mp-news:-मुस्लिम-राष्ट्रीय-मंच-ने-कहा-सुरक्षा-कवच-है-“एक-देश-एक-कानून”,-भारतीय-मुस्लमान-हिंदुस्तानी-थे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Sat, 10 Jun 2023 06: 46 PM IST लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें भोपाल में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अभ्यास वर्ग के तीसरे दिन एक देश, एक कानून का प्रस्तावित पारित किया गया। मंच ने मुस्लिमों से अपील की कि योग को धार्मिक चश्मे से देखना बंद करें। योग सिर्फ व्यायाम ही नहीं विज्ञान है। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का अभ्यास वर्ग कार्यक्रम - फोटो : अमर उजाला विस्तार  मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के भोपाल में हो रहे अभ्यास वर्ग के तीसरे दिन "एक देश, एक कानून" प्रस्ताव पारित किया गया। दूसरी तरफ, इंटरफेथ हार्मनी पर मंच ने प्रस्ताव पारित किया कि अपने अपने दीन पर चलो, दूसरे के दीन में दखल न दो, धर्मांतरण से बचो और दूसरे के धार्मिक खुशियों में शामिल हो। इसके अलावा योग और इस्लाम पर जोरदार चर्चा हुई। आखिरकार, इस बात पर भी सहमति बनी कि योग को धार्मिक नजर से देखना बेवकूफी है। सबने यह माना की योग सिर्फ व्यायाम ही नहीं विज्ञान है। कोई भी इंसान जब रोजाा नमाज पढ़ता है तो स्वतः ही वह योग कर रहा होता है क्योंकि नमाज की अलग अलग मुद्राएं होती हैं, ठीक वैसी ही मुद्राएं योग में होती हैं। योग से जिस्म, दिल और दिमाग को मजबूती मिली रहती है। राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में भारतीय मुसलमान विषय पर ये सर्वसम्मति से पारित हुआ की हिंदुस्तानी मुसलमान भारतीय थे, भारतीय हैं और भारतीय रहेंगे।  एक देश, एक कानून देश भर से आए मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने "एक देश एक कानून" पर अपनी राय रखी और इसे अपने अपने तौर पर समझाया। बुद्धिजीवियों ने  उदाहरण देते हुए बताया कि क्या आपने देखा है की किसी भी देश में अलग अलग कानून है? क्या अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, लंदन, जर्मनी या किसी भी दूसरे देश जिसमें मुस्लिम देश भी शामिल हैं। वहां सभी के लिए एक कानून है। सवाल उठता है कि वहां तो कभी कोई धर्म के लोगों को आपत्ति नहीं होती है। यहां तक कि उन देशों में किसी मुस्लिम को भी कोई आपत्ती नहीं होती है। वहां का मुस्लिम, वहीं के कानून को मानता है। फिर आखिर भारत में ही ऐसा क्यों है कि मुस्लिमों को इसमें शक या संदेह होता है? दरअसल, भारत में तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों ने सदियों से मुस्लिमों को डरा सहमा कर रखा हुआ है।  मंच का मानना है कि पूरी दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जो एक कानून द्वारा शासित न हो। इसलिए हमें अपनी विविधता का जश्न मनाकर "एक राष्ट्र, एक कानून" के विचार को बरकरार रखते हुए एक उदाहरण पेश करना होगा। बुद्धिजीवियों के चर्चा के बाद मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने अपने पारित किए प्रस्ताव में साफ तौर पर कहा है कि एक देश, एक कानून सभी की रक्षा करेगी, उनका सम्मान करेगी और उन्हें स्वीकार करेगी, जिन्हें इस पर कोई शक या संदेह है तो उन्हें परेशान नहीं होना चाहिए। मंच का मानना है कि एक देश, एक कानून समूचे भारत के लिए एक कानून की वकालत करती है जो शादी, तलाक, उत्तराधिकार एवं गोद लेने जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होगा लेकिन किसी भी धर्म के आंतरिक मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं है। मंच का साफ तौर पर मानना, उनका सम्मान करेगी और उन्हें स्वीकार करेगी, जिन्हें इस पर संदेह है, उन्हें विचलित नहीं होना चाहिए बल्कि, उन्हें सभी को समझने और समझाने की कोशिश करनी चाहिए। देश में इतने सारे धर्म हैं और उन सभी को एक देश, एक कानून से सम्मान मिलेगा।  