वर्ल्ड-टाइगर-डे:-सेंट-पीटर्सबर्ग-टाइगर-समिट-के-लक्ष्य-भारत-ने-किए-पूरे,-देश-में-डबल-तो-mp-में-तिगुने-हुए-बाघ
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Mon, 29 Jul 2024 08: 23 AM IST अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (आईटीडी) की शुरूआत 2010 में हुई थी। इस वर्ष रूस के सेंटपीटर्सबर्ग में टाइगर (बाघ) समिट का आयोजन किया गया था। इसमें बाघों को बचाने और उनको संरक्षण के कामों को प्रोत्साहन देने को लेकर निर्णय लिए गए थे। 2022 की बाघ जनगणना के अनुसार भारत में 3682 और मध्य प्रदेश में 785 बाघ हैं    अंतर्राष्ट्रीय टाइगर डे आज - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us बाघों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। इसका निर्णय 2010 में रूस के सेंटपीटर्सबर्ग शहर में हुई टाइगर समिट में लिया गया था। इस समिट में बाघों के संरक्षण को लेकर चर्चा हुई थी। बाघ की आबादी वाले 13 देशों में इनकी संख्या में गिरावट और उन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए उनकी संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। भारत ने इसे 12 साल में पूरा किया। 2022 में भारत में बाघों की संख्या दोगुनी तो मध्य प्रदेश में तिगुनी हुई। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मध्य प्रदेश में बाघों के प्रबंधन को लेकर लगातार सुधार किया गया। 2010 में भारत में बाघों की संख्या 1706 और मध्य प्रदेश में 257 थी। यह संख्या 2022 की जनसंख्या के अनुसार बढ़कर अब भारत में दोगुनी होकर 3682 और मध्य प्रदेश में  करीब तिगुनी होकर 785 हो गई। मध्य प्रदेश ने वर्ष 2022 की समय-सीमा से काफी पहले इस दोगुने लक्ष्य की उपलब्धि हासिल कर ली।  Trending Videos ऐसे बना मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट  प्रदेश के बाघ प्रदेश बनने के पीछे बाघों की मॉनीटरिंग, प्रबंधन से लेकर गांवों का वैज्ञानिक विस्थापन भी प्रमुख है। पिछले करीब 15 सालों में टाइगर रिजर्व में दूरस्थ क्षेत्र में बसे 215 गांवों को विस्थापित किया गया। इसमें सर्वाधिक 75 गांव सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से बाहर किए गए। दूसरा ट्रांसलोकेशन। कान्हा के बारहसिंगा, बायसन ओर वाइल्ड बोर का ट्रांसलोकेशन कर दूसरे टाइगर रिजर्व में उन्हें बसाया गया। इससे बाघ के लिए भोजन का आधार बढ़ा। तीसरा हैबिटेट का विकास। जंगल के बीच में जो गांव और खेती खाली हुए वहां घास के मैदान और तालाब विकसित किए गए। इससे शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ी और बाघ के लिए भोपाल आसानी से उपलब्ध हुआ। उनकी सुरक्षा व्यवस्था में भी बलाव किए गए। पन्ना टाइगर रिज़र्व में ड्रोन से सर्वेक्षण और निगरानी रखी गई। वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल कर अवैध शिकार को पूरी तरह से रोका गया। क्राइम इन्वेस्टीगेशन और पेट्रोलिंग में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया गया। पन्ना टाइगर रिजर्व में अपना ड्रोन स्क्वॉड है। इसकी मदद वन जीवों की लोकेशन खोजने, उनके बचाव करने, जंगल की आग के स्त्रोत पता लगाने, मानव और पशु संघर्ष के खतरे को टालने करने में ली जाती है।  रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Mon, 29 Jul 2024 08: 23 AM IST

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (आईटीडी) की शुरूआत 2010 में हुई थी। इस वर्ष रूस के सेंटपीटर्सबर्ग में टाइगर (बाघ) समिट का आयोजन किया गया था। इसमें बाघों को बचाने और उनको संरक्षण के कामों को प्रोत्साहन देने को लेकर निर्णय लिए गए थे। 2022 की बाघ जनगणना के अनुसार भारत में 3682 और मध्य प्रदेश में 785 बाघ हैं 
  अंतर्राष्ट्रीय टाइगर डे आज – फोटो : अमर उजाला

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बाघों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। इसका निर्णय 2010 में रूस के सेंटपीटर्सबर्ग शहर में हुई टाइगर समिट में लिया गया था। इस समिट में बाघों के संरक्षण को लेकर चर्चा हुई थी। बाघ की आबादी वाले 13 देशों में इनकी संख्या में गिरावट और उन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए उनकी संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। भारत ने इसे 12 साल में पूरा किया। 2022 में भारत में बाघों की संख्या दोगुनी तो मध्य प्रदेश में तिगुनी हुई। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मध्य प्रदेश में बाघों के प्रबंधन को लेकर लगातार सुधार किया गया। 2010 में भारत में बाघों की संख्या 1706 और मध्य प्रदेश में 257 थी। यह संख्या 2022 की जनसंख्या के अनुसार बढ़कर अब भारत में दोगुनी होकर 3682 और मध्य प्रदेश में  करीब तिगुनी होकर 785 हो गई। मध्य प्रदेश ने वर्ष 2022 की समय-सीमा से काफी पहले इस दोगुने लक्ष्य की उपलब्धि हासिल कर ली। 

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ऐसे बना मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट 
प्रदेश के बाघ प्रदेश बनने के पीछे बाघों की मॉनीटरिंग, प्रबंधन से लेकर गांवों का वैज्ञानिक विस्थापन भी प्रमुख है। पिछले करीब 15 सालों में टाइगर रिजर्व में दूरस्थ क्षेत्र में बसे 215 गांवों को विस्थापित किया गया। इसमें सर्वाधिक 75 गांव सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से बाहर किए गए। दूसरा ट्रांसलोकेशन। कान्हा के बारहसिंगा, बायसन ओर वाइल्ड बोर का ट्रांसलोकेशन कर दूसरे टाइगर रिजर्व में उन्हें बसाया गया। इससे बाघ के लिए भोजन का आधार बढ़ा। तीसरा हैबिटेट का विकास। जंगल के बीच में जो गांव और खेती खाली हुए वहां घास के मैदान और तालाब विकसित किए गए। इससे शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ी और बाघ के लिए भोपाल आसानी से उपलब्ध हुआ। उनकी सुरक्षा व्यवस्था में भी बलाव किए गए। पन्ना टाइगर रिज़र्व में ड्रोन से सर्वेक्षण और निगरानी रखी गई। वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल कर अवैध शिकार को पूरी तरह से रोका गया। क्राइम इन्वेस्टीगेशन और पेट्रोलिंग में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया गया। पन्ना टाइगर रिजर्व में अपना ड्रोन स्क्वॉड है। इसकी मदद वन जीवों की लोकेशन खोजने, उनके बचाव करने, जंगल की आग के स्त्रोत पता लगाने, मानव और पशु संघर्ष के खतरे को टालने करने में ली जाती है। 

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