राज्यपाल मंगूभाई पटेल संबोधित करते हुए। – फोटो : अमर उजाला
विस्तार भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई) के सहयोग से राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने देशभर की महिलाओं में उद्यमिता की अलख जगाने की ठानी है। इसके लिए देशभर में 100 उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उज्जैन से इसका आगाज हुआ, जहां इस शृंखला का पहला कार्यक्रम विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया।
मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा कि देश सबका साथ सबका विकास के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। बड़े पैमाने पर महिलाओं का नेतृत्व विकास हो रहा है। अब तो इसे मान्यता भी मिल रही है। महिलाएं अपनी सक्सेस स्टोरी लिख रही हैं। आत्मविश्वास से लबरेज होकर अपने उद्यम चला रही है। भविष्य की योजनाओं को लेकर भी मुखर हैं। वहीं डॉ. मुंजपारा ने कहा कि हम सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में महिला नेतृत्व और सशक्तीकरण में तेजी ला रहे हैं ताकि महिलाओं के नेतृत्व में भारत आगे बढ़े। महिलाएं हमारे समाज की रीढ़ हैं। हमारे भविष्य को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग और भारत के उद्यमिता विकास संस्थान के बीच यह सहयोग न केवल महिला उद्यमियों की क्षमता निर्माण में मदद करेगा बल्कि लोगों को जागरूक भी करेगा।
राज्यपाल मंगूभाई पटेल, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा, ईडीआईआई के महानिदेशक डॉ. सुनील शुक्ला और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सचिव मीनाक्षी नेगी की मौजूदगी में उज्जैन में महिला उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम हुआ। मध्य प्रदेश के उद्योग आयुक्त पी नरहरि के साथ-साथ राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य- ममता कुमारी, डेलिना खोंगडुप, खुशबूसुंदर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
एमएसएमई स्थापित करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि महिलाएं समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा होने के बाद भी आर्थिक सशक्तीकरण और स्वतंत्रता की बात में पिछड़ जाती हैं। आर्थिक रूप से सशक्त होने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। हमारी कोशिश महिलाओं को अपना एमएसएमई स्थापित करने के लिए प्रेरित करना है। महिला उद्यमी अन्य महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करती हैं। यही समय की मांग भी है। वहीं, डॉ. सुनील शुक्ला ने कहा कि पिछले दस वर्षों में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। यह केवल तभी संभव हुआ है, जब महिला आबादी को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
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