मैपकास्ट-में-फर्जीवाड़ा:-27-लाख-का-काम-लेने-वाली-संस्था-रेवा-का-पता-फर्जी,-इटारसी-नहीं-सारणी-में-है-रजिस्टर
मैप कास्ट भोपाल - फोटो : social media विस्तार Follow Us मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकास्ट) में लगातार गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। 'विज्ञान सर्वत्र पूज्यंते' कार्यक्रम के लिए मैपकास्ट से 27 लाख रुपये का काम लेने वाली संस्था रेवा इंटरप्राइजेस का पता फर्जी निकला है। अमर उजाला की पड़ताल में सामने आया कि जीएसटी पंजीयन में रेवा इंटरप्राइजेस का पता बैतूल जिले के सारणी वार्ड नंबर-12 शॉपिंग सेंटर के पास दर्ज है, जबकि मैपकास्ट में संस्था की तरफ से लगाए दस्तावेजों में संस्था का पता गांधी नगर इटारसी का दिया गया है। जीएसटी रजिस्ट्रेशन में संस्था की तरफ से अपनी किसी अतिरिक्त शाखा की जानकारी भी नहीं दी गई है। यह जीएसटी नियमों का भी उल्लंघन है। बता दें, मैपकास्ट ने 2022 में विज्ञान सर्वत्र पूज्यंते कार्यक्रम में रेवा इंटरप्राइजेस को 27 लाख रुपये काम दिया था। इसके बिलों में वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक की टीप पर 16 लाख रुपये की कटौती की गई थी। इस संस्था के पते पर दो बार भुगतान स्वीकृति आदेश भेजे गए थे, लेकिन वे लौट आए थे।  Trending Videos यह है मामला  मैपकास्ट का कार्यक्रम होने के बाद पुरानी तारीख में टेंडर के दस्तावेज जारी किए गए थे। इस मामले में मुख्यमंत्री और लोकायुक्त को शिकायत की गई है। भारत सरकार से विज्ञान सर्वत्र पूज्यंते कार्यक्रम के लिए 30 लाख रुपये मैपकास्ट को भेजे थे। इसके तहत भोपाल, इंदौर और जबलपुर में कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों को कराने का काम तुषार इंटरप्राइजेस नाम की संस्था को दिया गया, जबकि पुरानी तारीख में टेंडर डॉक्यूमेंट की प्रक्रिया कर रेवा इंटरप्राइजेस को भुगतान किया गया। इसमें हर स्तर पर गड़बड़ी करने के आरोप लग रहे हैं। अपने सीए से बात करूंगा  रेवा इंटरप्राइजेस के संचालक अनिल यादव ने कहा कि उनकी फर्म इटारसी से भी संचालित होती है। जब उनसे जीएसटी पंजीयन में कोई दूसरा सब ऑफिस का जिक्र नहीं होने की बात कि तो उन्होंने कहा कि वे अपने सीए से बात करेंगे। वहीं, मैपकास्ट के टेंडर की जानकारी को लेकर पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी वे उसके बारे में जानकारी नहीं दे सकते।  टेंडर प्रक्रिया नियमों के अनुसार की गई  वहीं, मैपकास्ट के डीजी डॉ. अनिल कोठारी ने कहा कि टेंडर प्रक्रिया का पालन करते हुए पूरा काम दिया गया है। इसमें किसी प्रकार की कोई वित्तीय अनियमितता नहीं है। संस्था का पता गलत होने की उनको जानकारी नहीं है।  मेरी भूमिका सिर्फ काम बताना थी  वहीं, मैपकास्ट के मुख्य वैज्ञानिक राकेश आर्य  का मामले में कहना है कि मुझसे महानिदेशक ने दबाव देकर 19 फरवरी को 14 फरवरी की तारीख में कार्यक्रम की आवश्यकताएं मांगी जिसके बाद टेंडर कैसे हुआ मुझे नहीं पता, कार्यक्रम उपरांत मुझसे प्रशासन ने प्राप्त टेंडर दस्तावेज में पिछली तारीख में सेवा उपार्जन समिति के छह सदस्यों के हस्ताक्षर के बाद कक्ष प्रतिनिधि के तौर पर हस्ताक्षर करवाए।

