मणिपुर-में-निर्वस्त्र-करने-से-दिल्ली-में-राॅड-से-मारकर-हत्या-तक,महिलाओं-के-साथ-हुए-इन-अपराधों-की-क्या-है-सजा?
-महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में बलात्कार सबसे प्रमुख है. 2012 के निर्भया कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की घटनाओं में मौत की सजा का भी प्रावधान किया है. हालांकि दुष्कर्म की घटनाओं में अधिकतर सात की सजा का प्रावधान है. -महिलाओं के साथ अभद्रता करने के खिलाफ भी कई कानून हैं, जिनमें चोरी से उनका वीडियो बनाना, उनकी नग्न तसवीर लेना, उन्हें निर्वस्त्र होने के लिए बाध्य करना सहित उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले अपराधों के लिए भी सजा का प्रावधान है. काफी संशोधनों के बाद अब महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले अपराध को गैरजमानती करार दिया गया है. ऐसे अपराधों में एक से 10 साल तक की कठोर सजा का प्रावधान किया गया है. आईपीसी की धार 354 के तहत यह प्रावधान किया गया है. आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 के अनुसार यह व्यवस्था की गयी है. - हत्या के मामले में आजीवन कारावास और मौत की सजा तक का प्रावधान है. हालांकि मौत की सजा रेअर मामलों में ही मिलती है. पहले आजीवन कारावास में 14 साल की सजा होती थी, लेकिन अब अपराध जघन्य होने पर आजीवन कारावास यानी दोषी के जीवनकाल तक की सजा का प्रावधान भी किया गया है. यह तमाम प्रावधान आईपीसी धारा 302 में वर्णित है.

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-महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में बलात्कार सबसे प्रमुख है. 2012 के निर्भया कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की घटनाओं में मौत की सजा का भी प्रावधान किया है. हालांकि दुष्कर्म की घटनाओं में अधिकतर सात की सजा का प्रावधान है.

-महिलाओं के साथ अभद्रता करने के खिलाफ भी कई कानून हैं, जिनमें चोरी से उनका वीडियो बनाना, उनकी नग्न तसवीर लेना, उन्हें निर्वस्त्र होने के लिए बाध्य करना सहित उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले अपराधों के लिए भी सजा का प्रावधान है. काफी संशोधनों के बाद अब महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले अपराध को गैरजमानती करार दिया गया है. ऐसे अपराधों में एक से 10 साल तक की कठोर सजा का प्रावधान किया गया है. आईपीसी की धार 354 के तहत यह प्रावधान किया गया है. आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 के अनुसार यह व्यवस्था की गयी है.

– हत्या के मामले में आजीवन कारावास और मौत की सजा तक का प्रावधान है. हालांकि मौत की सजा रेअर मामलों में ही मिलती है. पहले आजीवन कारावास में 14 साल की सजा होती थी, लेकिन अब अपराध जघन्य होने पर आजीवन कारावास यानी दोषी के जीवनकाल तक की सजा का प्रावधान भी किया गया है. यह तमाम प्रावधान आईपीसी धारा 302 में वर्णित है.