mp-news:-hc-ने-दुष्कर्म-व-पॉक्सो-एक्ट-में-दोषी-को-बरी-किया,-आजीवन-कारावास-की-सजा-काट-रहा-था-85-साल-का-बुजुर्ग
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच विस्तार ग्वालियर में हाई कोर्ट की युगल पीठ ने 85 साल के एक बुजुर्ग को दोषमुक्त किया है। यह शख्स दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट में दोषी के रूप में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। बहोड़ापुर थाने में बुजुर्ग के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। फरियादी के मुताबिक, उसकी बेटी तीन मई 2014 को लगभग 11.30 बजे अपनी सहेली के साथ खेल रही थी। तभी आरोपित उसे अपने साथ ले गया और उसके साथ अश्लील हरकतें की। नाबालिग की मां ने पुत्री को डरा हुआ देखा तो उससे जानकारी ली। उसने पूरी घटना के बारे में बताया। इस पर फरियादी ने बहोड़ापुर थाने में आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और दुष्कर्म का केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। विशेष न्यायालय ने तीन मार्च 2015 को आरोपित रामरतन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उस पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। आरोपित ने इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। यह बुजुर्ग पिछले नौ साल से जेल में बंद था। उसकी अपील कई सालों से कोर्ट में पेंडिंग पड़ी थी। गरीब होने के कारण वह कोई वकील नहीं कर पा रहा था। हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र के सभी जिलों को निर्देशित किया है कि वे अपने यहां जेल में बंद बुजुर्ग कैदियों के बारे में एक बार फिर से उनके मामले का संज्ञान लें। खासकर जिनकी उम्र 75 साल से ज्यादा हो चुकी है। कोर्ट के आदेश पर न्याय मित्र विजय सुंदरम ने इस मामले में रामरतन गोस्वामी की पैरवी की। न्याय मित्र विजय सुंदरम के मुताबिक, यह घटना 2014 की है जो बहोड़ापुर थाना क्षेत्र में घटित हुई थी। रामरतन पर पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म किए जाने का आरोप लगाया गया था। पिता की जानकारी में यह पूरा मामला था। लेकिन फिर भी उसने पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की थी। घटना के तीन दिन बाद यह रिपोर्ट लड़की की मां ने बहोड़ापुर थाने में दर्ज कराई थी। उसमें कहा गया था कि लड़की को घर के बाहर खेलते समय बुजुर्ग रामरतन गोस्वामी ने चॉकलेट देने के बहाने से उसे अपने पास बुलाया। फिर एकांत में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बहोड़ापुर पुलिस ने इस मामले में रामरतन के खिलाफ दुष्कर्म और पॉस्को एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था। उसके खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया गया। एडीजे कोर्ट ने रामरतन को 2015 में दोषी पाते हुए उसे आजीवन कारावास और दो हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया था। अपनी सजा के खिलाफ रामरतन ने हाई कोर्ट में अपील की थी। लेकिन यह अपील कई सालों तक पेंडिंग बनी रही। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इस बुजुर्ग को विधिक सहायता उपलब्ध कराई गई। इस पर पैरवी करते हुए न्याय मित्र कोर्ट के सामने कई ऐसे तथ्य लाए जिससे पता लगा कि आरोपित रामरतन को केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर सजा दी गई थी। घटना का कोई भी चश्मदीद नहीं था। वहीं, घटना के तीन रोज बाद यह मामला दर्ज कराया गया था। न्याय मित्र ने यह भी कहा कि आपसी पारिवारिक विवाद के चलते उनके मुवक्किल पर यह झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसके कारण एक बुजुर्ग को कई सालों तक जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा। उन्होंने कहा कि खास बात यह भी है कि उच्च न्यायालय अब जेल में ऐसे निरुद्ध अथवा सजायाफ्ता कैदियों की पड़ताल कर रहा है जिनकी उम्र 75 साल से ज्यादा हो चुकी है। रामरतन की उम्र भी 75 साल से ज्यादा है। इसलिए उसका मामला न्यायालय के संज्ञान में आया। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने रामरतन गोस्वामी को दोषमुक्त करार दिया है।

