स्मृति-शेष:-'जो-गलत-करेगा,-वह-कौम-का-नहीं…'-डॉ.-खुर्रम-ने-किया-कई-को-कौम-से-खारिज
डॉ. औसाफ शाहमीरी खुर्रम - फोटो : फाइल फोटो विस्तार वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें कौम से ताल्लुक है तो इसके नियम, कायदे और रीति रिवाज भी फॉलो करें... जो ऐसा नहीं कर सकता, उसके लिए कौम में कोई जगह नहीं...। इस धारणा पर चलने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. औसाफ शाहमीरी खुर्रम ने कई लोगों को  Trending Videos कौम निकाला दिया। शुक्रवार को डॉ. खुर्रम के निधन के बाद ये सब अब यादों में रह गया।  कौम निकाले की इस कड़ी में सबसे पहला नाम भोपाल नवाब पटौदी का था। डॉ. खुर्रम ने जब उनके फिल्मी दुनिया से ताल्लुक, शराबखोरी और गैर इस्लामिक गतिविधियों को लेकर कौम निकाले का फरमान जारी किया तो सारे देश में हंगामा मच गया था। इससे आगे चलकर डॉ. औसाफ खुर्रम ने मशहूर चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन और टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा के लिए भी इसी तरह का फरमान जारी किया था। हुसैन द्वारा बनाई गई हिंदू विरोधी चित्र और सानिया मिर्जा द्वारा पहने जाने वाले गैर इस्लामिक कपड़ों को आधार बनाकर उन्होंने यह फैसला सुनाया था। बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. औसाफ शाहमीरी खुर्रम लंबे समय से बीमार थे। भोपाल से लेकर मुंबई तक उनकी इलाज के लिए दौड़ लग रही थी। बावजूद इसके वे अपनी गतिविधियों में लगातार सक्रिय थे। मुस्लिम त्योहार की गहरी जानकारी लोगों तक पहुंचाने की महारत के साथ वे सामाजिक गतिविधियों में भी बने रहते ही। हाल ही में मुहर्रम की शुरुआत पर उन्होंने देशभर में वृक्षारोपण का एक वृहद कार्यक्रम शुरू किया था। शुक्रवार को बीमारी ने उन्हें हरा दिया। उनके इंतकाल की खबर से शहर से लेकर पूरे प्रदेश और देशभर में शोक की लहर फैली हुई है। नाम में वजनदारी डॉ. खुर्रम अपने नाम के साथ इतने लकब जोड़ा करते थे कि नाम की शुरुआत में ही दो लाइन खर्च हो जाती थीं। पीरजादा, चिश्ती और दसों तरह के लकब उनके साथ जुड़े हुए थे। शुरुआती दौर में पत्रकारिता से जुड़े रहते हुए उन्होंने राजधानी के कई बड़े अखबारों में सेवाएं दीं। अखबारी ताल्लुक होने के चलते मुस्लिम त्योहार से जुड़ी खबरों के लिए अधिकांश मीडिया हाउस डॉ. खुर्रम के प्रेसनोट पर ही निर्भर रहा करते थे। अंदाज कुछ ऐसा शहर, प्रदेश, देश और दुनिया की किसी भी खबर, समस्या, शिकायत पर चिट्ठी पत्री लिखना डॉ. खुर्रम की दिनचर्या में शामिल था। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री या राज्यपाल तक को पत्र लिखते हुए उनकी शुरुआती लाइनें होती थीं... बहुत दिनों से आपसे मुलाकात नहीं हो पाई, मैं भी अपने काम में मसरूफ था, आपके पास भी समय की कमी है...। पत्र की इस तहरीर का असर संबंधित निज सचिव या क्लर्क पर यह होता कि वह उनकी चिट्ठी को प्राथमिकता से आगे बढ़ा देता था। मालवा-निमाड़ में बड़ी फॉलोइंग भोपाल में अपने कामों से खास पहचान रखने वाले डॉ. खुर्रम प्रदेश के मालवा, निमाड़, विंध्य आदि क्षेत्रों में भी गहरी पकड़ रखते थे। इन इलाकों में चलने वाली पीर मुरीद वाली परंपरा के चलते यहां उनकी फॉलोइंग बहुत रही है। इन इलाकों में उनका बड़ा समय गुजरता था। यहां उनके मुरीदों की अपने पीर के लिए दीवानगी भी चरम पर थी। (भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट)

