jabalpur:-पन्ना-टाइगर-रिजर्व-के-डिप्टी-डायरेक्ट-के-खिलाफ-वारंट-जारी,-पूर्व-आदेश-का-पालन-न-होने-पर-हाईकोर्ट-सख्त
MP हाईकोर्ट - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व आदेश का अक्षरश: पालन न होने के मामले को काफी संजीदगी से लिया है। जस्टिस संजय द्धिवेदी की एकलपीठ ने मामले में पन्ना टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर के खिलाफ 10 हजार रुपये का जमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें 17 अगस्त को होने वाली आगामी सुनवाई में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। दरअसल शिवदयाल नापित की ओर से दायर मामले में कहा गया था कि वह 1984 से वायरलेस ऑपरेटर के पद पर कार्यरत् थे, जिन्हें बिना सूचना के पद से हटा दिया गया था। जिस पर श्रम न्यायालय ने सेवा समाप्ति के आदेश को अवैधानिक घोषित करते हुए बिना पिछले वेतन के सेवा में पुनर्स्थापित किए जाने का आदेश अक्टूबर 2008 में दिया था। उक्त आदेश के नौ साल बाद डिप्टी डायरेक्टर ने सेवा में उसे पुनर्स्र्थापित किया। जिसके बाद आवेदक ने नियमितिकरण का आवेदन दिया, जिसे खारिज कर दिया गया, जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई थी। हाईकोर्ट ने डिप्टी डायरेक्टर के आदेश को निरस्त करते हुए 60 दिन के भीतर स्पीकिंग आदेश जारी करने के निर्देश दिये थे, लेकिन उक्त आदेश का पालन नहीं किया गया। जिस पर यह अवमानना का मामला दायर किया गया। जिस पर न्यायालय ने पूर्व में शोकॉज नोटिस जारी किये थे। अनावेदकों ने अपने जवाब में तारीख बदलकर कम्पाइल रिपोर्ट पेश की थी, जिसके बाद न्यायालय ने अंतिम मौका दिया था, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ। जिस पर न्यायालय ने जमानती वारंट जारी किया है। 

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व आदेश का अक्षरश: पालन न होने के मामले को काफी संजीदगी से लिया है। जस्टिस संजय द्धिवेदी की एकलपीठ ने मामले में पन्ना टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर के खिलाफ 10 हजार रुपये का जमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें 17 अगस्त को होने वाली आगामी सुनवाई में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। दरअसल शिवदयाल नापित की ओर से दायर मामले में कहा गया था कि वह 1984 से वायरलेस ऑपरेटर के पद पर कार्यरत् थे, जिन्हें बिना सूचना के पद से हटा दिया गया था। जिस पर श्रम न्यायालय ने सेवा समाप्ति के आदेश को अवैधानिक घोषित करते हुए बिना पिछले वेतन के सेवा में पुनर्स्थापित किए जाने का आदेश अक्टूबर 2008 में दिया था। उक्त आदेश के नौ साल बाद डिप्टी डायरेक्टर ने सेवा में उसे पुनर्स्र्थापित किया। जिसके बाद आवेदक ने नियमितिकरण का आवेदन दिया, जिसे खारिज कर दिया गया, जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई थी।

हाईकोर्ट ने डिप्टी डायरेक्टर के आदेश को निरस्त करते हुए 60 दिन के भीतर स्पीकिंग आदेश जारी करने के निर्देश दिये थे, लेकिन उक्त आदेश का पालन नहीं किया गया। जिस पर यह अवमानना का मामला दायर किया गया। जिस पर न्यायालय ने पूर्व में शोकॉज नोटिस जारी किये थे। अनावेदकों ने अपने जवाब में तारीख बदलकर कम्पाइल रिपोर्ट पेश की थी, जिसके बाद न्यायालय ने अंतिम मौका दिया था, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ। जिस पर न्यायालय ने जमानती वारंट जारी किया है। 

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