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

मैप कास्ट भोपाल – फोटो : social media

विस्तार Follow Us

मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकास्ट) में लगातार गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यंते’ कार्यक्रम के लिए मैपकास्ट से 27 लाख रुपये का काम लेने वाली संस्था रेवा इंटरप्राइजेस का पता फर्जी निकला है। अमर उजाला की पड़ताल में सामने आया कि जीएसटी पंजीयन में रेवा इंटरप्राइजेस का पता बैतूल जिले के सारणी वार्ड नंबर-12 शॉपिंग सेंटर के पास दर्ज है, जबकि मैपकास्ट में संस्था की तरफ से लगाए दस्तावेजों में संस्था का पता गांधी नगर इटारसी का दिया गया है। जीएसटी रजिस्ट्रेशन में संस्था की तरफ से अपनी किसी अतिरिक्त शाखा की जानकारी भी नहीं दी गई है। यह जीएसटी नियमों का भी उल्लंघन है। बता दें, मैपकास्ट ने 2022 में विज्ञान सर्वत्र पूज्यंते कार्यक्रम में रेवा इंटरप्राइजेस को 27 लाख रुपये काम दिया था। इसके बिलों में वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक की टीप पर 16 लाख रुपये की कटौती की गई थी। इस संस्था के पते पर दो बार भुगतान स्वीकृति आदेश भेजे गए थे, लेकिन वे लौट आए थे। 

Trending Videos

यह है मामला 
मैपकास्ट का कार्यक्रम होने के बाद पुरानी तारीख में टेंडर के दस्तावेज जारी किए गए थे। इस मामले में मुख्यमंत्री और लोकायुक्त को शिकायत की गई है। भारत सरकार से विज्ञान सर्वत्र पूज्यंते कार्यक्रम के लिए 30 लाख रुपये मैपकास्ट को भेजे थे। इसके तहत भोपाल, इंदौर और जबलपुर में कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों को कराने का काम तुषार इंटरप्राइजेस नाम की संस्था को दिया गया, जबकि पुरानी तारीख में टेंडर डॉक्यूमेंट की प्रक्रिया कर रेवा इंटरप्राइजेस को भुगतान किया गया। इसमें हर स्तर पर गड़बड़ी करने के आरोप लग रहे हैं।

अपने सीए से बात करूंगा 
रेवा इंटरप्राइजेस के संचालक अनिल यादव ने कहा कि उनकी फर्म इटारसी से भी संचालित होती है। जब उनसे जीएसटी पंजीयन में कोई दूसरा सब ऑफिस का जिक्र नहीं होने की बात कि तो उन्होंने कहा कि वे अपने सीए से बात करेंगे। वहीं, मैपकास्ट के टेंडर की जानकारी को लेकर पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी वे उसके बारे में जानकारी नहीं दे सकते। 

टेंडर प्रक्रिया नियमों के अनुसार की गई 
वहीं, मैपकास्ट के डीजी डॉ. अनिल कोठारी ने कहा कि टेंडर प्रक्रिया का पालन करते हुए पूरा काम दिया गया है। इसमें किसी प्रकार की कोई वित्तीय अनियमितता नहीं है। संस्था का पता गलत होने की उनको जानकारी नहीं है। 

मेरी भूमिका सिर्फ काम बताना थी 
वहीं, मैपकास्ट के मुख्य वैज्ञानिक राकेश आर्य  का मामले में कहना है कि मुझसे महानिदेशक ने दबाव देकर 19 फरवरी को 14 फरवरी की तारीख में कार्यक्रम की आवश्यकताएं मांगी जिसके बाद टेंडर कैसे हुआ मुझे नहीं पता, कार्यक्रम उपरांत मुझसे प्रशासन ने प्राप्त टेंडर दस्तावेज में पिछली तारीख में सेवा उपार्जन समिति के छह सदस्यों के हस्ताक्षर के बाद कक्ष प्रतिनिधि के तौर पर हस्ताक्षर करवाए।

Posted in MP