भोपाल मेट्रो का काम जारी है – फोटो : फाइल फोटो
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अपने हाथ की संपत्तियों को रेत की तरह हाथ से फिसला देने के माहिर हो चुके औकाफ ए शाही के आधिपत्य से एक और जायदाद छिटकने को तैयार है। सऊदी अरब की शाही रुबात को अपनी कमजोरियों से गंवा चुके औकाफ ने अब शहर के बीच स्थित शाही कब्रिस्तान को ठिकाने लगा दिया है। इसकी शुरुआत एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ की गई किरायादारी से हुई है। आगे चलकर यहां भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले स्टेशन बनने की भी तैयारी बताई जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि राजधानी में चल रहे मेट्रो प्रोजेक्ट का एक चरण पुराने शहर के विभिन्न रास्तों से भी गुजरना है। करोंद सर्कल से एम्स के बीच बनने वाली करीब 15 किमी लंबी यह लाइन अंडर ग्राउंड होगी। जानकारी के मुताबिक यह रूट करोंद सर्कल, कृषि उपज मंडी, डीआईजी बंगला, सिंधी कॉलोनी, नादरा बस स्टैंड, बोगदा पुल, सुभाष नगर, केंद्रीय विद्यालय, डीबी सिटी, हबीबगंज होते हुए एम्स तक जाने वाला है।
सिंधी कॉलोनी पर बनेगा मेट्रो स्टेशन
मेट्रो प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पुराने शहर का मेट्रो स्टेशन सिंधी कॉलोनी पर बनेगा। पुराने शहर की घनी आबादी के बीच इस स्टेशन के लिए पर्याप्त जमीन उपलब्ध न होने के चलते इसके लिए सिंधी कॉलोनी चौराहा स्थित शाही कब्रिस्तान को चुना गया है। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि मेट्रो प्रोजेक्ट के सर्वेसर्वा रहे आईएएस मनीष सिंह ने अपने कार्यकाल में इस मामले में पूरी तैयारी कर ली थी। बताया जाता है कि मेट्रो स्टेशन से जुड़ी इस फाइल को मनीष सिंह ने सभी संबंधित विभागों को सूचना और आवश्यक अनुमतियां भी ले ली थीं। इस संबंध में औकाफ ए शाही ने अपनी तरफ से सहमति दी हैं या नहीं, फिलहाल इसकी कोई पुष्टि नहीं है।
यह स्टेशन होगा सबसे बड़ा
पुराने शहर में बनने वाली मेट्रो प्रोजेक्ट की परपल लाइन के लिए सबसे बड़ी जगह सिंधी कॉलोनी स्थित शाही कब्रिस्तान की ही है। करीब 65 एकड़ में फैली इस जमीन पर औकाफ ए शाही का आधिपत्य है। इसके अलावा सुभाष नगर से करोंद तक कोई बड़ा भूखंड नहीं है, जिस पर मेट्रो का बड़ा स्टेशन बनाया जा सके।
औकाफ ए शाही ने खोया बहुत कुछ
मक्का मदीना में नवाब शासन काल में बनाई गई शाही रुबात अब विवादों में घिरी हुई हैं। मदीना अदालत में इसका केस चल रहा है। इस विवाद के चलते भोपाल रियासत के हाजियों को महंगा खर्च कर होटलों में ठहरने की मजबूरी बनी हुई है। इस स्थिति का जिम्मेदार औकाफ ए शाही की तत्कालीन कमेटी की लापरवाही और लचरता को माना जाता है। औकाफ ए शाही के आधिपत्य के बड़ा बाग कब्रिस्तान की जमीन पर लगातार कब्जे बढ़ रहे हैं। बताया जाता है कि इन कब्जों में औकाफ ए शाही की कमेटी से जुड़े लोगों का नाम भी लिया जाता है। जिनको लेकर अदालत में मामले विचाराधीन हैं। ताजा मामला औकाफ ए शाही द्वारा बड़ा बाग कब्रिस्तान की किरायादारी का है। कमेटी ने करीब 25 एकड़ जमीन 11 महीने के किराए पर दे दी है। कब्रिस्तान की इस किरायादारी को लेकर शहर में नाराजगी बढ़ रही है।
(भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट)
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