बनाई है। दरअसल यहां पर पर्याप्त भोजन-पानी और सुरक्षित रहवास क्षेत्र बाघों को मिला है। इन क्षेत्रों में दो सौ ज्यादा बाघों की मौजूदगी मिली है। भोपाल के जंगलों में भी बाघों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। ऐसे की गई बाघों की जनगणना बता दें इससे पहले अप्रैल 2023 में बाघों के 3167 संख्या बताई गई थी। उस समय बाघों के ट्रैप के आंकड़े जारी किए गए। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघों की जनगणना और मॉनीटरिंग के लिए एम स्ट्राइब मोबाइल एप का उपयोग किया गया। इसके अलावा बाघ संभावित क्षेत्रों में पांच हजार से ज्यादा ट्रैप कैमरे लगाए गए। इसके लिए कर्मचारियों ने जंगल में ट्रांजिट लाइन खींचकर वन्य प्राणियों की गिनती की। सीएम शिवराज बोले- एमपी आज टाइगर स्टेट, तेंदुआ स्टेट, घड़ियाल स्टेट और वल्चर स्टेट इंटरनेशनल टाइगर डे पर भोपाल स्थित कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समुदाय के सहयोग से मध्य प्रदेश इस गौरव को हासिल कर पाया। कई बार ऐसी घटना हो जाती है, जिसमें इंसान और वन्य प्राणी में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उन्होंने कहा कि कई जगह बाघ और वन्यप्राणी समाप्ति की तरफ हैं, जो दुखद है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को यह समझना होगा कि वन्यप्राणियों के बिना हमारा अस्तित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि चीतों को फिर हम अपने देश में बसाने के प्रयास कर रहे है। हमें यकीन है कि हम इसमें सफल होंगे। मध्य प्रदेश आज टाइगर स्टेट, तेंदुआ स्टेट, घड़ियाल स्टेट और वल्चर स्टेट भी है। कार्यक्रम में संरक्षित क्षेत्र/वनमंडल से प्राप्त उत्कृष्ट कार्य करने वाले शासकीय सेवकों को सम्मानित किया गया। टाइगर स्टेट से चुनौती भी बढ़ेगी- अजय दुबे  वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा कि देशभर में टाइगर बढ़ने की खुशी अब एनटीसीए और टाइगर रेंज स्टेट्स की जिम्मेदारी भी बढ़ाएगी। इसमें चिंता की बात यह है कि टाइगर की संख्या बढ़ने के साथ ही उनके आवास की जगह कम होना है। कई जगह जंगल में अतिक्रमण और विकास के नाम पर खत्म हो रहे है। वहीं, चुनौती यह है कि बाघों के शिकार, उनका आपस और मानव के साथ संघर्ष को रोकना होगा। दुबे ने कहा कि एमपी बाघों के शिकार को रोकने और सुरक्षा के लिए स्टेट लेवल पर वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो बनाना होगा। स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स बनाने और रातापानी अभ्यारण को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए भी सरकार कार्रवाई करें। साथ ही टाइगर कॉरीडोर को सुरक्षित करने की पहल की जाए।  

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प्रदेश लगातार दूसरी बार बना टाइगर स्टेट – फोटो : अमर उजाला

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विश्व बाघ दिवस पर मध्य प्रदेश के लिए अच्छी खबर आई है। एनटीसीए ने शनिवार को बाघों के आंकड़े जारी किए। इसमें मध्य प्रदेश लगातार दूसरी बार टाइगर स्टेट का बन गया है। प्रदेश में 785 बाघ हैं। प्रदेश में लगातार टाइगर स्टेट का तमगा बरकरार रखने पीछे की वजह वन विभाग का अच्छा मैनेजमेंट और बाघ के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों को जमीन पर उतारना है।

