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पारदर्शिता और जवाबदेही किसी भी जन-हितैषी सरकार के दो आधार-स्तम्भ हैं। ये न केवल जनता को करीब लाकर सरकार से जोड़ते हैं, बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में उन्हें समान रूप से अहम भागीदार भी बनाते हैं। अपने 9 साल के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी ने खुले व पारदर्शी शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाई है। वीडी शर्मा ने इस समय को मोदी युग बताया है। – फोटो : फाइल फोटो
विस्तार कभी एक प्रधानमंत्री ने कहा था कि दिल्ली से एक रुपया चलता है, तो वह नीचे तक पहुंचते-पहुंचते मात्र 15 पैसे ही रह जाता है। स्व. राजीव गांधी का यह बयान भारत की साख पर एक घिनौना धब्बा बनकर दशकों तक चिपका रहा और भ्रष्टाचार का मुहावरा बन गया था, लेकिन 2014 के बाद यह दाग तब मिटा जब नरेंद्र मोदी जी ने भारी जनादेश से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सबसे पहले ‘जनधन योजना’ के तहत हर गरीब का (लगभग 45 करोड़) बैंक खाता खोलने का परिवर्तनकारी नवाचार किया। परिणाम यह हुआ कि अंतिम व्यक्ति के लिए दिल्ली से चलने वाला 100 पैसा डीबीटी के जरिए गरीबों के खाते में सीधे जाने लगा। अब कोई बिचौलिया गरीब का हिस्सा नहीं खा सकता। मोदी सरकार की यह पहली योजना राष्ट्रीय नवाचार की शुरुआत थी, जिसने पार्टी के अंत्योदय को साकार किया। नौ साल के अंदर देश भर में व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा हुआ है। एक ओर सड़कों का जाल बिछ रहा है, बड़े-बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं, वहीं भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं लगा है। मोदी सरकार निष्कलंक रूप से अपना राष्ट्रीय कर्तव्य निभा रही है। इसलिए मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल की यह एक महान आश्वस्ति है कि अब भ्रष्टाचार के लिए यहां कोई जगह नहीं बची।
पारदर्शिता और जवाबदेही किसी भी जन-हितैषी सरकार के दो आधार-स्तम्भ हैं। ये न केवल जनता को करीब लाकर सरकार से जोड़ते हैं, बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में उन्हें समान रूप से अहम भागीदार भी बनाते हैं। अपने 9 साल के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी ने खुले व पारदर्शी शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाई है। नीतियां बंद कमरों में बैठकर नहीं, बल्कि लोगों के बीच जाकर बनाने की परंपरा शुरू की है। अब नीतियों के मसौदे ऑनलाइन जारी होते हैं, ताकि जनता भी इनमें सहभागी हो सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। कार्यपालिका में पारदर्शिता लाने के प्रति मोदी जी का दृढ़ संकल्प और उनकी प्रतिबद्धता एक खुली, पारदर्शी और जन-केन्द्रित सरकार के युग की स्थापना को दर्शाता है।
ऐसी ही पारदर्शी कार्य-संस्कृति अपनाकर नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक लकीर खींच दी है। वंशवाद और कमीशनखोरी से ऊपर उठकर राजनीति अब श्रमसाधना बन गई है। कड़ी मेहनत करते हुए मोदी जी ने राजनीतिक कार्य-संस्कृति में बदलाव ला दिया है। कथनी और करनी में अंतर की राजनीति का अंत हो चला है। इसलिए अब विरोधी नेता भी जनता के बीच जाकर पसीना बहाने लगे हैं। भारतीय राजनीति के भीतर यह सकारात्मक बदलाव मोदी जी के नवाचारों के कारण हुआ है। उनकी लोकप्रियता और जनता से जुड़ाव की अनूठी पहल राजनीतिज्ञों को जमीन से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है। भारत ही नहीं, विदेशी नेता भी मोदी-शैली से प्रभावित दिखते हैं। मोदी जी की कार्यप्रणाली का डंका सारी दुनिया में बज रहा है।
बीते नौ वर्षों में हुए राष्ट्रीय नवाचारों को समझने के लिए मोदी सरकार की स्वदेशी नीति को देखना होगा। स्वराज, स्वच्छता और स्वदेशी का नारा गांधी जी ने दिया था, जिसको साकार करने का काम मोदी युग में हुआ। सरकार ने मेक इन इंडिया के जरिए विनिर्माण, इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवा गतिविधियों में 25 क्षेत्रों को चिन्हित करके उद्योगों के प्रति सरकार की ‘रेग्युलेटर’ छवि को बदला है। उद्योगों के साथ सरकार के व्यवहार में आमूलचूल बदलाव लाकर सरकार को सुविधाप्रदाता की भूमिका में लाया गया। यह योजना विश्व भर में संभावित निवेशकों तथा साझीदारों को ‘नये भारत’ की विकास गाथा में भाग लेने के लिए एक खुला आमंत्रण देती है। इसके कारण बीते सालों में देश में कारोबार शुरू करना आसान हुआ है।
मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना ने 27 सेक्टरों में महान उपलब्धियां हासिल की है। इसको विस्तार देते हुए देश को ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर ले जाने का भगीरथ प्रयास भी मोदी सरकार ने किया है। सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता लाने की पहल हुई है। उदाहरण के लिए रक्षा क्षेत्र में प्रमुख स्वदेशी पहलों को देखें, तो डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज, INS विक्रांत: एयरक्राफ्ट कैरियर, धनुष: लंबी दूरी की तोपें, अरिहंत: परमाणु पनडुब्बी और प्रचंड: हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर का निर्माण बड़ी उपलब्धि हैं। आज भारत की ब्रह्मोस, आकाश मिसाइल सिस्टम्स, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल्स, आर्मर्ड व्हीकल्स, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, एम्युनिशन, थर्मल इमेजर, बॉडी आर्मर और एवियॉनिक्स आदि की दुनिया के कई देशों में मांग है। भारत के एलसीए तेजस, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर और एयरक्राफ्ट कैरियर की मांग भी कई देशों में बढ़ी है। हाल ही में रक्षा विभाग ने 928 उत्पादों की एक सूची जारी की थी, जिन्हें भारत में ही बनाया जाएगा। भारत की आत्मनिर्भरता से वैश्विक प्रभाव भी बढ़ा है और भारतीयों का मान भी।
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