महाकाल-की-शाही-सवारी:-आज-भी-एक-नारियल-और-पतासे-का-मेहनतताना-लेकर-कहार-उठाते-हैं-बाबा-महाकाल-की-पालकी
बाबा महाकाल की पालकी उठाते कहार.... विस्तार Follow Us प्रतिवर्ष बाबा महाकाल की निकलने वाली सवारियों में महाकाल की पालकी को शुरू से ही कहार समाज के लोग उठाते चले आए हैं। 100 वर्ष से अधिक समय हो गया वर्तमान में महाकाल की पालकी को उठाने वाले तीसरी पीढ़ी के कहार हैं। जो पालकी उठाने की सेवा कर रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर मंदिर से वर्षों में निकलने वाली सभी सवारियों में कहार समाज के लोग बाबा की पालकी को कंधों पर उठाते हुए आए हैं। 100 वर्षों से अधिक हो गया है कहार समाज बाबा महाकाल की पालकी की सेवा करता आया है। वर्तमान में पालकी प्रमुख प्रशांत चंदेरी ने बताया कि बाबा महाकाल की सभी सवारियों में कहार समाज के व्यक्ति ही महाकाल बाबा की पालकी उठाते हैं। यह इनकी तीसरी पीढ़ी है, पहले इनके दादा जी फिर इनके पिता जी अब स्वयं बाबा महाकाल की सेवा में वर्षों से पालकी उठाने की सेवा करते आए हैं। वर्षों पहले इनके दादाजी के समय में बाबा महाकाल पालकी लकड़ी की हुआ करती थी। उस समय पालकी उठाने के लिए 25 व्यक्ति हुआ करते थे। मंदिर की तरफ से एक नारियल पतासे की स्वरूप में दिए जाते थे। मेरे दादाजी के निधन के बाद मेरे पिताजी ने पालकी उठाने की सेवा की। उनके बाद से मैं तीसरी पीढ़ी हूं। लगातार 26 वर्षों से अधिक हो चुके हैं मुझे। अब बाबा महाकाल की पालकी की सेवा कर रहा हूं। सन 2000 से 2010 तक चांदी की पालकी उठाने के लिए 50 व्यक्ति होते थे, क्योंकि पालकी लोहे के स्ट्रक्चर और लकड़ी के ऊपर चांदी की परत से बनी होती थी, जिससे पालकी का वजन कम रहता था। सन 2010 से यह तीसरी पालकी है। यह वाली पालकी भारी रहती हैं। इस पालकी में लोहे का स्ट्रक्चर, स्टील और चांदी लकड़ी होती है इसलिए पालकी भारी हो जाती है। अब पालकी उठाने के लिए 80 व्यक्ति लगाने पड़ते हैं। महाकाल मंदिर की तरफ से पालकी अध्यक्ष हेमराज कहार हैं। पालकी में पालकी की प्रमुख प्रशांत चंदेरी, जितेंद्र कहार, किशन कहार, दीपक कहार, गिरीश कहार आदि पालकी मैं बाकी अन्य कहार समाज के पालकी उठाने में रहते हैं। पालकी प्रमुख प्रशांत चंदेरी बताते हैं कि महाकाल बाबा की पालकी किसी चमत्कार से कम नहीं है। जब बाबा महाकाल की पूजन अर्चन होती हैं और उसके बाद पालकी में विराजते हैं। उससे पहले पालकी का वजन कम होता है जैसे ही पूजन अर्चन होने के बाद जब पालकी उठाते हैं तो पालकी का वजन अचानक बढ़ जाता है। ऐसा लगता है की पालकी में बाबा विराजमान हो गए हैं जिससे पालकी भारी हो जाती है। बाबा महाकाल की पालकी उठाते कहार.... बाबा महाकाल की पालकी उठाते कहार....

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बाबा महाकाल की पालकी उठाते कहार….

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प्रतिवर्ष बाबा महाकाल की निकलने वाली सवारियों में महाकाल की पालकी को शुरू से ही कहार समाज के लोग उठाते चले आए हैं। 100 वर्ष से अधिक समय हो गया वर्तमान में महाकाल की पालकी को उठाने वाले तीसरी पीढ़ी के कहार हैं। जो पालकी उठाने की सेवा कर रहे हैं।

विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर मंदिर से वर्षों में निकलने वाली सभी सवारियों में कहार समाज के लोग बाबा की पालकी को कंधों पर उठाते हुए आए हैं। 100 वर्षों से अधिक हो गया है कहार समाज बाबा महाकाल की पालकी की सेवा करता आया है। वर्तमान में पालकी प्रमुख प्रशांत चंदेरी ने बताया कि बाबा महाकाल की सभी सवारियों में कहार समाज के व्यक्ति ही महाकाल बाबा की पालकी उठाते हैं। यह इनकी तीसरी पीढ़ी है, पहले इनके दादा जी फिर इनके पिता जी अब स्वयं बाबा महाकाल की सेवा में वर्षों से पालकी उठाने की सेवा करते आए हैं। वर्षों पहले इनके दादाजी के समय में बाबा महाकाल पालकी लकड़ी की हुआ करती थी। उस समय पालकी उठाने के लिए 25 व्यक्ति हुआ करते थे। मंदिर की तरफ से एक नारियल पतासे की स्वरूप में दिए जाते थे। मेरे दादाजी के निधन के बाद मेरे पिताजी ने पालकी उठाने की सेवा की। उनके बाद से मैं तीसरी पीढ़ी हूं। लगातार 26 वर्षों से अधिक हो चुके हैं मुझे। अब बाबा महाकाल की पालकी की सेवा कर रहा हूं।

सन 2000 से 2010 तक चांदी की पालकी उठाने के लिए 50 व्यक्ति होते थे, क्योंकि पालकी लोहे के स्ट्रक्चर और लकड़ी के ऊपर चांदी की परत से बनी होती थी, जिससे पालकी का वजन कम रहता था। सन 2010 से यह तीसरी पालकी है। यह वाली पालकी भारी रहती हैं। इस पालकी में लोहे का स्ट्रक्चर, स्टील और चांदी लकड़ी होती है इसलिए पालकी भारी हो जाती है। अब पालकी उठाने के लिए 80 व्यक्ति लगाने पड़ते हैं। महाकाल मंदिर की तरफ से पालकी अध्यक्ष हेमराज कहार हैं। पालकी में पालकी की प्रमुख प्रशांत चंदेरी, जितेंद्र कहार, किशन कहार, दीपक कहार, गिरीश कहार आदि पालकी मैं बाकी अन्य कहार समाज के पालकी उठाने में रहते हैं।

पालकी प्रमुख प्रशांत चंदेरी बताते हैं कि महाकाल बाबा की पालकी किसी चमत्कार से कम नहीं है। जब बाबा महाकाल की पूजन अर्चन होती हैं और उसके बाद पालकी में विराजते हैं। उससे पहले पालकी का वजन कम होता है जैसे ही पूजन अर्चन होने के बाद जब पालकी उठाते हैं तो पालकी का वजन अचानक बढ़ जाता है। ऐसा लगता है की पालकी में बाबा विराजमान हो गए हैं जिससे पालकी भारी हो जाती है।

बाबा महाकाल की पालकी उठाते कहार….

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