मंच ने माना कि भारतीय के रूप में हमें यह पहचानना चाहिए कि अंततः, हमारी एकता के बंधन के मूल में भारत-भारतीय, हिंदुस्तान- हिंदुस्तानी, भारत-भारतीय और भारतीयता की सर्वोत्कृष्ट भावना निहित है। मंच ने माना कि हमारे देश में विभिन्न धर्म हैं और असंख्य मतों के कारण शोषण और अन्याय की आशंका है। भारत एकमात्र देश है जहां विभिन्न धर्मों के लोग शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण तरीके से रहते हैं। इसलिए एक देश एक कानून के कार्यान्वयन से यह देश शांतिपूर्ण और अधिक बलशाली हो जाएगा। "इंटरफेथ हार्मनी" अभ्यास के तीसरे दिन के दूसरे सत्र में चर्चा हुई इंटरफेथ डायलॉग' पर... इस शब्द के अर्थों को बुद्धिजीवियों ने खुल कर अपनी बातें रखी। इसके मुताबिक विभिन्न धर्मों, आस्थाओं या आध्यात्मिक विश्वासों के लोगों के बीच सकारात्मक बातचीत से है, जिसका उद्देश्य विभिन्न धर्मों के बीच स्वीकृति और सहिष्णुता बढ़ाने के लिए समझ को बढ़ावा देना है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने माना सम्मान और आत्मसम्मान सबसे बड़ी चीज। लेकिन ये एकतरफा नहीं होता है। अगर आप अपने धर्म और लोगों की दूसरे से इज्जत चाहते हैं तो आपको दूसरे धर्मों और अकीदों का भी सम्मान करना चाहिए। अंत में प्रस्ताव पारित हुआ कि अपने अपने दीन पर चलो, दूसरे के दीन में दखल न दो, धर्मांतरण से बचो और दूसरे के धार्मिक खुशियों में शामिल हो।  राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में भारतीय मुसलमान  राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में भारतीय मुसलमान विषय पर गंभीर चर्चा हुई। इसमें वक्त के तौर पर मंच के महामंत्री गिरीश जुयाल, राष्ट्रीय संयोजक शाहिद अख्तर और विराग पाचपोर ने अपनी बातें रखीं। शाहिद अख्तर ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को धोखे में रखने वाले लोग समझ जाएं कि भारतीय मुसलमान हिंदुस्तानी थे, हिंदुस्तानी हैं और हिंदुस्तानी रहेंगे। उनकी खुद्दारी को कोई भी दल चुनौती देने की कोशिश न करे। विराग पाचपोर ने कहा कि भारतीय मुसलमानों की सच्ची साथी आरएसएस ही है। गिरीश जुयाल ने आदम और हौव्वा के समय से अभी तक के अनगिनत घटनाओं की चर्चा की।  भारतीय प्राचीन सांस्कृतिक पहचान- योग योग की उत्पत्ति भले ही सनातन धर्म से हुई हो, जिसके बाद बौद्ध और जैन धर्म ने अपनाया हो, लेकिन एक मुसलमान पांच वक्त नमाज के अलावा योग का फायदा उठाना चाहे तो उसमें कोई हर्ज नहीं है। बशर्ते कोई ऐसा आसन न हो जो इस्लाम के बुनियादी उसूलों से टकराए। विश्व योग दिवस भारत सहित अन्य देशों में मनाया जाता है, इसमें मुसलमानों को भी शरीक होना चाहिए, क्योंकि यह भारत की प्राचीन सांस्कृतिक पहचान है और इसकी महत्ता को आज पूरा विश्व समझ रहा है। यह हमारे देश के लिए गौरव की बात है। योग को धार्मिक दृष्टि से देखना बंद करना चाहिए, क्योंकि अब योग व्यायाम नहीं बल्कि विज्ञान का हिस्सा बन चुका है। इसके अलावा, नमाज से योग की तरह ही शरीर और मन तरोताजा होता है। समाज नमाज के दौरान कयाम, रुकू, सजदा, जलसा- सलाम फेरना प्रक्रिया से सिर से पांव के अंगूठे का व्यायाम होता है।   रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Sat, 10 Jun 2023 06: 46 PM IST

