लोकसभा-अध्यक्ष-ओम-बिरला-ने-शिलांग-में-सीपीए,-भारत-क्षेत्र-जोन-–-iii-सम्मेलन-का-किया-उद्घाटन,-देखें-तस्वीरें
'उत्तर-पूर्व क्षेत्र को मुख्य भूमि भारत के बराबर लाने के लिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी' की बात करते हुए बिरला ने कहा कि उत्तर पूर्व में मुख्य भूमि के समकक्ष आने की आर्थिक क्षमता है. इसके लिए सबसे पहले आवश्यक है - बुनियादी ढांचे का विकास. इस सन्दर्भ में उन्होंने पीएम गति शक्ति, उत्तर पूर्व में राष्ट्रीय राज मार्ग का विस्तार, उड़ान योजना के तहत ऑपेरशनल हवाई अड्डे की संख्या में वृद्धि, दूरसंचार क्षेत्र, अंतर्देशीय जलमार्ग, वन अभयारण्य, औद्योगिक पार्क आदि कई परियोजनाओं का जिक्र किया. यह विचार व्यक्त करते हुए कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है , बिरला ने कहा कि इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा एक्ट ईस्ट नीति के अंतर्गत क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी का 'फोकल प्वाइंट' बनाने के लिए भी प्रयास हो रहा है जिससे राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर क्षेत्रीय एकजुटता बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि समग्र उत्तर पूर्व क्षेत्र अब एक व्यापक बदलाव की ओर बढ़ रहा है सभी हितधारकों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि विकास की प्रक्रिया में हम मानवीय मूल्यों और नैतिकता के मार्ग से न भटकें और अपनी परंपरा, अपनी विरासत, अपनी संस्कृति की रक्षा करें.

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‘उत्तर-पूर्व क्षेत्र को मुख्य भूमि भारत के बराबर लाने के लिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी’ की बात करते हुए बिरला ने कहा कि उत्तर पूर्व में मुख्य भूमि के समकक्ष आने की आर्थिक क्षमता है. इसके लिए सबसे पहले आवश्यक है – बुनियादी ढांचे का विकास. इस सन्दर्भ में उन्होंने पीएम गति शक्ति, उत्तर पूर्व में राष्ट्रीय राज मार्ग का विस्तार, उड़ान योजना के तहत ऑपेरशनल हवाई अड्डे की संख्या में वृद्धि, दूरसंचार क्षेत्र, अंतर्देशीय जलमार्ग, वन अभयारण्य, औद्योगिक पार्क आदि कई परियोजनाओं का जिक्र किया. यह विचार व्यक्त करते हुए कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है , बिरला ने कहा कि इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा एक्ट ईस्ट नीति के अंतर्गत क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी का ‘फोकल प्वाइंट’ बनाने के लिए भी प्रयास हो रहा है जिससे राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर क्षेत्रीय एकजुटता बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि समग्र उत्तर पूर्व क्षेत्र अब एक व्यापक बदलाव की ओर बढ़ रहा है सभी हितधारकों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि विकास की प्रक्रिया में हम मानवीय मूल्यों और नैतिकता के मार्ग से न भटकें और अपनी परंपरा, अपनी विरासत, अपनी संस्कृति की रक्षा करें.