damoh:-बेटे-की-अस्थियां-पाने-भटक-रहा-पिता,-dna-मैच-न-होने-से-पुलिस-ने-देने-से-किया-इनकार,-जानिए-क्या-है-मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Wed, 26 Jul 2023 02: 00 PM IST लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें दमोह जिले के पिथरिया में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां एक पिता अपने बेटे की अस्थियां पाने के लिए पुलिस के चक्कर लगाने के लिए मजबूर है, वहीं पुलिस DNA मैच न होने के चलते पिता को उसके बेटे की अस्थियां देने से इनकार कर रही है। बेटे की अस्थियां पाने भटक रहा पिता - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us दमोह जिले के पथरिया थाना के पिपरिया छक्का गांव निवासी लक्ष्मण पटेल अपने बेटे की अस्थियां लेने पुलिस थाने के चक्कर लगा रहा है, लेकिन उसे अस्थियां नहीं मिल पा रहीं, क्योंकि बेटे के कंकाल का डीएनए मैच नहीं हुआ और उसी वजह से पिता बेटे की अस्थियां विसर्जित नहीं कर पा रहा। पिता ने बताया कि 14 मई को गांव के तालाब के पास एक कंकाल मिला था। इस पर जो कपड़े मिले, वह मैंने ही अपने बेटे को दिलाए थे। जिस दिन वह लापता हुआ, उस दिन उसने वही कपड़े पहन रखे थे। पिता लक्ष्मण तभी से बेटे की अस्थियां लेने की जद्दोजहद कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमें अस्थियां मिल जाएं तो बेटे का कर्मकांड कर दें। वहीं, दमोह एसपी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि गांव में एक बालक लापता हो गया था। उसका पता नहीं चल सका है। उसी गांव में 14 मई को एक कंकाल मिला। फरियादी लक्ष्मण पटेल ने यह कंकाल उनके बेटे के होने का दावा किया था। डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आई। बाद में पता चला कि बालक का जन्म आईवीएफ से हुआ था। इसके दस्तावेज मांगे थे, जो उनके पास नहीं थे। अभी जांच की जा रही है। लापता होने के 74 दिन बाद मिला कंकाल लक्ष्मण पटेल का कहना है कि मेरा 14 साल का बेटा जयराज सेंट जॉस स्कूल में कक्षा 10वीं में पढ़ता था। वह 28 मार्च को गांव में ही घूमने गया था। फिर नहीं लौटा। मैंने और मेरी पत्नी यशोदा ने अपने स्तर पर बेटे को ढूंढने के काफी प्रयास किए। उसकी तलाश में दिन-रात एक कर दिए। बेटे को ढूंढकर लाने वाले को पहले ढाई लाख रुपये का इनाम देने की बात कही। फिर इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया था। बेटे के लापता होने के बाद 14 मई को गांव में बकरियां चराने गए लड़कों को तालाब से कुछ दूर बदबू आई। पास जाकर देखा तो मिट्टी में एक मानव अवशेष दबा था। इसकी सूचना पुलिस को दी। जिसके बाद वहां से एक कंकाल बरामद किया गया। लोगों के कहने पर हम वहां गए। हड्डियों के पास जो कपड़े और सामान मिला वो मेरे बेटे जयराज का ही है। यह कपड़े मैं और मेरी पत्नी अच्छे से पहचानते हैं। ये कपड़े हमने ही उसे दिलाए थे। सौतेले भाई से चल रहा था जमीन का विवाद मां यशोदा ने बताया कि कंकाल के पास जो पेंट, टी-शर्ट और बेल्ट मिला था, उससे हमने बेटे की पहचान की थी। पति के सौतेले भाई से चार साल से हमारा जमीन विवाद चल रहा था। हमारे बच्चे नहीं हो रहे थे, तो हमने उन्हें साथ रखा था। फिर हम इंदौर चले गए वहां बेटे का जन्म हुआ, इसके बाद से वे विवाद करने लगे। उन्हें मकान चाहिए था, जमीन की चाह थी। वे लगातार धमकी दे रहे थे। हम यह सोचते रहे कि वे मारेंगे तो हमें मारेंगे। बेटे को मार देंगे, यह तो हमने सोचा ही नहीं था। अब बेटे की अस्थियों के लिए भटक रहे हैं, ताकि उसका अंतिम संस्कार कर सकें। शादी के चार साल तक नहीं हुई थी संतान किसान लक्ष्मण पटेल ने बताया- मेरी शादी 2004 में यशोदा से हुई थी। चार साल बाद भी संतान नहीं हुई, तो हम इंदौर इलाज कराने पहुंचे। यहां आईवीएफ का पता चला तो एक अस्पताल में उपचार शुरू करा दिया। 2009 में आईवीएफ ट्रीटमेंट कराया। नौ माह बाद पत्नी यशोदा ने बेटे जयराज को जन्म दिया। IVF के जरिए हुआ था बेटे का जन्म कंकाल मिलने के बाद पुलिस ने मस्तिष्क की हड्डी, बालों के सैंपल लेकर डीएनए जांच के लिए भेजे। रिपोर्ट में माता-पिता के डीएनए से जयराज का डीएनए मैच नहीं हुआ। इसके बाद दंपती ने पुलिस को बताया कि यह बच्चा आईवीएफ ट्रीटमेंट के जरिए पैदा हुआ था, इसलिए  मैच नहीं हो पाया। डीएनए मैच नहीं होने से पुलिस ने उन्हें माता-पिता नहीं मानते हुए बेटे की अस्थियां देने से मना कर दिया। ऐसे में आईवीएफ करने वाले अस्पताल की मदद से स्पर्म और एग्ज दान करने वालों के डीएनए की जांच होगी। इसके बाद ही वे बेटे की अस्थियां विसर्जित कर पाएंगे। मामले को लेकर दमोह देहात थाना प्रभारी सत्येंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि परिजन से आईवीएफ से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं। कुछ दस्तावेज उन्होंने उपलब्ध करा दिए हैं, जिसके आधार पर पुलिस जांच करने के लिए इंदौर जाएगी। डीएनए मैच नहीं होने से कंकाल जयराज का ही है, यह कैसे मान लें। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Wed, 26 Jul 2023 02: 00 PM IST

