फर्जी-एनकाउंटर-केस:-जिसे-कालिया-बताकर-मारा-वह-जेल-में-बंद,-जो-मरा-उसके-परिवार-की-याचिका-हुई-खारिज,-जानें-मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ग्वालियर Published by: दिनेश शर्मा Updated Thu, 25 Jul 2024 10: 56 PM IST पुलिस ने डकैत कालिया उर्फ बृजकिशोर को मुठभेड़ में मारने का दावा किया, लेकिन वह जेल में बंद था। एक परिवार लगातार तभी से दावा कर रहा है कि कालिया की जगह उनके बेटे खुशाली राम को पुलिस ने मारा है, लेकिन पुलिस उसकी सुनवाई नहीं कर रही। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, ग्वालियर खंडपीठ - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us ग्वालियर हाईकोर्ट ने गुरुवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें फर्जी एनकाउंटर मामले में मारे गए निर्दोष व्यक्ति की मां ने केस की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। याचिका खारिज करने के पीछे लंबा वक्त बीत जाना बताया गया है। वहीं, पुलिस पर लापरवाही को लेकर जुर्माने की राशि बढ़ाकर एक लाख कर दी गई है।  Trending Videos गौरतलब है कि पुलिस ने डकैत कालिया उर्फ बृजकिशोर को मुठभेड़ में मारने का दावा किया, लेकिन वह जेल में बंद है। वहीं, एक परिवार लगातार तभी से दावा कर रहा है कि कालिया की जगह उनके बेटे खुशाली राम को पुलिस ने मारा है, लेकिन पुलिस उनकी सुनवाई नहीं कर रही। वे दोषी पुलिस अफसरों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।  सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी परिजनों द्वारा मामले की जांच सीबीआई या किसी अन्य केंद्रीय जांच एजेंसी से कराने की मांग को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में ले जाया गया, पर देरी से अपील पेश करने की बात कहते हुए खारिज कर दिया गया। हालांकि, पुलिस पर हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा लगाए गए जुर्माने की राशि 20 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी। अब परिजन इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं, केस लड़ते-लड़ते मां जनका केवट की पिछले साल मौत हो गई। क्या है मामला यह मामला ग्वालियर के डबरा में रहने वाले एक परिवार का है, आरोप है कि इस परिवार के तीन युवकों को 22 अप्रैल 2005 को कथित रूप से डबरा पुलिस उठाकर ले गई थी। परिजनों का कहना है कि पूछताछ के बाद में दो युवकों को तो पुलिस ने छोड़ दिया, लेकिन खुशाली राम नामक युवक को नहीं छोड़ा। परिवार वाले अफसरों के चक्कर काटते रहे, लेकिन खुशाली का कोई पता नही चला। 5 फरवरी 2007 को समाचार पत्र के माध्यम से पता चला कि पुलिस ने मुठभेड़ में डकैत कालिया उर्फ बृजकिशोर को मार दिया। अखबार में छपे फोटो देखकर खुशाली राम की मां ने पहचान लिया कि वह उसके बेटे का शव है। उसने इस मामले में पुलिस अधिकारियों से शिकायत की। इसके बाद पुलिस ने उसका नाम खुशाली उर्फ कालिया लिख दिया।  इसके बाद खुशाली के परिजन हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ पहुंचे, जहां सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मामले की उच्चस्तरीय जांच करा के रिपोर्ट देने के आदेश दिए। साथ ही पुलिस पर 20 हजार रुपये की कॉस्ट भी लगाई। सिंगल बैंच के फैसले के खिलाफ खुशाली का परिवार यह कहते हुए डबल बैंच में गया कि मामले की जांच सीआईडी से कराई जा रही है, जो पुलिस का ही एक हिस्सा है। इस मामले में अनेक बड़े पुलिस अफसर जुड़े हैं, इसलिए इसकी निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। इसकी जांच सीबीआई या किसी अन्य निष्पक्ष जांच एजेंसी से करानी चाहिए।  आरटीआई से हुआ खुलासा सुनवाई के दौरान एडवोकेट जितेंद शर्मा ने बताया कि एक आरटीआई में मिली जानकारी में यह खुलासा हुआ है कि जिस डकैत का पुलिस द्वारा एनकाउंटर का दावा किया जा रहा है, वह जिंदा है और झांसी की जेल में बंद है। साथ ही सीआईडी की जांच पर भी सवाल उठाए गए कि उसने सिर्फ एक एफआईआर की जांच करने के बाद ही मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। इसी आधार पर मृतक के परिजनों ने सीबीआई जांच और मुआवजे की मांग करते हुए हाई कोर्ट की सिंगल बैंच में याचिका दायर की, जो खारिज हो गई। 2011 में सिंगल बैंच के फैसले के खिलाफ अपील पेश की गई। एडवोकेट जितेंद्र शर्मा ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में हुए खुलासे के बाद एएसपी ने मुठभेड़ की जांच की। इसमें ये स्पष्ट हुआ कि डकैत कालिया तो जेल में बंद है। मरने वाला कौन, ये अब भी पता नहीं ये स्पष्ट नहीं हो सका कि मृतक कौन है? एडवोकेट शर्मा ने बताया कि मृतक के परिजनों ने जांच को लेकर आवेदन भी दिया था, लेकिन पुलिस ने न तो एफआईआर दर्ज की और ना ही मामले की निष्पक्ष जांच की। कोर्ट ने उनका व शासन का पक्ष सुनने के बाद सुरक्षित रखा फैसला सुना दिया। कोर्ट ने याचिका को विलंब से आने का हवाला देते हुए अस्वीकार कर दिया। हालांकि, कॉस्ट की राशि पांच गुना बढ़ा दी। पीड़ित पक्ष के वकील जितेंद शर्मा का कहना है कि उनका पक्षकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है, क्योंकि वह निर्दोष को मुठभेड़ में मारने वाले अधिकारियों को दंडित कराना चाहता है, क्योंकि यह स्पष्ट हो गया है कि जिस कालिया को मारा गया वह जीवित है। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ग्वालियर Published by: दिनेश शर्मा Updated Thu, 25 Jul 2024 10: 56 PM IST