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भोपाल में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अभ्यास वर्ग के तीसरे दिन एक देश, एक कानून का प्रस्तावित पारित किया गया। मंच ने मुस्लिमों से अपील की कि योग को धार्मिक चश्मे से देखना बंद करें। योग सिर्फ व्यायाम ही नहीं विज्ञान है। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का अभ्यास वर्ग कार्यक्रम – फोटो : अमर उजाला

विस्तार  मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के भोपाल में हो रहे अभ्यास वर्ग के तीसरे दिन “एक देश, एक कानून” प्रस्ताव पारित किया गया। दूसरी तरफ, इंटरफेथ हार्मनी पर मंच ने प्रस्ताव पारित किया कि अपने अपने दीन पर चलो, दूसरे के दीन में दखल न दो, धर्मांतरण से बचो और दूसरे के धार्मिक खुशियों में शामिल हो। इसके अलावा योग और इस्लाम पर जोरदार चर्चा हुई। आखिरकार, इस बात पर भी सहमति बनी कि योग को धार्मिक नजर से देखना बेवकूफी है। सबने यह माना की योग सिर्फ व्यायाम ही नहीं विज्ञान है। कोई भी इंसान जब रोजाा नमाज पढ़ता है तो स्वतः ही वह योग कर रहा होता है क्योंकि नमाज की अलग अलग मुद्राएं होती हैं, ठीक वैसी ही मुद्राएं योग में होती हैं। योग से जिस्म, दिल और दिमाग को मजबूती मिली रहती है। राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में भारतीय मुसलमान विषय पर ये सर्वसम्मति से पारित हुआ की हिंदुस्तानी मुसलमान भारतीय थे, भारतीय हैं और भारतीय रहेंगे। 

एक देश, एक कानून
देश भर से आए मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने “एक देश एक कानून” पर अपनी राय रखी और इसे अपने अपने तौर पर समझाया। बुद्धिजीवियों ने 
उदाहरण देते हुए बताया कि क्या आपने देखा है की किसी भी देश में अलग अलग कानून है? क्या अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, लंदन, जर्मनी या किसी भी दूसरे देश जिसमें मुस्लिम देश भी शामिल हैं। वहां सभी के लिए एक कानून है। सवाल उठता है कि वहां तो कभी कोई धर्म के लोगों को आपत्ति नहीं होती है। यहां तक कि उन देशों में किसी मुस्लिम को भी कोई आपत्ती नहीं होती है। वहां का मुस्लिम, वहीं के कानून को मानता है। फिर आखिर भारत में ही ऐसा क्यों है कि मुस्लिमों को इसमें शक या संदेह होता है? दरअसल, भारत में तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों ने सदियों से मुस्लिमों को डरा सहमा कर रखा हुआ है। 

मंच का मानना है कि पूरी दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जो एक कानून द्वारा शासित न हो। इसलिए हमें अपनी विविधता का जश्न मनाकर “एक राष्ट्र, एक कानून” के विचार को बरकरार रखते हुए एक उदाहरण पेश करना होगा। बुद्धिजीवियों के चर्चा के बाद मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने अपने पारित किए प्रस्ताव में साफ तौर पर कहा है कि एक देश, एक कानून सभी की रक्षा करेगी, उनका सम्मान करेगी और उन्हें स्वीकार करेगी, जिन्हें इस पर कोई शक या संदेह है तो उन्हें परेशान नहीं होना चाहिए। मंच का मानना है कि एक देश, एक कानून समूचे भारत के लिए एक कानून की वकालत करती है जो शादी, तलाक, उत्तराधिकार एवं गोद लेने जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होगा लेकिन किसी भी धर्म के आंतरिक मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं है। मंच का साफ तौर पर मानना, उनका सम्मान करेगी और उन्हें स्वीकार करेगी, जिन्हें इस पर संदेह है, उन्हें विचलित नहीं होना चाहिए बल्कि, उन्हें सभी को समझने और समझाने की कोशिश करनी चाहिए। देश में इतने सारे धर्म हैं और उन सभी को एक देश, एक कानून से सम्मान मिलेगा। 