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डॉ. औसाफ शाहमीरी खुर्रम – फोटो : फाइल फोटो

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कौम से ताल्लुक है तो इसके नियम, कायदे और रीति रिवाज भी फॉलो करें… जो ऐसा नहीं कर सकता, उसके लिए कौम में कोई जगह नहीं…। इस धारणा पर चलने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. औसाफ शाहमीरी खुर्रम ने कई लोगों को 

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कौम निकाला दिया। शुक्रवार को डॉ. खुर्रम के निधन के बाद ये सब अब यादों में रह गया। 

कौम निकाले की इस कड़ी में सबसे पहला नाम भोपाल नवाब पटौदी का था। डॉ. खुर्रम ने जब उनके फिल्मी दुनिया से ताल्लुक, शराबखोरी और गैर इस्लामिक गतिविधियों को लेकर कौम निकाले का फरमान जारी किया तो सारे देश में हंगामा मच गया था। इससे आगे चलकर डॉ. औसाफ खुर्रम ने मशहूर चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन और टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा के लिए भी इसी तरह का फरमान जारी किया था। हुसैन द्वारा बनाई गई हिंदू विरोधी चित्र और सानिया मिर्जा द्वारा पहने जाने वाले गैर इस्लामिक कपड़ों को आधार बनाकर उन्होंने यह फैसला सुनाया था।

बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. औसाफ शाहमीरी खुर्रम लंबे समय से बीमार थे। भोपाल से लेकर मुंबई तक उनकी इलाज के लिए दौड़ लग रही थी। बावजूद इसके वे अपनी गतिविधियों में लगातार सक्रिय थे। मुस्लिम त्योहार की गहरी जानकारी लोगों तक पहुंचाने की महारत के साथ वे सामाजिक गतिविधियों में भी बने रहते ही। हाल ही में मुहर्रम की शुरुआत पर उन्होंने देशभर में वृक्षारोपण का एक वृहद कार्यक्रम शुरू किया था। शुक्रवार को बीमारी ने उन्हें हरा दिया। उनके इंतकाल की खबर से शहर से लेकर पूरे प्रदेश और देशभर में शोक की लहर फैली हुई है।

नाम में वजनदारी
डॉ. खुर्रम अपने नाम के साथ इतने लकब जोड़ा करते थे कि नाम की शुरुआत में ही दो लाइन खर्च हो जाती थीं। पीरजादा, चिश्ती और दसों तरह के लकब उनके साथ जुड़े हुए थे। शुरुआती दौर में पत्रकारिता से जुड़े रहते हुए उन्होंने राजधानी के कई बड़े अखबारों में सेवाएं दीं। अखबारी ताल्लुक होने के चलते मुस्लिम त्योहार से जुड़ी खबरों के लिए अधिकांश मीडिया हाउस डॉ. खुर्रम के प्रेसनोट पर ही निर्भर रहा करते थे।

अंदाज कुछ ऐसा
शहर, प्रदेश, देश और दुनिया की किसी भी खबर, समस्या, शिकायत पर चिट्ठी पत्री लिखना डॉ. खुर्रम की दिनचर्या में शामिल था। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री या राज्यपाल तक को पत्र लिखते हुए उनकी शुरुआती लाइनें होती थीं… बहुत दिनों से आपसे मुलाकात नहीं हो पाई, मैं भी अपने काम में मसरूफ था, आपके पास भी समय की कमी है…। पत्र की इस तहरीर का असर संबंधित निज सचिव या क्लर्क पर यह होता कि वह उनकी चिट्ठी को प्राथमिकता से आगे बढ़ा देता था।

मालवा-निमाड़ में बड़ी फॉलोइंग
भोपाल में अपने कामों से खास पहचान रखने वाले डॉ. खुर्रम प्रदेश के मालवा, निमाड़, विंध्य आदि क्षेत्रों में भी गहरी पकड़ रखते थे। इन इलाकों में चलने वाली पीर मुरीद वाली परंपरा के चलते यहां उनकी फॉलोइंग बहुत रही है। इन इलाकों में उनका बड़ा समय गुजरता था। यहां उनके मुरीदों की अपने पीर के लिए दीवानगी भी चरम पर थी।
(भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट)

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