khurasani-imli:-मांडू-की-कीमती-इमली,-प्रशासन-ने-कंपनी-को-बेची,-अब-अरबपतियों-के-घरों-में-सजेगी
न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Fri, 30 Jun 2023 04: 34 PM IST इंदौर के पास धार जिले के मांडू में बेहद दुर्लभ प्रजाति के खुरासानी इमली के पेड़ हैं। अपने खास स्वाद के साथ ही ये औषधीय गुणों के लिए भी जाने जाते हैं। दुनियाभर में भारी डिमांड वाले इन पेड़ों को काटने की अनुमति प्रशासन ने हैदराबाद की एक कंपनी को दी है। अब इन्हें काटने का विरोध तेज होता जा रहा है। आदिवासियों का कहना है कि हमने कई सालों तक इन पेड़ों को सहेजा और बड़ा किया। जब ये पेड़ हमारा घर चलाने लगे तो प्रशासनिक अधिकारियों ने एक कंपनी से मिलीभगत कर नियमविरुद्ध पेड़ों को कटवा दिया। अब ये पेड़ देश के नामचीन अरबपतियों के घरों में लाखों रुपए लेकर लगाए जाएंगे।  आदिवासी नेता रेवतीरमण सिंह राजूखेड़ी ने बताया कि खुरासानी इमली के पेड़ बेहद दुर्लभ प्रजाति के होते हैं। जिला प्रशासन की अनुशंसा पर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा 11 खुरासानी इमली के पेड़ को हैदराबाद स्थित ग्रीन किंगडम नामक प्राइवेट कंपनी के बोटैनिकल गार्डन में ट्रांसलोकैट कर दिया गया है। यह सब नियमविरुद्ध हुआ है। इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में यह बहुत कम संख्या में उपलब्ध हैं। एक पेड़ कई आदिवासियों का घर चलाता है। इससे बनने वाले इमली के उत्पाद बेहद पसंद किए जाते हैं। इसी वजह से इसकी बहुत अधिक डिमांड है। जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा उक्त अनुमति यह जानते हुए दी गई है कि उन्हें इस प्रकार की अनुमति देने का कोई वैधानिक अधिकार ही नहीं है। वहीं कंपनी का कहना है कि हर पेड़ के लिए उसने प्रशासन के पास दस हजार रुपए से अधिक की राशि जमा करवाई है। ट्रक और अन्य बड़े वाहनों के माध्यम से वह इन्हें हैदराबाद ले जा रही है।  बायोलॉजिकल डायवर्सिटी अधिनियम 2002 के तहत किसी भी बायोलॉजिकल रिसोर्ट को व्यवसायिक उद्देश्य के लिए उपयोग लेने से पहले मध्य प्रदेश बायोडायवर्सिटी बोर्ड की अनुमति लेनी पड़ती है तथा उक्त बोर्ड के अलावा यह अनुमति कोई भी प्रशासनिक अधिकारी विधि अनुसार प्रदान नहीं कर सकता। इसके बावजूद धार जिला प्रशासन के तथा इंदौर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा सरकारी ओहदे और रसूख का गलत इस्तेमाल कर अपने स्तर पर अवैधानिक स्वीकृति दे दी गई है। यह अनुमति तहसीलदार धर्मपुरी, तहसीलदार नालछा, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन वृत्त इंदौर तथा वन मंडल अधिकारी धार द्वारा मनमाने ढंग से दी गई है। जबकि इनके अधिकार क्षेत्र में यह अनुमति देना आता ही नहीं है।  कंपनी को भेजा नोटिस युवा कांग्रेस विधि विभाग के राष्ट्रीय समन्वयक अभिभाषक जयेश गुरनानी ने मध्यप्रदेश के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों तथा उक्त अवैधानिक कृत्य करने वाले धार जिले एवं वन विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों को लीगल नोटिस प्रदान किया गया है। इसमें मुख्य रूप से यह मांग की गई है कि हैदराबाद के बोटैनिकल गार्डन में भेजे गए खुर्सानी इमली के पेड़ों को धार जिले में पुनः स्थापित किया जाए एवं ग्रीन किंगडम नामक कंपनी के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाए। प्रशासन पर यह भी आरोप लगाए 1. प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण संरक्षण को नुकसान पहुंचाया। 2. इस अवैध क्षरण से होने वाले दूरगामी दुष्परिणाम को नजरअंदाज किया। 3. खुरसानी इमली को आदिवासियों के लिए आस्था, परंपरा और अर्थव्यवस्था का आधार है। इस पर चोट की। प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किया था इनके संरक्षण का वादा प्रवासी भारतीय सम्मेलन और जी-20 सम्मेलन में पर्यटकों के बीच इसकी ब्रांडिंग की गई और इन पेड़ों का महत्व बताया जाएगा। कार्यक्रमों में कहा गया कि इनके संरक्षण का प्रयास किया जाएगा।    भारत में अफगानिस्तान से लाए गए 15वीं शताब्दी में मांडू के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को अफगानिस्तान के खुरासान के सुल्तान ने उपहार स्वरूप कुछ बोलने वाले तोते और खुरासानी इमली के पौधे भेंट किए थे। इसका वानस्पतिक नाम बायबाय है। अलाउद्दीन खिलजी ने पूरे साम्राज्य में खुरासानी इमली के पौधे लगाए थे, लेकिन सिर्फ मांडू एवं आसपास के क्षेत्रों में ही अनुकूल जलवायु मिलने से यह पनप सके। एक हजार पेड़ थे अब 75 ही बचे मांडू में इसके करीब एक हजार पेड़ हुआ करते थे। अब सिर्फ 75 ही पेड़ बचे हैं। इसके पेड़ विशालकाय होते हैं। खुरासानी इमली का फल भी आकार में बड़ा होता है। यह स्वाद में बहुत लाजवाब होता है। मांडू आने वाले पर्यटक इसकी विशेष रूप से डिमांड करते हैं। यहां के अधिकांश आदिवासी परिवार इस फल का व्यापार करते हैं।  कई बीमारियों में होता है इलाज इस इमली का इस्तेमाल पेट दर्द, पेचिश, कब्ज, हेल्मिन्थस (कृमि) संक्रमण जैसी पेट से जुड़ी समस्याओं से बचाव में किया जा सकता है। इसके अलावा इस इमली में लीवर संरक्षण, ह्रदय संरक्षण और पेट साफ करने वाले गुण भी पाए जाते हैं।

