हबीब-तनवीर-:-भारतीय-रंगमंच-के-हीरो,-जिन्होंने-नये-प्रयोग-से-रचा-इतिहास
हबीब तनवीर ने एक और जहां संस्कृत नाटकों के बड़े नामों जैसे शुद्रक, भास, भवभूति और विशाखदत्त के नाटक किये, वहीं पश्चिम के शेक्सपीयर, मौलियर, लोर्का, गोगोल, गोर्की, स्टीफन जविग सरीखे नाटककारों को मंचित किया. साथ ही रवींद्रनाथ ठाकुर, प्रेमचंद, शिशिर दास, असगर वजाहत, शंकर शेष, सफदर हाशमी, विजय दान देथा जैसे रचनाकारों को अपने नाटकों का विषय बनाया. हबीब तनवीर ने हिंदी छोड़ छत्तीसगढ़ बोली में नाटक करना शुरू किया. मध्यवर्गीय तबकों के बजाए मेहनतकशों के बीच से अपने अभिनेता तलाशे. छत्तीसगढ़ी समाज के सबसे निचले हिस्से, निचली जातियों और पेशे से खेत मजदूरों को अपने नाटकों का अभिनेता बनाया. पांच-छह दशकों तक अभिनेताओं के एक ही समूह के साथ काम किया, जो हिंदी रंगमंच में एक परिघटना की तरह था. अपने नाटकों में अधिकांशतः श्रमिक तबके से आने वाले पात्रों को नायकत्व प्रदान किया.

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हबीब तनवीर ने एक और जहां संस्कृत नाटकों के बड़े नामों जैसे शुद्रक, भास, भवभूति और विशाखदत्त के नाटक किये, वहीं पश्चिम के शेक्सपीयर, मौलियर, लोर्का, गोगोल, गोर्की, स्टीफन जविग सरीखे नाटककारों को मंचित किया. साथ ही रवींद्रनाथ ठाकुर, प्रेमचंद, शिशिर दास, असगर वजाहत, शंकर शेष, सफदर हाशमी, विजय दान देथा जैसे रचनाकारों को अपने नाटकों का विषय बनाया. हबीब तनवीर ने हिंदी छोड़ छत्तीसगढ़ बोली में नाटक करना शुरू किया. मध्यवर्गीय तबकों के बजाए मेहनतकशों के बीच से अपने अभिनेता तलाशे. छत्तीसगढ़ी समाज के सबसे निचले हिस्से, निचली जातियों और पेशे से खेत मजदूरों को अपने नाटकों का अभिनेता बनाया. पांच-छह दशकों तक अभिनेताओं के एक ही समूह के साथ काम किया, जो हिंदी रंगमंच में एक परिघटना की तरह था. अपने नाटकों में अधिकांशतः श्रमिक तबके से आने वाले पात्रों को नायकत्व प्रदान किया.