15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के समारोह के बीच, इस खबर को आत्मसात कर पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल था कि बिंदेश्वर पाठक जी हमारे बीच नहीं रहे. सहज, सरल, विनम्र व्यक्तित्व के धनी, सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर जी का जाना एक अपूरणीय क्षति है. स्वच्छता को लेकर उनमें जो जज्बा था, वह मैं तब से देखता आ रहा हूं, जब मैं गुजरात में था. जब मैं दिल्ली आया, तब उनसे भिन्न-भिन्न विषयों पर संवाद और बढ़ गया था. मुझे याद है, जब मैंने साल 2014 में लाल किले से स्वच्छता के विषय पर चर्चा की थी, तो बिंदेश्वर जी कितने उत्साहित हो गये थे. वे पहले दिन से ही स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ गये थे. उनके प्रयासों ने इस अभियान को बहुत ताकत दी.
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