दुनिया-के-75-फीसदी-बाघ-भारत-में-मौजूद,-प्रोजेक्ट-टाइगर-से-मिल-रहा-संरक्षण,-बढ़-रही-है-संख्या
बेहद जरूरी है बाघों का संरक्षण गौरतलब है कि वन्यजीव स्थलों में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप, वन्यजीवों के सिकुड़ते ठिकानों के साथ-साथ कई वनक्षेत्र की खराब होती गुणवत्ता के बीच बाघों का संरक्षण बेहद अहम हो गया है. बता दें, बाघ हमारे पारिस्थितिकी तंत्र व संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है. हालांकि, बड़ी बात यह है कि एक तरफ जहां दुनिया के कई देशों में बाघों की संख्या में गिरावट हो रही है. वहीं, भारत में इसकी संख्या में जबर्दस्त वृद्धि हो रही है. दुनियाभर में जितने बाघ हैं, उनमें से 75 फीसदी भारत में हैं. गौरतलब है कि बाघों की संख्या का आंकड़ा हर हर चाल साल के अंतराल पर जारी किया जाता है. 50 साल पहले 1973 में शुरू हुए प्रोजेक्ट टाइगर के कारण इस संख्या को बढ़ाने में काफी मदद मिली है. जिस समय यह परियोजना शुरू हुई, उस वक्त बाघों की संख्या महज 268 थी. पिछले 50 सालों में इस योजना का विस्तार हुआ है. वन्यजीव संरक्षणवादी प्रेरणा बिंद्राका कहना है कि हमारे जनसंख्या घनत्व व अन्य दबावों के बावजूद, बाघों के संरक्षण की यह उपलब्धि आसान नहीं है.

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बेहद जरूरी है बाघों का संरक्षण

गौरतलब है कि वन्यजीव स्थलों में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप, वन्यजीवों के सिकुड़ते ठिकानों के साथ-साथ कई वनक्षेत्र की खराब होती गुणवत्ता के बीच बाघों का संरक्षण बेहद अहम हो गया है. बता दें, बाघ हमारे पारिस्थितिकी तंत्र व संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है. हालांकि, बड़ी बात यह है कि एक तरफ जहां दुनिया के कई देशों में बाघों की संख्या में गिरावट हो रही है. वहीं, भारत में इसकी संख्या में जबर्दस्त वृद्धि हो रही है. दुनियाभर में जितने बाघ हैं, उनमें से 75 फीसदी भारत में हैं. गौरतलब है कि बाघों की संख्या का आंकड़ा हर हर चाल साल के अंतराल पर जारी किया जाता है. 50 साल पहले 1973 में शुरू हुए प्रोजेक्ट टाइगर के कारण इस संख्या को बढ़ाने में काफी मदद मिली है. जिस समय यह परियोजना शुरू हुई, उस वक्त बाघों की संख्या महज 268 थी. पिछले 50 सालों में इस योजना का विस्तार हुआ है. वन्यजीव संरक्षणवादी प्रेरणा बिंद्राका कहना है कि हमारे जनसंख्या घनत्व व अन्य दबावों के बावजूद, बाघों के संरक्षण की यह उपलब्धि आसान नहीं है.