लव मैरिज के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य हो सकती है. गुजरात सरकार इस दिशा में कदम उठाने की तैयारी में है. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि उनकी सरकार इस बात का अध्ययन करेगी कि क्या प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की अनुमति को अनिवार्य बनाने का प्रावधान संवैधानिक सीमा में रहकर किया जा सकता है.
प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की अनुमति को अनिवार्य बनाने की मांग
पटेल ने यह टिप्पणी पाटीदार समुदाय के कुछ धड़ों द्वारा प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की अनुमति को अनिवार्य बनाने की मांग के जवाब में की. मेहसाणा जिले में पाटीदार समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले सरदार पटेल ग्रुप द्वारा रविवार को आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने उन्हें विवाह के लिए लड़कियों को भगाने की घटनाओं का अध्ययन कराने का सुझाव दिया है, ताकि ऐसी व्यवस्था बनाई जा सके, जिसमें (प्रेम विवाह के लिए) माता-पिता की अनुमति अनिवार्य हो.
मंत्री ऋषिकेश पटेल ने दिया सुझाव
मुख्यमंत्री ने कहा, ऋषिकेश पटेल ने मुझसे लड़कियों को भगाने की घटनाओं का अध्ययन कराने को कहा है, ताकि यह देखा जा सके कि क्या (प्रेम विवाह के लिए) माता-पिता की सहमति को अनिवार्य बनाया जा सकता है. अगर संविधान समर्थन करता है, तो हम इस संबंध में अध्ययन करेंगे और इसके लिए सर्वोत्तम व्यवस्था लागू करने की कोशिश करेंगे.
कांग्रेस ने भी सरकार के कदम की सराहना ही, समर्थन का दिया आश्वासन
कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला ने कहा कि अगर सरकार विधानसभा में इस संबंध में कोई विधेयक लेकर आती है, तो वह उसका समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा, ऐसा समय जिसमें प्रेम विवाह के दौरान माता-पिता को नजरअंदाज कर दिया जाता है, सरकार प्रेम विवाह के लिए विशेष प्रावधान करने पर विचार कर रही है, जो संवैधानिक हो. खेड़ावाला ने कहा, मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की अनुमति को अनिवार्य बनाने को लेकर अध्ययन कराया जाएगा. अगर राज्य सरकार विधानसभा सत्र में ऐसा कोई विधेयक लेकर आती है, तो मैं उसका समर्थन करूंगा.
गुजरात धार्मिक स्वंतत्रता अधिनियम का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
गुजरात सरकार ने 2021 में गुजरात धार्मिक स्वंतत्रता अधिनियम में संशोधन किया था और विवाह के लिए जबरन या फर्जी तरीके से धर्मांतरण को दंडनीय अपराध बनाया था. संशोधित अधिनियम के तहत दोषियों को 10 साल के कारावास की सजा देने का प्रावधान किया गया था. हालांकि, बाद में गुजरात हाई कोर्ट ने अधिनियम की विवादित धाराओं के अमल पर रोक लगा दी थी. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और मामला शीर्ष अदालत में विचाराधीन है.
marriageGujaratPublished Date
Mon, Jul 31, 2023, 8: 37 PM IST
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