मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर – फोटो : Social Media
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यौन उत्पीड़न के मामले में पीड़िता के पिता की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसकी बेटी साल 2013 में कक्षा तीसरी की छात्रा थी तथा उम्र नौ साल थी। वह किराए के मकान में रहता था और बेटी अक्सर समीप रहने वाले दादा-दादी के घर जाती थी। इस दौरान रिश्ते में लगने वाले चाचा ने धमकाते हुए उसके साथ दुष्कृत्य किया। वह बच्ची के साथ लगातार दुष्कृत्य करता रहा। साल 2016 से उसका दोस्त भी उसकी बेटी के साथ दुष्कृत्य और अप्राकृतिक कृत्य करते थे। आरोपियों द्वारा बेटी को पोर्न वीडियो भी दिखाए जाते थे।
इसके बाद साल 2019 में रिश्ते में लगने वाला चाचा पढ़ाई के लिए जयपुर चला गया। कोराना काल में वह वापस लौटा, जो उसके बेटी को दोबारा परेशान करने लगा। उससे परेशान होकर बेटी ने आत्महत्या का प्रयास किया, जिसके उसके बेटे और मां ने बचा लिया। बेटी ने पूरी घटना की जानकारी अपनी मां को दी। उसके बाद महिला थाने कटनी में घटना की रिपोर्ट फरवरी 2021 में दर्ज करवाई गई।
पुलिस ने प्रकरण दर्ज करने के बाद प्रकरण को न्यायालय में पेश किया था। न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए मई 2023 में दोनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया, जिसके खिलाफ अपील दायर की गई है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद आदेश जारी किए।
वैकल्पिक कानून प्रावधानों का उपयोग कर दोबारा दायर की याचिका
वैकल्पिक कानूनी प्रावधानों को उपयोग करने के बावजूद दोबारा उसी मुददे पर याचिका दायर करने के गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने दस लाख रुपये की कॉस्ट लगाने के संबंध में याचिकाकर्ता से जवाब मांगा था। याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमाल मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ से याचिका वापस लेने का निवेदन किया गया। युगलपीठ ने दस हजार रुपये की कॉस्ट लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता अर्जुनदास नेभनारी की तरफ से दायर याचिका में खंडवा जिले में खदान का पटटा आवंटित किए जाने को लेकर चुनौती दी गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि साल 2017 में खनन के लिए जमीन का पट्टा आवंटित किए जाने के संबंध में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया था कि पट्टा आवंटित के खिलाफ उसके पास अन्य कानूनी प्रावधान उपस्थित थे, जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया।
उसके बाद याचिकाकर्ता ने संबंधित अधिकारी के खिलाफ पट्टा आंवटन को चुनौती दी। आवेदन खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता ने अपील भी दायर की। अपील खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता उसी मुददे को लेकर दोबारा हाईकोर्ट आ गया। युगलपीठ ने इसे कानूनी प्रावधानों को दुरूपयोग मानते हुए अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा अनावेदकों को ब्लैकमेल करने का प्रयास कर रहा है। युगलपीठ ने याचिका दस लाख रुपये की कॉस्ट के साथ खारिज करने का अभिमत देते हुए इस संबंध में याचिकाकर्ता से जवाब मांगा है। मंगलवार को याचिका वापस लेने का निवेदन किया गया। युगलपीठ ने दस हजार की कॉस्ट के साथ याचिका को खारिज कर दिया।
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