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दमोह जिले के पिथरिया में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां एक पिता अपने बेटे की अस्थियां पाने के लिए पुलिस के चक्कर लगाने के लिए मजबूर है, वहीं पुलिस DNA मैच न होने के चलते पिता को उसके बेटे की अस्थियां देने से इनकार कर रही है। बेटे की अस्थियां पाने भटक रहा पिता – फोटो : अमर उजाला

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दमोह जिले के पथरिया थाना के पिपरिया छक्का गांव निवासी लक्ष्मण पटेल अपने बेटे की अस्थियां लेने पुलिस थाने के चक्कर लगा रहा है, लेकिन उसे अस्थियां नहीं मिल पा रहीं, क्योंकि बेटे के कंकाल का डीएनए मैच नहीं हुआ और उसी वजह से पिता बेटे की अस्थियां विसर्जित नहीं कर पा रहा। पिता ने बताया कि 14 मई को गांव के तालाब के पास एक कंकाल मिला था। इस पर जो कपड़े मिले, वह मैंने ही अपने बेटे को दिलाए थे। जिस दिन वह लापता हुआ, उस दिन उसने वही कपड़े पहन रखे थे। पिता लक्ष्मण तभी से बेटे की अस्थियां लेने की जद्दोजहद कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमें अस्थियां मिल जाएं तो बेटे का कर्मकांड कर दें। वहीं, दमोह एसपी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि गांव में एक बालक लापता हो गया था। उसका पता नहीं चल सका है। उसी गांव में 14 मई को एक कंकाल मिला। फरियादी लक्ष्मण पटेल ने यह कंकाल उनके बेटे के होने का दावा किया था। डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आई। बाद में पता चला कि बालक का जन्म आईवीएफ से हुआ था। इसके दस्तावेज मांगे थे, जो उनके पास नहीं थे। अभी जांच की जा रही है।

