उसमें लचीलापन रखा गया है. इसका यही मकसद है कि निजी क्षेत्र, इसरो के लंबी अवधि के प्रोजेक्ट में शामिल हो. मौजूदा समय में कई प्रोजेक्ट निजी क्षेत्र से ही पूरे कराये जा रहे हैं. काम का तर्क संगत विभाजन किया गया है. निजी कंपनियों के अलावा कुछ संस्थान भी इसरो के साथ आगे आ रहे हैं. चूंकि, अब अंतरिक्ष विज्ञान को सिर्फ सरकार के बलबूते आगे ले जाना संभव नहीं है, इसलिए इसमें कई संस्थान शामिल किये जा रहे हैं. अंतरिक्ष कार्यक्रम का व्यावसायीकरण हो रहा है. भले ही वैज्ञानिक गतिविधियां और खोज इसरो ही करेगा, लेकिन बाकी की तैयारियों में प्राइवेट क्षेत्र की मदद ली जा सकती है. पब्लिक सर्विस के लिए सेटेलाइट जैसे-मौसम की जानकारी, भूकंप का अलर्ट आदि को लेकर निजी क्षेत्र भी उत्साहित है. ऐसे में वह निवेश के लिए आगे आ सकता है.

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

उसमें लचीलापन रखा गया है. इसका यही मकसद है कि निजी क्षेत्र, इसरो के लंबी अवधि के प्रोजेक्ट में शामिल हो. मौजूदा समय में कई प्रोजेक्ट निजी क्षेत्र से ही पूरे कराये जा रहे हैं. काम का तर्क संगत विभाजन किया गया है. निजी कंपनियों के अलावा कुछ संस्थान भी इसरो के साथ आगे आ रहे हैं. चूंकि, अब अंतरिक्ष विज्ञान को सिर्फ सरकार के बलबूते आगे ले जाना संभव नहीं है, इसलिए इसमें कई संस्थान शामिल किये जा रहे हैं. अंतरिक्ष कार्यक्रम का व्यावसायीकरण हो रहा है. भले ही वैज्ञानिक गतिविधियां और खोज इसरो ही करेगा, लेकिन बाकी की तैयारियों में प्राइवेट क्षेत्र की मदद ली जा सकती है. पब्लिक सर्विस के लिए सेटेलाइट जैसे-मौसम की जानकारी, भूकंप का अलर्ट आदि को लेकर निजी क्षेत्र भी उत्साहित है. ऐसे में वह निवेश के लिए आगे आ सकता है.