मंच ने माना कि भारतीय के रूप में हमें यह पहचानना चाहिए कि अंततः, हमारी एकता के बंधन के मूल में भारत-भारतीय, हिंदुस्तान- हिंदुस्तानी, भारत-भारतीय और भारतीयता की सर्वोत्कृष्ट भावना निहित है। मंच ने माना कि हमारे देश में विभिन्न धर्म हैं और असंख्य मतों के कारण शोषण और अन्याय की आशंका है। भारत एकमात्र देश है जहां विभिन्न धर्मों के लोग शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण तरीके से रहते हैं। इसलिए एक देश एक कानून के कार्यान्वयन से यह देश शांतिपूर्ण और अधिक बलशाली हो जाएगा।

“इंटरफेथ हार्मनी”
अभ्यास के तीसरे दिन के दूसरे सत्र में चर्चा हुई इंटरफेथ डायलॉग’ पर… इस शब्द के अर्थों को बुद्धिजीवियों ने खुल कर अपनी बातें रखी। इसके मुताबिक विभिन्न धर्मों, आस्थाओं या आध्यात्मिक विश्वासों के लोगों के बीच सकारात्मक बातचीत से है, जिसका उद्देश्य विभिन्न धर्मों के बीच स्वीकृति और सहिष्णुता बढ़ाने के लिए समझ को बढ़ावा देना है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने माना सम्मान और आत्मसम्मान सबसे बड़ी चीज। लेकिन ये एकतरफा नहीं होता है। अगर आप अपने धर्म और लोगों की दूसरे से इज्जत चाहते हैं तो आपको दूसरे धर्मों और अकीदों का भी सम्मान करना चाहिए। अंत में प्रस्ताव पारित हुआ कि अपने अपने दीन पर चलो, दूसरे के दीन में दखल न दो, धर्मांतरण से बचो और दूसरे के धार्मिक खुशियों में शामिल हो। 

राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में भारतीय मुसलमान 
राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में भारतीय मुसलमान विषय पर गंभीर चर्चा हुई। इसमें वक्त के तौर पर मंच के महामंत्री गिरीश जुयाल, राष्ट्रीय संयोजक शाहिद अख्तर और विराग पाचपोर ने अपनी बातें रखीं। शाहिद अख्तर ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को धोखे में रखने वाले लोग समझ जाएं कि भारतीय मुसलमान हिंदुस्तानी थे, हिंदुस्तानी हैं और हिंदुस्तानी रहेंगे। उनकी खुद्दारी को कोई भी दल चुनौती देने की कोशिश न करे। विराग पाचपोर ने कहा कि भारतीय मुसलमानों की सच्ची साथी आरएसएस ही है। गिरीश जुयाल ने आदम और हौव्वा के समय से अभी तक के अनगिनत घटनाओं की चर्चा की। 

भारतीय प्राचीन सांस्कृतिक पहचान- योग
योग की उत्पत्ति भले ही सनातन धर्म से हुई हो, जिसके बाद बौद्ध और जैन धर्म ने अपनाया हो, लेकिन एक मुसलमान पांच वक्त नमाज के अलावा योग का फायदा उठाना चाहे तो उसमें कोई हर्ज नहीं है। बशर्ते कोई ऐसा आसन न हो जो इस्लाम के बुनियादी उसूलों से टकराए। विश्व योग दिवस भारत सहित अन्य देशों में मनाया जाता है, इसमें मुसलमानों को भी शरीक होना चाहिए, क्योंकि यह भारत की प्राचीन सांस्कृतिक पहचान है और इसकी महत्ता को आज पूरा विश्व समझ रहा है। यह हमारे देश के लिए गौरव की बात है। योग को धार्मिक दृष्टि से देखना बंद करना चाहिए, क्योंकि अब योग व्यायाम नहीं बल्कि विज्ञान का हिस्सा बन चुका है। इसके अलावा, नमाज से योग की तरह ही शरीर और मन तरोताजा होता है। समाज नमाज के दौरान कयाम, रुकू, सजदा, जलसा- सलाम फेरना प्रक्रिया से सिर से पांव के अंगूठे का व्यायाम होता है।
 

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