हिमाचल-प्रदेश-की-आपदा-के-लिए-बिहारी-राजमिस्त्री-जिम्मेदार?-सुखविंदर-सिंह-सुक्खू-का-बयान-हुआ-वायरल,-दी-ये-सफाई
हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश की वजह से आयी प्राकृतिक आपदा पर प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बिहारी राजमिस्त्रियों पर दिया गया बयान चर्चा में है. हालांकि इस बयान पर उन्होंने सफाई दी है और कहा है कि मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा था. हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों भूस्खलन की इतनी घटनाएं हुईं हैं, जो 50 वर्षों के रिकाॅर्ड को तोड़ रही हैं. अबतक भूस्खलन की वजह से 71 लोगों की मौत हुई है और इस मामले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान चर्चा में है. दोषपूर्ण निर्माण आपदा के लिए जिम्मेदार सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इंडियन एक्सप्रेस को दिये एक खास इंटरव्यू में कहा था कि हिमाचल प्रदेश में जिस तरह की प्राकृतिक आपदा को झेल रहा है उसकी वजह है यहां होने वाले दोषपूर्ण निर्माण. उन्होंने कहा कि यहां बाहर से राजमिस्त्री आ रहे हैं और वे वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किये बिना निर्माण कार्य कर रहे हैं. वे एक के बाद एक कई फ्लोर बना रहे हैं जो पहाड़ी राज्यों के लिए उपयुक्त नहीं है. उन्होंने अपने बयान में कहा कि बिहारी राजमिस्त्री इस तरह के काम में जुटे हैं, यहां के स्थानीय राजमिस्त्री यह काम नहीं कर रहे हैं. हालांकि बाद में न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा है. यहां बिहार के लोग भी फंसे हुए हैं. उनका भी रेस्क्यू किया जा रहा है. अभी भी बिहार के 200 से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं. वे हमारे भाई की तरह हैं. मैंने यह कहा था कि यह हमारे इंजीनियरिंग की समस्या है. बिहारी तो मजदूर के तौर पर काम करते हैं. ताश के पत्तों की तरह ढह गयीं इमारतें गौरतलब है कि इस मानसून शिमला में भूस्खलन की अत्यधिक घटनाएं हुईं जिसकी वजह से कई इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं. मुख्यमंत्री ने इन्हीं घटनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि शिमला एक मजबूत जल निकासी प्रणाली वाला एक पुराना शहर है, लेकिन अब जो निर्माण हो रहे हैं उनमें इस बात का ध्यान नहीं रखा जा रहा है, जिसकी वजह से पानी पहाड़ों में जाकर उन्हें कमजोर कर रहे हैं और भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं. कई इमारतें आज गिरी हैं तो उसकी वजह वैज्ञानिक तरीके से निर्माण ना होना है. उन्होंने कहा कि शिमला डेढ़ सदी से भी अधिक पुराना है और इसकी जल निकासी व्यवस्था उत्कृष्ट थी. अब नालों में इमारतें बन गई हैं. शिमला में जलनिकासी उच्चस्तरीय सुखविंदर सिंह ने कहा कि हमारा सचिवालय नौ मंजिला इमारत है, हिमाचल विश्वविद्यालय, समर हिल में एडवांस्ड स्टडी की इमारत आठ मंजिला इमारत है, लेकिन इन इमारतों पर कभी खतरा नहीं मंडराया, क्योंकि इनका निर्माण वैज्ञानिक तरीके से हुआ है. हिमाचल प्रदेश में आयी प्राकृतिक आपदा के बाद सरकार की ओर से बताया गया है कि अबतक प्रदेश में हेलीकॉप्टर की मदद से 780 लोगों को रेस्क्यू किया गया है, जबकि 2500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. शिमला में राहत और बचाव कार्य जारी है. himachal pradeshHindi Newshimachal pradesh newsPublished Date Thu, Aug 17, 2023, 2: 05 PM IST

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हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश की वजह से आयी प्राकृतिक आपदा पर प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बिहारी राजमिस्त्रियों पर दिया गया बयान चर्चा में है. हालांकि इस बयान पर उन्होंने सफाई दी है और कहा है कि मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा था. हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों भूस्खलन की इतनी घटनाएं हुईं हैं, जो 50 वर्षों के रिकाॅर्ड को तोड़ रही हैं. अबतक भूस्खलन की वजह से 71 लोगों की मौत हुई है और इस मामले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान चर्चा में है.

दोषपूर्ण निर्माण आपदा के लिए जिम्मेदार

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इंडियन एक्सप्रेस को दिये एक खास इंटरव्यू में कहा था कि हिमाचल प्रदेश में जिस तरह की प्राकृतिक आपदा को झेल रहा है उसकी वजह है यहां होने वाले दोषपूर्ण निर्माण. उन्होंने कहा कि यहां बाहर से राजमिस्त्री आ रहे हैं और वे वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किये बिना निर्माण कार्य कर रहे हैं. वे एक के बाद एक कई फ्लोर बना रहे हैं जो पहाड़ी राज्यों के लिए उपयुक्त नहीं है. उन्होंने अपने बयान में कहा कि बिहारी राजमिस्त्री इस तरह के काम में जुटे हैं, यहां के स्थानीय राजमिस्त्री यह काम नहीं कर रहे हैं.

हालांकि बाद में न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा है. यहां बिहार के लोग भी फंसे हुए हैं. उनका भी रेस्क्यू किया जा रहा है. अभी भी बिहार के 200 से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं. वे हमारे भाई की तरह हैं. मैंने यह कहा था कि यह हमारे इंजीनियरिंग की समस्या है. बिहारी तो मजदूर के तौर पर काम करते हैं.

ताश के पत्तों की तरह ढह गयीं इमारतें

गौरतलब है कि इस मानसून शिमला में भूस्खलन की अत्यधिक घटनाएं हुईं जिसकी वजह से कई इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं. मुख्यमंत्री ने इन्हीं घटनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि शिमला एक मजबूत जल निकासी प्रणाली वाला एक पुराना शहर है, लेकिन अब जो निर्माण हो रहे हैं उनमें इस बात का ध्यान नहीं रखा जा रहा है, जिसकी वजह से पानी पहाड़ों में जाकर उन्हें कमजोर कर रहे हैं और भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं. कई इमारतें आज गिरी हैं तो उसकी वजह वैज्ञानिक तरीके से निर्माण ना होना है. उन्होंने कहा कि शिमला डेढ़ सदी से भी अधिक पुराना है और इसकी जल निकासी व्यवस्था उत्कृष्ट थी. अब नालों में इमारतें बन गई हैं.

शिमला में जलनिकासी उच्चस्तरीय

सुखविंदर सिंह ने कहा कि हमारा सचिवालय नौ मंजिला इमारत है, हिमाचल विश्वविद्यालय, समर हिल में एडवांस्ड स्टडी की इमारत आठ मंजिला इमारत है, लेकिन इन इमारतों पर कभी खतरा नहीं मंडराया, क्योंकि इनका निर्माण वैज्ञानिक तरीके से हुआ है. हिमाचल प्रदेश में आयी प्राकृतिक आपदा के बाद सरकार की ओर से बताया गया है कि अबतक प्रदेश में हेलीकॉप्टर की मदद से 780 लोगों को रेस्क्यू किया गया है, जबकि 2500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. शिमला में राहत और बचाव कार्य जारी है.

himachal pradeshHindi Newshimachal pradesh newsPublished Date

Thu, Aug 17, 2023, 2: 05 PM IST