संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने 2018 में कहा था, “बार-बार चुनाव होने से न केवल मानव संसाधनों पर भारी बोझ पड़ता है, बल्कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है.” मोदी की तरह उन्होंने भी सतत बहस का आह्वान किया था और उम्मीद जताई थी कि सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर आम सहमति पर पहुंचेंगे.
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