भविष्य के मिशन में मंगल ग्रह पर उतरने में भी मदद करेगी वैज्ञानिकों का मानना है कि इन प्रणालियों ने यान को चंद्रमा की सतह पर सटीकता के साथ पहुंचाने, खतरों का पता लगाने और अंततः सुरक्षित लैंडिंग करने में सक्षम बनाया. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत स्वायत्त संगठन, विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक और एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की पब्लिक आउटरीच कमेटी के सदस्य डॉ. टी वी वेंकटेश्वरन ने प्रौद्योगिकी के इस एकीकरण की सराहना करते हुए कहा कि यह युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करेगा और वैज्ञानिक जिज्ञासा को बढ़ावा देगा. वेंकटेश्वरन ने कहा कि सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग से पता चलता है कि एआई-संचालित एल्गोरिद्म ने अच्छा काम किया है. उसी एल्गोरिद्म को संशोधित किया जा सकता है और अन्य स्वायत्त यानों को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस सफलता से इसरो के साथ-साथ देशभर के वैज्ञानिकों का भी मनोबल बढ़ेगा. इसके अलावा, यह चंद्रमा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लगातार अध्ययन का मार्ग प्रशस्त करेगा. यही तकनीक इसरो को भविष्य के मिशन में मंगल ग्रह पर उतरने में भी मदद करेगी.

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भविष्य के मिशन में मंगल ग्रह पर उतरने में भी मदद करेगी

वैज्ञानिकों का मानना है कि इन प्रणालियों ने यान को चंद्रमा की सतह पर सटीकता के साथ पहुंचाने, खतरों का पता लगाने और अंततः सुरक्षित लैंडिंग करने में सक्षम बनाया. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत स्वायत्त संगठन, विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक और एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की पब्लिक आउटरीच कमेटी के सदस्य डॉ. टी वी वेंकटेश्वरन ने प्रौद्योगिकी के इस एकीकरण की सराहना करते हुए कहा कि यह युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करेगा और वैज्ञानिक जिज्ञासा को बढ़ावा देगा. वेंकटेश्वरन ने कहा कि सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग से पता चलता है कि एआई-संचालित एल्गोरिद्म ने अच्छा काम किया है. उसी एल्गोरिद्म को संशोधित किया जा सकता है और अन्य स्वायत्त यानों को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस सफलता से इसरो के साथ-साथ देशभर के वैज्ञानिकों का भी मनोबल बढ़ेगा. इसके अलावा, यह चंद्रमा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लगातार अध्ययन का मार्ग प्रशस्त करेगा. यही तकनीक इसरो को भविष्य के मिशन में मंगल ग्रह पर उतरने में भी मदद करेगी.