प्रदेश के जंगलों में बाघों को सुरक्षित क्षेत्र उपलब्ध कराने के लिए सरकार और वन विभाग ने अभियान चलाया। इसमें सबसे पहले 202 गांवों को बाघों के लिए संरक्षित क्षेत्र से बाहर किया गया। इससे प्रोडक्टिव लैंड ग्रास लैंड में परिवर्तित हुई। इससे शाकाहारी प्राणियों की संख्या बढ़ने से बाघों को भी आसानी से शिकार उपलब्ध हुए। बाघों की सुरक्षा के लिए मॉनीटरिंग सिस्टम को बेहतर किया गया। पीसीसीएफ वन्य प्राणी असीम श्रीवास्तव ने बताया कि एम स्ट्राइब मोबाइल एप से पेट्रोलिंग की मॉनीटरिंग की गई। साथ ही इसमें सामने आने वाली कमियों को दूर किया गया। श्रीवास्तव ने बताया कि अवैध शिकार को रोकने और बाघों की सुरक्षा के लिए लगातार कदम उठाए गए। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स का गठन किया गया। इसका दायरा बढ़ाया गया। अपराधियों को पकड़कर सजा दिलाने का काम किया गया। ग्रामीणों के साथ वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए मिलकर काम किया गया। वहीं, जगल में विकास के कार्यों से वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए ब्रिज का निर्माण किया गया।

प्रदेश की 1850 बीट में मिली बाघों की उपस्थिति
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ बांधवगढ़ में है। इस इलाके में 165 बाघों की मौजूदगी मिली है। यहां पर 2018 में 124 बाघ थे। बता दें प्रदेश में 2014 में 700 बीट में बाघों की उपस्थिति थी, जो 2018 में बढ़कर 1400 बीट हो गई थी। अब 2022 में यह 1850 बीट में बाघों की उपस्थिति मिली है। टाइगर रिजर्व के अलावा घने जंगलों में भी बाघ की मौजूदगी मिली। यहां पर बाघों ने अपनी टेरिटरी बनाई है। दरअसल यहां पर पर्याप्त भोजन-पानी और सुरक्षित रहवास क्षेत्र बाघों को मिला है। इन क्षेत्रों में दो सौ ज्यादा बाघों की मौजूदगी मिली है। भोपाल के जंगलों में भी बाघों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।

ऐसे की गई बाघों की जनगणना
बता दें इससे पहले अप्रैल 2023 में बाघों के 3167 संख्या बताई गई थी। उस समय बाघों के ट्रैप के आंकड़े जारी किए गए। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघों की जनगणना और मॉनीटरिंग के लिए एम स्ट्राइब मोबाइल एप का उपयोग किया गया। इसके अलावा बाघ संभावित क्षेत्रों में पांच हजार से ज्यादा ट्रैप कैमरे लगाए गए। इसके लिए कर्मचारियों ने जंगल में ट्रांजिट लाइन खींचकर वन्य प्राणियों की गिनती की।

सीएम शिवराज बोले- एमपी आज टाइगर स्टेट, तेंदुआ स्टेट, घड़ियाल स्टेट और वल्चर स्टेट
इंटरनेशनल टाइगर डे पर भोपाल स्थित कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समुदाय के सहयोग से मध्य प्रदेश इस गौरव को हासिल कर पाया। कई बार ऐसी घटना हो जाती है, जिसमें इंसान और वन्य प्राणी में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उन्होंने कहा कि कई जगह बाघ और वन्यप्राणी समाप्ति की तरफ हैं, जो दुखद है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को यह समझना होगा कि वन्यप्राणियों के बिना हमारा अस्तित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि चीतों को फिर हम अपने देश में बसाने के प्रयास कर रहे है। हमें यकीन है कि हम इसमें सफल होंगे। मध्य प्रदेश आज टाइगर स्टेट, तेंदुआ स्टेट, घड़ियाल स्टेट और वल्चर स्टेट भी है। कार्यक्रम में संरक्षित क्षेत्र/वनमंडल से प्राप्त उत्कृष्ट कार्य करने वाले शासकीय सेवकों को सम्मानित किया गया।

टाइगर स्टेट से चुनौती भी बढ़ेगी- अजय दुबे 
वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा कि देशभर में टाइगर बढ़ने की खुशी अब एनटीसीए और टाइगर रेंज स्टेट्स की जिम्मेदारी भी बढ़ाएगी। इसमें चिंता की बात यह है कि टाइगर की संख्या बढ़ने के साथ ही उनके आवास की जगह कम होना है। कई जगह जंगल में अतिक्रमण और विकास के नाम पर खत्म हो रहे है। वहीं, चुनौती यह है कि बाघों के शिकार, उनका आपस और मानव के साथ संघर्ष को रोकना होगा। दुबे ने कहा कि एमपी बाघों के शिकार को रोकने और सुरक्षा के लिए स्टेट लेवल पर वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो बनाना होगा। स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स बनाने और रातापानी अभ्यारण को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए भी सरकार कार्रवाई करें। साथ ही टाइगर कॉरीडोर को सुरक्षित करने की पहल की जाए।  

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