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न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Fri, 30 Jun 2023 04: 34 PM IST

इंदौर के पास धार जिले के मांडू में बेहद दुर्लभ प्रजाति के खुरासानी इमली के पेड़ हैं। अपने खास स्वाद के साथ ही ये औषधीय गुणों के लिए भी जाने जाते हैं। दुनियाभर में भारी डिमांड वाले इन पेड़ों को काटने की अनुमति प्रशासन ने हैदराबाद की एक कंपनी को दी है। अब इन्हें काटने का विरोध तेज होता जा रहा है। आदिवासियों का कहना है कि हमने कई सालों तक इन पेड़ों को सहेजा और बड़ा किया। जब ये पेड़ हमारा घर चलाने लगे तो प्रशासनिक अधिकारियों ने एक कंपनी से मिलीभगत कर नियमविरुद्ध पेड़ों को कटवा दिया। अब ये पेड़ देश के नामचीन अरबपतियों के घरों में लाखों रुपए लेकर लगाए जाएंगे। 

आदिवासी नेता रेवतीरमण सिंह राजूखेड़ी ने बताया कि खुरासानी इमली के पेड़ बेहद दुर्लभ प्रजाति के होते हैं। जिला प्रशासन की अनुशंसा पर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा 11 खुरासानी इमली के पेड़ को हैदराबाद स्थित ग्रीन किंगडम नामक प्राइवेट कंपनी के बोटैनिकल गार्डन में ट्रांसलोकैट कर दिया गया है। यह सब नियमविरुद्ध हुआ है। इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में यह बहुत कम संख्या में उपलब्ध हैं। एक पेड़ कई आदिवासियों का घर चलाता है। इससे बनने वाले इमली के उत्पाद बेहद पसंद किए जाते हैं। इसी वजह से इसकी बहुत अधिक डिमांड है। जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा उक्त अनुमति यह जानते हुए दी गई है कि उन्हें इस प्रकार की अनुमति देने का कोई वैधानिक अधिकार ही नहीं है। वहीं कंपनी का कहना है कि हर पेड़ के लिए उसने प्रशासन के पास दस हजार रुपए से अधिक की राशि जमा करवाई है। ट्रक और अन्य बड़े वाहनों के माध्यम से वह इन्हें हैदराबाद ले जा रही है। 

