तिरंगा फहराने के लिए जुटे निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग
20 सितंबर, 1942 को बड़ी संख्या में सत्याग्रही स्थानीय पुलिस स्टेशन में तिरंगा फहराने के लिए जुटे थे. इसी दौरान आजादी के लिए संघर्षरत निहत्थे लोगों पर अंग्रेजों की पुलिस ने अंधाधुंध गोलियां बरसायीं, जिसमें करीब पंद्रह लोग शहीद हो गये, जिसमें तिलेश्वरी भी थीं. कुछ वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ढेकियाजुली गये थे और शहीदों को श्रद्धांजलि दी थी. 20 सितंबर का दिन, जिस दिन तिलेश्वरी बरुआ ने शहादत प्राप्त की, असम में अब शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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