कुकी और मैतेई में विवाद का क्या है कारण
कुकी और नगा पारंपरिक रूप से एक-दूसरे का विरोध करते आये हैं. हालांकि जब मामला मैतेई के खिलाफ आती है, तो दोनों समुदाय के लोग एकजुट हो जाते हैं और यही कारण है कि मैतेई समुदाय को दोनों से भिड़ना होता है. शुरुआत दिनों की बात करें, तो कुकी को मणिपुर की पहाड़ियों में मैतेई राजाओं ने ही बसाया था. ताकि वे इंफाल घाटी में मैतेई और घाटी पर आक्रमण करने वाले नागाओं के बीच एक बफर के रूप में काम कर सकें. 1993 में, मणिपुर में भयंकर नागा-कुकी हिंसा देखी गई जिसमें सौ से अधिक कुकी नगाओं द्वारा मारे गए. वर्तमान में मैतेई और कुकी के बीच संघर्ष की वजह आरक्षण है. पहाड़ियों में रहने वाले कुकी समुदाय सरकार की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल हैं, लेकिन मैतेई नहीं हैं. इसलिए मैतेई समुदाय के लोग लंबे समय से अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. दूसरी ओर कुकी और नगा का आरोप है कि विकास के रूप में अधिकांश मैतेई समुदाय को मिलता है. विवाद तब और बढ़ गयी, जब मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव भेजने को कहा था. कुकी और नगा मैतेई को एसटी का दर्जा देने के खिलाफ. उनका मानना है कि अगर मैतेई को एसटी का दर्जा मिल गया, तो जरूरत से ज्यादा नौकरियां और लाभ हासिल कर लेंगे.
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