बायोलॉजिकल डायवर्सिटी अधिनियम 2002 के तहत किसी भी बायोलॉजिकल रिसोर्ट को व्यवसायिक उद्देश्य के लिए उपयोग लेने से पहले मध्य प्रदेश बायोडायवर्सिटी बोर्ड की अनुमति लेनी पड़ती है तथा उक्त बोर्ड के अलावा यह अनुमति कोई भी प्रशासनिक अधिकारी विधि अनुसार प्रदान नहीं कर सकता। इसके बावजूद धार जिला प्रशासन के तथा इंदौर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा सरकारी ओहदे और रसूख का गलत इस्तेमाल कर अपने स्तर पर अवैधानिक स्वीकृति दे दी गई है। यह अनुमति तहसीलदार धर्मपुरी, तहसीलदार नालछा, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन वृत्त इंदौर तथा वन मंडल अधिकारी धार द्वारा मनमाने ढंग से दी गई है। जबकि इनके अधिकार क्षेत्र में यह अनुमति देना आता ही नहीं है। 

कंपनी को भेजा नोटिस
युवा कांग्रेस विधि विभाग के राष्ट्रीय समन्वयक अभिभाषक जयेश गुरनानी ने मध्यप्रदेश के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों तथा उक्त अवैधानिक कृत्य करने वाले धार जिले एवं वन विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों को लीगल नोटिस प्रदान किया गया है। इसमें मुख्य रूप से यह मांग की गई है कि हैदराबाद के बोटैनिकल गार्डन में भेजे गए खुर्सानी इमली के पेड़ों को धार जिले में पुनः स्थापित किया जाए एवं ग्रीन किंगडम नामक कंपनी के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

प्रशासन पर यह भी आरोप लगाए
1. प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण संरक्षण को नुकसान पहुंचाया।
2. इस अवैध क्षरण से होने वाले दूरगामी दुष्परिणाम को नजरअंदाज किया।
3. खुरसानी इमली को आदिवासियों के लिए आस्था, परंपरा और अर्थव्यवस्था का आधार है। इस पर चोट की।

प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किया था इनके संरक्षण का वादा
प्रवासी भारतीय सम्मेलन और जी-20 सम्मेलन में पर्यटकों के बीच इसकी ब्रांडिंग की गई और इन पेड़ों का महत्व बताया जाएगा। कार्यक्रमों में कहा गया कि इनके संरक्षण का प्रयास किया जाएगा। 
 

भारत में अफगानिस्तान से लाए गए
15वीं शताब्दी में मांडू के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को अफगानिस्तान के खुरासान के सुल्तान ने उपहार स्वरूप कुछ बोलने वाले तोते और खुरासानी इमली के पौधे भेंट किए थे। इसका वानस्पतिक नाम बायबाय है। अलाउद्दीन खिलजी ने पूरे साम्राज्य में खुरासानी इमली के पौधे लगाए थे, लेकिन सिर्फ मांडू एवं आसपास के क्षेत्रों में ही अनुकूल जलवायु मिलने से यह पनप सके।

एक हजार पेड़ थे अब 75 ही बचे
मांडू में इसके करीब एक हजार पेड़ हुआ करते थे। अब सिर्फ 75 ही पेड़ बचे हैं। इसके पेड़ विशालकाय होते हैं। खुरासानी इमली का फल भी आकार में बड़ा होता है। यह स्वाद में बहुत लाजवाब होता है। मांडू आने वाले पर्यटक इसकी विशेष रूप से डिमांड करते हैं। यहां के अधिकांश आदिवासी परिवार इस फल का व्यापार करते हैं। 

कई बीमारियों में होता है इलाज
इस इमली का इस्तेमाल पेट दर्द, पेचिश, कब्ज, हेल्मिन्थस (कृमि) संक्रमण जैसी पेट से जुड़ी समस्याओं से बचाव में किया जा सकता है। इसके अलावा इस इमली में लीवर संरक्षण, ह्रदय संरक्षण और पेट साफ करने वाले गुण भी पाए जाते हैं।

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