बाबा-रामदेव-को-सुप्रीम-राहत,-भ्रामक-विज्ञापन-के-मामले-में-माफी-मांगने-के-बाद-अवमानना-की-कार्यवाही-बंद
योग गुरु बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. भ्रामक विज्ञापन के मामले में सर्वोच्च अदालत में माफी मांग लिये जाने के बाद उनके खिलाफ मंगलवार को अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी गई है. | August 13, 2024 1: 25 PM भ्रामक विज्ञापन मामले में माफी मांगने के बाद सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही बंद. नई दिल्ली: योग गुरु बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. भ्रामक विज्ञापन के मामले में सर्वोच्च अदालत में माफी मांग लिये जाने के बाद उनके खिलाफ मंगलवार को अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी गई है. योगगुरु रामदेव, बालकृष्ण और उनकी कंपनी की ओर से अधिवक्ता गौतम तालुकदार ने कहा कि अदालत ने रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के शपथपत्रों के आधार पर अवमानना कार्यवाही बंद कर दी है. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसनुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने मामले में रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रखा था. सुप्रीम कोर्ट में आईएमए दायर की थी याचिका मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ बदनाम करने वाला अभियान चलाने का आरोप लगाया गया था. अदालत ने 27 फरवरी को पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक बालकृष्ण को नोटिस जारी कर पूछा था कि कंपनी के उत्पादों और उनके औषधीय प्रभावों का विज्ञापन करने के बारे में पहले अदालत में दिए गए कंपनी के शपथपत्र का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ क्यों न अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए. इसे भी पढ़ें: Hindenburg की दूसरी रिपोर्ट से मचा कोहराम! जानें अब तक की कहानी 21 नवंबर 2023 को बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट को दिया था वचन सर्वोच्च अदालत ने 19 मार्च को कहा था कि रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी करना उचित समझा गया, क्योंकि पतंजलि की ओर से जारी विज्ञापन उनके द्वारा समर्थन को दर्शाते हैं, जो 21 नवंबर, 2023 को अदालत को दिए गए वचन के विपरीत हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर, 2023 के अपने आदेश में जिक्र किया था कि पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने आश्वासन दिया है कि इसके बाद किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा. विशेष रूप से कंपनी के द्वारा निर्मित और विपणन किए जाने वाले उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग के संबंध में ऐसा नहीं किया जाएगा. इसके अलावा, औषधीय प्रभावों का दावा करने वाले या किसी भी चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ कोई भी आकस्मिक बयान किसी भी रूप में मीडिया को जारी नहीं किया जाएगा. सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड इस आश्वासन के प्रति बाध्य है. इसे भी पढ़ें: हिंडनबर्ग मामले में वित्त मंत्रालय ने सेबी के माथे पर फोड़ा ठीकरा, कहा- माधवी बुच के बाद बोलने को बाकी नहीं

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

योग गुरु बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. भ्रामक विज्ञापन के मामले में सर्वोच्च अदालत में माफी मांग लिये जाने के बाद उनके खिलाफ मंगलवार को अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी गई है.

| August 13, 2024 1: 25 PM

भ्रामक विज्ञापन मामले में माफी मांगने के बाद सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही बंद. नई दिल्ली: योग गुरु बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. भ्रामक विज्ञापन के मामले में सर्वोच्च अदालत में माफी मांग लिये जाने के बाद उनके खिलाफ मंगलवार को अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी गई है. योगगुरु रामदेव, बालकृष्ण और उनकी कंपनी की ओर से अधिवक्ता गौतम तालुकदार ने कहा कि अदालत ने रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के शपथपत्रों के आधार पर अवमानना कार्यवाही बंद कर दी है. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसनुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने मामले में रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रखा था.

सुप्रीम कोर्ट में आईएमए दायर की थी याचिका मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ बदनाम करने वाला अभियान चलाने का आरोप लगाया गया था. अदालत ने 27 फरवरी को पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक बालकृष्ण को नोटिस जारी कर पूछा था कि कंपनी के उत्पादों और उनके औषधीय प्रभावों का विज्ञापन करने के बारे में पहले अदालत में दिए गए कंपनी के शपथपत्र का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ क्यों न अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए.

इसे भी पढ़ें: Hindenburg की दूसरी रिपोर्ट से मचा कोहराम! जानें अब तक की कहानी

21 नवंबर 2023 को बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट को दिया था वचन सर्वोच्च अदालत ने 19 मार्च को कहा था कि रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी करना उचित समझा गया, क्योंकि पतंजलि की ओर से जारी विज्ञापन उनके द्वारा समर्थन को दर्शाते हैं, जो 21 नवंबर, 2023 को अदालत को दिए गए वचन के विपरीत हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर, 2023 के अपने आदेश में जिक्र किया था कि पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने आश्वासन दिया है कि इसके बाद किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा. विशेष रूप से कंपनी के द्वारा निर्मित और विपणन किए जाने वाले उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग के संबंध में ऐसा नहीं किया जाएगा. इसके अलावा, औषधीय प्रभावों का दावा करने वाले या किसी भी चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ कोई भी आकस्मिक बयान किसी भी रूप में मीडिया को जारी नहीं किया जाएगा. सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड इस आश्वासन के प्रति बाध्य है.

इसे भी पढ़ें: हिंडनबर्ग मामले में वित्त मंत्रालय ने सेबी के माथे पर फोड़ा ठीकरा, कहा- माधवी बुच के बाद बोलने को बाकी नहीं