न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: शबाहत हुसैन Updated Tue, 18 Jun 2024 03: 56 PM IST
MP: वर्तमान में राधा रानी पर दिए गए विवाद के बाद सीहोर के कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा और संत प्रेमानंद महाराज के बीच वाक युद्ध लगातार जारी है। सोशल मीडिया पर तो पंडित प्रदीप मिश्रा और संत प्रेमानंद महाराज के अनुयायियों द्वारा इस विवाद को लेकर दिए गए हर बयान को बढ़-चढ़कर प्रसारित किया जा रहा है। राधा रानी विवाद – फोटो : अमर उजाला
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राधा रानी को लेकर उपजे विवाद में साधु संतों से उनकी राय जानी गई, लेकिन इस विवाद के दूसरे पक्ष यानी की श्रद्धालुओं से भी यह जानने का प्रयास किया कि कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा हो या संत प्रेमानंद महाराज राधा रानी को लेकर जो भी कहा या सुना जा रहा है उसके बारे में श्रद्धालु आखिर क्या मानते हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश से दर्शन करने आए राम दयाल ने बताया कि राधा रानी बरसाने की हैं, उनका सम्मान होना चाहिए। पंडित प्रदीप मिश्रा जो भी कह रहे हैं यह उनके विचार हैं, लेकिन इस प्रकार की बातें देवी देवताओं पर नहीं होना चाहिए।
कथावाचक हो या संत हम दोनों को फॉलो करते
इस बारे में लखनऊ से परिवार के साथ साथ दर्शन करने आए डॉ के एल मिश्रा से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा बुद्धिजीवी गुरु है और प्रेमानंद जी अपने आप शीर्ष गुरु कहलाते हैं, उनके विचार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हिंदुत्व धर्म पर इस प्रकार की बात नहीं होना चाहिए। यह गुरु हमारे लिए आदर्श हैं इसीलिए उन्हें ऐसी बातें नहीं कहना चाहिए कथावाचक हो या संत इन्हें मिलकर हिंदुत्व को बढ़ाना चाहिए। धर्मगुरुओं को समाज में एकता लाना चाहिए।
हिंदू धर्म में वर्तमान में जो विघटन हो रहा है उसे रोकने के साथ ही गड़बड़ करने वाले लोगों के पर भी धर्म गुरुओं को ध्यान रखना चाहिए। धर्मगुरु वर्तमान में जो अलग-अलग विचार दे रहे हैं वह गलत है हम धर्मगुरुओं को फॉलो करते हैं, इसलिए उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। एक संगठन ऐसा होना चाहिए जो ऐसे धर्म गुरुओं के द्वारा कहीं जाने वाली बातों पर भी विराम लगा सके। वर्तमान में हिंदुओं के सबूत और प्रमाण मांगे जाते हैं लेकिन यहां बात आस्था की है धर्म गुरुओं को भी अपने विचार व्यक्तिगत रखना चाहिए।
ऐसे विचारों को सुनकर युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है गलत असर
इस्कॉन मंदिर में दर्शन करने आई लखनऊ निवासी नीतू शुक्ला ने बताया कि किसी भी श्रेष्ठ पर रहने वाले व्यक्ति को ऐसी टिप्पणी से बचना चाहिए। वर्तमान में हिंदुओं से हर तरह का प्रमाण मांगा जा रहा है जोकि गलत है। इस प्रकार के विवाद इस स्तर पर नहीं होना चाहिए क्योंकि जनता ऐसे कथावाचको और संतों को देख रही है उनका अनुसरण कर रही है। इस फोरम पर ऐसे विवाद बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए ऐसे विचारों को सुनकर हमारी युवा पीढ़ी जो इन्हें देख व सुन रही है उन पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।
प्रेमानंद जी महाराज को सही मानता हूं
उत्तर प्रदेश बिहार से दर्शन करने आए आकाश शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में जो भी हो रहा है वह गलत है यह दुर्भाग्य की बात है कि हिंदू धर्म के ऊपर हमारे ही संत इस तरह के विचार व्यक्त कर रहे हैं। इस वाक युद्ध में संत प्रेमानंद सही है या कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के जवाब में आपने कहा कि मैं इस मामले में संत प्रेमानंद जी को सही मानता हूं क्योंकि संत प्रेमानंद जी ने ही राधा रानी के एक अलग ही स्वरूप को सभी के सामने पेश किया है और यही नहीं राधा रानी के करोड़ों भक्तों को इस प्रकार की टिप्पणी से आघात पहुंचा है।
शिक्षिका पारुल उपाध्याय क्या बोली
इधर, उज्जैन की एक शिक्षिका पारुल उपाध्याय ने बताया कि पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने जो कहा उसे गलत तरीके से समझा जा रहा है, उनके कहने में कहीं भी राधा रानी का कोई अपमान नहीं हुआ है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने जो भी बात कही उसमें कहीं भी राधा रानी जी को छोटा नहीं बताया गया है। श्री कृष्ण की तरह ही राधा रानी जी की भी लीलाएं हैं ब्रह्मा जी ने स्वयं उनकी शादी करवाई थी, जिसका वर्णन शास्त्रों में भी है, इसमें कोई नई बात नहीं है। राधा रानी जी के भक्तों ने इस बात का गलत अर्थ निकाला है जिसके कारण यह विवाद का विषय बन गया है, लेकिन विवाद जैसी तो कोई बात ही नहीं है राधा रानी जी श्री कृष्ण की शक्ति है।राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण के युगल रूप की हम करते हैं पूजा – पंडित राघवदास
इस्कॉन मंदिर के पीआरओ पंडित राघवदास से चर्चा
वहीं, इस पूरे मामले मे जब इस्कॉन मंदिर के पीआरओ पंडित राघवदास से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि इस्कॉन ब्रह्म, मथ, वैष्णव व गोरिय संप्रदाय के अंतर्गत आता है हमारे आराध्य युगल राधा कृष्ण के रूप में नजर आते हैं राधा कृष्ण की भक्ति ही हमारा परम आधार है इसमें श्रीमती राधा रानी की भक्ति देखकर भगवान श्री कृष्णा दौड़े चले आते हैं। भगवान की भक्ति कई प्रकार से की जाती है जिसमें शांत, दाश्य, शाक्य व माधुर्य भाव विशेष है भगवान श्री कृष्ण की भक्ति माधुर्य भाव से की जाती है लेकिन हम इसे दास्य भाव से कहते हैं भगवान की भक्ति को उनके उपासक वेदी भक्ति और रागी भक्ति के रूप में करते हैं वेदी भक्ति करने वाले उनके उपासक श्रीमद भागवत कथा ग्रंथ संहिता व अन्य ग्रन्थों के माध्यम से उनकी कथाओं और लीलाओं का गुणगान करते हैं, जबकि रागी भक्ति करने वाले भक्ति उनकी उपासना के अनुसार उन्हें मानते हैं।
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