पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर इस समय सुर्ख़ियों में है वो भी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए नहीं बल्कि हिंसा की वजह से…यहां मई से जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में 27 जुलाई को दो समूहों के बीच गोलीबारी हुई. बताया जा रहा है कि राज्य की राजधानी से करीब 50 किलोमीटर दूर यहां फौबाकचाओ इखाई में हुई गोलीबारी के दौरान एक घर को भी जला दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि दो पक्षों के बीच गोलीबारी में शामिल भीड़ को खदेड़ने के लिए पुलिसकर्मियों को हल्के बल का प्रयोग करना पड़ा. हमले के दौरान तेरा खोंगसांगबी के समीप स्थित घर में आग लगा दी गयी. हालांकि घटना में कोई हताहत नहीं हुआ. मणिपुर में करीब तीन महीने पहले कुकी और मेइती समुदाय के बीच जातीय हिंसा भड़की थी और तब से इसमें 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं.
मणिपुर की पहाड़ियां इस प्रदेश की सुंदरता में चार चांद लगा देतीं हैं. नगालैंड, मिजोरम, असम के साथ-साथ पड़ोसी मुल्क म्यांमार से घिरी इन पहाड़ियों पर मणिपुर की 40 फीसदी आबादी बसी है, जो यहां की मान्यता प्राप्त जनजातियां है. इस सुंदर प्रदेश में हिंसा जारी है जो रुकने का नाम नहीं ले रही है. हाल में महिलाओं का एक वीडियो वायरल हुआ जिसके बाद तनाव और ज्यादा बढ़ गया है. आइए नजर डालते हैं इस सुंदर मणिपुर पर….
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मणिपुर का शाब्दिक अर्थ होता है आभूषणों की भूमि
अब बात करते हैं मणिपुर में ऐसा क्या है जो उसे पूर्वोतर के अन्य राज्यों से अलग बनाता है. तो आपको बता दें कि मणिपुर का शाब्दिक अर्थ होता है आभूषणों की भूमि…मणिपुर की चार प्रमुख नदियां कुंड और घाटी की तरह हैं. पश्चिम की ओर बराक नदी जिसे बरॉक घाटी भी कहते हैं. मध्य मणिपुर में मणिपुर नदी, पूर्व में यू नदी और उत्तर में लैन्ये नदी…बराक नदी की बात करें तो ये मणिपुर की सबसे लंबी नदी है और ये पहाड़ियों से निकलती है. इसके बाद ये कई सहायक नदियों से मिलती है-जैसे इरांग माकु और तुवई से…यही वो नदी है जो असम राज्य की सीमा भी बनाती है.
भौगोलिक दृष्टि से कैसा है मणिपुर
भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो मणिपुर दो भागों में बंटा हुआ है. पर्वतीय और मैदानी भाग….मणिपुर पूर्व में म्यांमार जबकि उत्तर में नागालैंड से सटा हुआ है. वहीं पश्चिम में असम और मिजोरम हैं जबकि दक्षिण में म्यांमार और मिजोरम से घिरा हुआ है. यह राज्य चारो ओर से घिरी पहाड़ियों के बीच घाटी में हैं. पहाड़ियों उत्तर में ऊंची हैं जबकि ये दक्षिण में कम होते-होते समाप्त हो जाती है.
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अठारवीं सदी में बौद्ध धर्म था बड़ा मजबूत
म्यांमार से सटे होने के कारण मणिपुर में वहां का असर दिखाई देता है. अठारवीं सदी में यहां बौद्ध धर्म बड़ा मजबूत नजर आता था. लेकिन आज मणिपुर के लोगों को लगता है कि भारतीय परंपरा के साथ उनका संबंध सहज स्वभाविक नहीं है. यदि अंग्रेजों ने मणिपुर को जीता ना होता तो उसे भारत के एक भाग के रूप में स्वीकार करने में देर लगती.