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच

विस्तार ग्वालियर में हाई कोर्ट की युगल पीठ ने 85 साल के एक बुजुर्ग को दोषमुक्त किया है। यह शख्स दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट में दोषी के रूप में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। बहोड़ापुर थाने में बुजुर्ग के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था।

फरियादी के मुताबिक, उसकी बेटी तीन मई 2014 को लगभग 11.30 बजे अपनी सहेली के साथ खेल रही थी। तभी आरोपित उसे अपने साथ ले गया और उसके साथ अश्लील हरकतें की। नाबालिग की मां ने पुत्री को डरा हुआ देखा तो उससे जानकारी ली। उसने पूरी घटना के बारे में बताया। इस पर फरियादी ने बहोड़ापुर थाने में आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और दुष्कर्म का केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

विशेष न्यायालय ने तीन मार्च 2015 को आरोपित रामरतन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उस पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। आरोपित ने इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। यह बुजुर्ग पिछले नौ साल से जेल में बंद था। उसकी अपील कई सालों से कोर्ट में पेंडिंग पड़ी थी। गरीब होने के कारण वह कोई वकील नहीं कर पा रहा था।

हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र के सभी जिलों को निर्देशित किया है कि वे अपने यहां जेल में बंद बुजुर्ग कैदियों के बारे में एक बार फिर से उनके मामले का संज्ञान लें। खासकर जिनकी उम्र 75 साल से ज्यादा हो चुकी है। कोर्ट के आदेश पर न्याय मित्र विजय सुंदरम ने इस मामले में रामरतन गोस्वामी की पैरवी की।

न्याय मित्र विजय सुंदरम के मुताबिक, यह घटना 2014 की है जो बहोड़ापुर थाना क्षेत्र में घटित हुई थी। रामरतन पर पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म किए जाने का आरोप लगाया गया था। पिता की जानकारी में यह पूरा मामला था। लेकिन फिर भी उसने पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की थी। घटना के तीन दिन बाद यह रिपोर्ट लड़की की मां ने बहोड़ापुर थाने में दर्ज कराई थी। उसमें कहा गया था कि लड़की को घर के बाहर खेलते समय बुजुर्ग रामरतन गोस्वामी ने चॉकलेट देने के बहाने से उसे अपने पास बुलाया। फिर एकांत में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बहोड़ापुर पुलिस ने इस मामले में रामरतन के खिलाफ दुष्कर्म और पॉस्को एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था। उसके खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया गया।

एडीजे कोर्ट ने रामरतन को 2015 में दोषी पाते हुए उसे आजीवन कारावास और दो हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया था। अपनी सजा के खिलाफ रामरतन ने हाई कोर्ट में अपील की थी। लेकिन यह अपील कई सालों तक पेंडिंग बनी रही। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इस बुजुर्ग को विधिक सहायता उपलब्ध कराई गई। इस पर पैरवी करते हुए न्याय मित्र कोर्ट के सामने कई ऐसे तथ्य लाए जिससे पता लगा कि आरोपित रामरतन को केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर सजा दी गई थी। घटना का कोई भी चश्मदीद नहीं था। वहीं, घटना के तीन रोज बाद यह मामला दर्ज कराया गया था।

न्याय मित्र ने यह भी कहा कि आपसी पारिवारिक विवाद के चलते उनके मुवक्किल पर यह झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसके कारण एक बुजुर्ग को कई सालों तक जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा। उन्होंने कहा कि खास बात यह भी है कि उच्च न्यायालय अब जेल में ऐसे निरुद्ध अथवा सजायाफ्ता कैदियों की पड़ताल कर रहा है जिनकी उम्र 75 साल से ज्यादा हो चुकी है। रामरतन की उम्र भी 75 साल से ज्यादा है। इसलिए उसका मामला न्यायालय के संज्ञान में आया। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने रामरतन गोस्वामी को दोषमुक्त करार दिया है।

Posted in MP