सीधी-पेशाब-कांड:-आरोपी-पर-nsa-लगाने-के-खिलाफ-mphc-में-चुनौती,-कहा-cm-के-आदेश-पर-कार्रवाई,-अब-सरकार-देगी-जवाब
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us प्रदेश के साथ ही देश में चर्चित घटना सीधी पेशाब कांड से जुड़ा मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। सीधी में आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने वाले भाजपा नेता के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। कोर्ट को बताया गया कि सीएम के आदेश पर एनएसए के तहत कार्रवाई की गई है। हाईकोर्ट ने सरकार को पक्ष प्रस्तुत करने का समय दिया है। अगली सुनवाई 1 सितम्बर को निर्धारित की गई है। बता दें कि याचिकाकर्ता कंचन शुक्ला की तरफ से दायर की गई है। कंचन आरोपी प्रवेश शुक्ला की पत्नी हैं। याचिका में कहा गया है कि प्रवेश शुक्ला एक पार्टी का नेता है। पति द्वारा एक आदिवासी युवक पर पेशाब करने का वीडियो वायरल होने के बाद इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया गया। प्रशासन द्वारा भी उसके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की गई है। याचिका में एनएसए कार्रवाई की वैधता को चुनौती दी गई थी। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ कर रही है।  सरकार ने क्या दिया था जवाब याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि उसका कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। मामले को राजनीतिक मुद्दे का रूप दिया गया था। जिसके कारण प्रशासन ने आरोपी के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की है। एनएसए की कार्रवाई अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने सरकारी अधिवक्ता को कार्रवाई के संबंध में दिशा-निर्देश प्राप्त करने निर्देश जारी किए थे। सरकार की तरफ से पेश किए गए जवाब में कहा गया था कि पब्लिक ऑर्डर के तहत आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला भी दिया गया था। युगलपीठ को बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा भी एनएसए की कार्रवाई पर सहमति प्रदान कर दी गई है।  क्यों बता रहे कार्रवाई को अवैधानिक याचिकाकर्ता की तरफ से पेश जवाब में कहा गया कि वायरल वीडियो साल 2020 का है। तीन साल बाद वीडियो के आधार पर एनएसए की कार्रवाई करना अवैधानिक है। किसी प्रकार के दंगे या विवाद की कोई स्थिति निर्मित नहीं हुई थी। सीएम द्वारा सोशल मीडिया में की गई पोस्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि यह पब्लिक ऑर्डर के तहत नहीं सीएम ऑर्डर के तहत कार्रवाई की गई है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अनिरुध्द मिश्रा ने पैरवी की।

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो) – फोटो : अमर उजाला

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प्रदेश के साथ ही देश में चर्चित घटना सीधी पेशाब कांड से जुड़ा मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। सीधी में आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने वाले भाजपा नेता के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। कोर्ट को बताया गया कि सीएम के आदेश पर एनएसए के तहत कार्रवाई की गई है। हाईकोर्ट ने सरकार को पक्ष प्रस्तुत करने का समय दिया है। अगली सुनवाई 1 सितम्बर को निर्धारित की गई है।

बता दें कि याचिकाकर्ता कंचन शुक्ला की तरफ से दायर की गई है। कंचन आरोपी प्रवेश शुक्ला की पत्नी हैं। याचिका में कहा गया है कि प्रवेश शुक्ला एक पार्टी का नेता है। पति द्वारा एक आदिवासी युवक पर पेशाब करने का वीडियो वायरल होने के बाद इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया गया। प्रशासन द्वारा भी उसके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की गई है। याचिका में एनएसए कार्रवाई की वैधता को चुनौती दी गई थी। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ कर रही है। 

सरकार ने क्या दिया था जवाब
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि उसका कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। मामले को राजनीतिक मुद्दे का रूप दिया गया था। जिसके कारण प्रशासन ने आरोपी के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की है। एनएसए की कार्रवाई अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने सरकारी अधिवक्ता को कार्रवाई के संबंध में दिशा-निर्देश प्राप्त करने निर्देश जारी किए थे। सरकार की तरफ से पेश किए गए जवाब में कहा गया था कि पब्लिक ऑर्डर के तहत आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला भी दिया गया था। युगलपीठ को बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा भी एनएसए की कार्रवाई पर सहमति प्रदान कर दी गई है। 

क्यों बता रहे कार्रवाई को अवैधानिक
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश जवाब में कहा गया कि वायरल वीडियो साल 2020 का है। तीन साल बाद वीडियो के आधार पर एनएसए की कार्रवाई करना अवैधानिक है। किसी प्रकार के दंगे या विवाद की कोई स्थिति निर्मित नहीं हुई थी। सीएम द्वारा सोशल मीडिया में की गई पोस्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि यह पब्लिक ऑर्डर के तहत नहीं सीएम ऑर्डर के तहत कार्रवाई की गई है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अनिरुध्द मिश्रा ने पैरवी की।

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