मणिपुर में हैं 16 जिले
मणिपुर में 16 जिले हैं. 2016 तक, प्रदेश में केवल 9 जिले थे. इनके नाम है… थौबल, इम्फाल पूर्व, इम्फाल पश्चिम, बिष्णुपुर, उखरुल, सेनापति, तामेंगलोंग और चंदेल. इसके बाद, 2016 में राज्य में प्रशासनिक मामलों को आसान बनाने के लिए राज्य मंत्रिमंडल द्वारा 7 नये मणिपुर जिले जोड़े गये. कैबिनेट द्वारा 2016 में जोड़े गये मणिपुर के नये जिले कामजोंग, काकचिनफ, जिरीबाम, नोनी, टेंगनौपाल, कांगपोकपी और फेरज़ॉल हैं. इन जिलों को बनाने के लिए मणिपुर के मौजूदा पहाड़ी जिलों को विभाजित किया गया था.
कैसे विभाजित हुए जिले 2016 में
-चुराचांदपुर जिले को फ़िरज़ावल और चुराचांदपुर में विभाजित किया गया था.
-तामेंगलोंग जिले को नोनी और तामेंगलोंग जिलों में विभाजित किया गया था़
-मणिपुर के सेनापति जिले को कांगपोकपी और सेनापति जिलों में विभाजित किया गया था.
-उखरुल जिले को कामजोंग और उखरुल जिलों में विभाजित किया गया था.
-चंदेल जिले को टेंग्नौपाल और चंदेल जिलों में विभाजित किया गया था.
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मणिपुर में सबसे बड़े और सबसे छोटे जिले कौन से हैं?
क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए तो मणिपुर का सबसे बड़ा जिला चुराचांदपुर है, जिसका क्षेत्रफल 4570 वर्ग किलोमीटर है. वहीं, मणिपुर का सबसे छोटा जिला बिष्णुपुर है, जिसका क्षेत्रफल केवल 496 वर्ग किलोमीटर है.
मैतेई और कुकी समुदाय के बीच तनाव
इन दिनों मणिपुर में हिंसा जारी है. मई महीने में इंफाल घाटी में स्थित मैतेई और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच हिंसा भड़क उठी थी. मैतेई मणिपुर में प्रमुख जातीय समूह है और कुकी सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है. दोनों में जो संघर्ष शुरू हुआ था वो थमने का नाम नहीं ले रहा है. मणिपुर की भूमि इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के तौर पर बंटी हुई है. इंफाल घाटी मैतेई बहुल हैं. मैतई जाति के लोग हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. वहीं पहाड़ी जिलों में नागा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व देखा जाता है.
क्यों हो रहा है दो समुदाय में संघर्ष
आपको बता दें कि कुकी जातीय समूह में कई जनजातियां शामिल हैं. मणिपुर में मुख्य रूप से पहाड़ियों में रहने वाली विभिन्न कुकी जनजातियां वर्तमान में मणिपुर की कुल आबादी का 30 फीसद हैं. कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने का विरोध करती आयी है. इन जनजातियों का मानना है कि यदि मैती समुदाय को आरक्षण मिल जाता है तो वे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले से वंचित हो जाएंगे.
क्यों जला मणिपुर
मणिपुर में हालात पर नजर रखने वाली विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों की मानें तो हिंसा को बड़े पैमाने पर अफवाहों और फर्जी खबरों के कारण बढ़ावा मिला जिसकी वजह से मणिपुर के हालात खराब हो गये. कांगपोकपी जिले में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने से संबंधित चार मई की घृणित घटना उन यौन हमलों में से एक थी जो पॉलीथिन में लिपटे एक शव की तस्वीर के सोशल मीडिया पर आने और इसके साथ यह झूठा दावा किये जाने के बाद हुए कि पीड़िता की चुराचांदपुर में आदिवासियों द्वारा हत्या कर दी गयी.
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