लापता होने के 74 दिन बाद मिला कंकाल
लक्ष्मण पटेल का कहना है कि मेरा 14 साल का बेटा जयराज सेंट जॉस स्कूल में कक्षा 10वीं में पढ़ता था। वह 28 मार्च को गांव में ही घूमने गया था। फिर नहीं लौटा। मैंने और मेरी पत्नी यशोदा ने अपने स्तर पर बेटे को ढूंढने के काफी प्रयास किए। उसकी तलाश में दिन-रात एक कर दिए। बेटे को ढूंढकर लाने वाले को पहले ढाई लाख रुपये का इनाम देने की बात कही। फिर इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया था।

बेटे के लापता होने के बाद 14 मई को गांव में बकरियां चराने गए लड़कों को तालाब से कुछ दूर बदबू आई। पास जाकर देखा तो मिट्टी में एक मानव अवशेष दबा था। इसकी सूचना पुलिस को दी। जिसके बाद वहां से एक कंकाल बरामद किया गया। लोगों के कहने पर हम वहां गए। हड्डियों के पास जो कपड़े और सामान मिला वो मेरे बेटे जयराज का ही है। यह कपड़े मैं और मेरी पत्नी अच्छे से पहचानते हैं। ये कपड़े हमने ही उसे दिलाए थे।

सौतेले भाई से चल रहा था जमीन का विवाद
मां यशोदा ने बताया कि कंकाल के पास जो पेंट, टी-शर्ट और बेल्ट मिला था, उससे हमने बेटे की पहचान की थी। पति के सौतेले भाई से चार साल से हमारा जमीन विवाद चल रहा था। हमारे बच्चे नहीं हो रहे थे, तो हमने उन्हें साथ रखा था। फिर हम इंदौर चले गए वहां बेटे का जन्म हुआ, इसके बाद से वे विवाद करने लगे। उन्हें मकान चाहिए था, जमीन की चाह थी। वे लगातार धमकी दे रहे थे। हम यह सोचते रहे कि वे मारेंगे तो हमें मारेंगे। बेटे को मार देंगे, यह तो हमने सोचा ही नहीं था। अब बेटे की अस्थियों के लिए भटक रहे हैं, ताकि उसका अंतिम संस्कार कर सकें।

शादी के चार साल तक नहीं हुई थी संतान
किसान लक्ष्मण पटेल ने बताया- मेरी शादी 2004 में यशोदा से हुई थी। चार साल बाद भी संतान नहीं हुई, तो हम इंदौर इलाज कराने पहुंचे। यहां आईवीएफ का पता चला तो एक अस्पताल में उपचार शुरू करा दिया। 2009 में आईवीएफ ट्रीटमेंट कराया। नौ माह बाद पत्नी यशोदा ने बेटे जयराज को जन्म दिया।

IVF के जरिए हुआ था बेटे का जन्म
कंकाल मिलने के बाद पुलिस ने मस्तिष्क की हड्डी, बालों के सैंपल लेकर डीएनए जांच के लिए भेजे। रिपोर्ट में माता-पिता के डीएनए से जयराज का डीएनए मैच नहीं हुआ। इसके बाद दंपती ने पुलिस को बताया कि यह बच्चा आईवीएफ ट्रीटमेंट के जरिए पैदा हुआ था, इसलिए  मैच नहीं हो पाया। डीएनए मैच नहीं होने से पुलिस ने उन्हें माता-पिता नहीं मानते हुए बेटे की अस्थियां देने से मना कर दिया। ऐसे में आईवीएफ करने वाले अस्पताल की मदद से स्पर्म और एग्ज दान करने वालों के डीएनए की जांच होगी। इसके बाद ही वे बेटे की अस्थियां विसर्जित कर पाएंगे।

मामले को लेकर दमोह देहात थाना प्रभारी सत्येंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि परिजन से आईवीएफ से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं। कुछ दस्तावेज उन्होंने उपलब्ध करा दिए हैं, जिसके आधार पर पुलिस जांच करने के लिए इंदौर जाएगी। डीएनए मैच नहीं होने से कंकाल जयराज का ही है, यह कैसे मान लें।

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