पुलिस ने डकैत कालिया उर्फ बृजकिशोर को मुठभेड़ में मारने का दावा किया, लेकिन वह जेल में बंद था। एक परिवार लगातार तभी से दावा कर रहा है कि कालिया की जगह उनके बेटे खुशाली राम को पुलिस ने मारा है, लेकिन पुलिस उसकी सुनवाई नहीं कर रही। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, ग्वालियर खंडपीठ – फोटो : सोशल मीडिया

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ग्वालियर हाईकोर्ट ने गुरुवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें फर्जी एनकाउंटर मामले में मारे गए निर्दोष व्यक्ति की मां ने केस की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। याचिका खारिज करने के पीछे लंबा वक्त बीत जाना बताया गया है। वहीं, पुलिस पर लापरवाही को लेकर जुर्माने की राशि बढ़ाकर एक लाख कर दी गई है। 

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गौरतलब है कि पुलिस ने डकैत कालिया उर्फ बृजकिशोर को मुठभेड़ में मारने का दावा किया, लेकिन वह जेल में बंद है। वहीं, एक परिवार लगातार तभी से दावा कर रहा है कि कालिया की जगह उनके बेटे खुशाली राम को पुलिस ने मारा है, लेकिन पुलिस उनकी सुनवाई नहीं कर रही। वे दोषी पुलिस अफसरों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। 

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी
परिजनों द्वारा मामले की जांच सीबीआई या किसी अन्य केंद्रीय जांच एजेंसी से कराने की मांग को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में ले जाया गया, पर देरी से अपील पेश करने की बात कहते हुए खारिज कर दिया गया। हालांकि, पुलिस पर हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा लगाए गए जुर्माने की राशि 20 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी। अब परिजन इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं, केस लड़ते-लड़ते मां जनका केवट की पिछले साल मौत हो गई।

क्या है मामला
यह मामला ग्वालियर के डबरा में रहने वाले एक परिवार का है, आरोप है कि इस परिवार के तीन युवकों को 22 अप्रैल 2005 को कथित रूप से डबरा पुलिस उठाकर ले गई थी। परिजनों का कहना है कि पूछताछ के बाद में दो युवकों को तो पुलिस ने छोड़ दिया, लेकिन खुशाली राम नामक युवक को नहीं छोड़ा। परिवार वाले अफसरों के चक्कर काटते रहे, लेकिन खुशाली का कोई पता नही चला। 5 फरवरी 2007 को समाचार पत्र के माध्यम से पता चला कि पुलिस ने मुठभेड़ में डकैत कालिया उर्फ बृजकिशोर को मार दिया। अखबार में छपे फोटो देखकर खुशाली राम की मां ने पहचान लिया कि वह उसके बेटे का शव है। उसने इस मामले में पुलिस अधिकारियों से शिकायत की। इसके बाद पुलिस ने उसका नाम खुशाली उर्फ कालिया लिख दिया। 

इसके बाद खुशाली के परिजन हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ पहुंचे, जहां सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मामले की उच्चस्तरीय जांच करा के रिपोर्ट देने के आदेश दिए। साथ ही पुलिस पर 20 हजार रुपये की कॉस्ट भी लगाई। सिंगल बैंच के फैसले के खिलाफ खुशाली का परिवार यह कहते हुए डबल बैंच में गया कि मामले की जांच सीआईडी से कराई जा रही है, जो पुलिस का ही एक हिस्सा है। इस मामले में अनेक बड़े पुलिस अफसर जुड़े हैं, इसलिए इसकी निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। इसकी जांच सीबीआई या किसी अन्य निष्पक्ष जांच एजेंसी से करानी चाहिए। 

आरटीआई से हुआ खुलासा
सुनवाई के दौरान एडवोकेट जितेंद शर्मा ने बताया कि एक आरटीआई में मिली जानकारी में यह खुलासा हुआ है कि जिस डकैत का पुलिस द्वारा एनकाउंटर का दावा किया जा रहा है, वह जिंदा है और झांसी की जेल में बंद है। साथ ही सीआईडी की जांच पर भी सवाल उठाए गए कि उसने सिर्फ एक एफआईआर की जांच करने के बाद ही मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। इसी आधार पर मृतक के परिजनों ने सीबीआई जांच और मुआवजे की मांग करते हुए हाई कोर्ट की सिंगल बैंच में याचिका दायर की, जो खारिज हो गई। 2011 में सिंगल बैंच के फैसले के खिलाफ अपील पेश की गई। एडवोकेट जितेंद्र शर्मा ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में हुए खुलासे के बाद एएसपी ने मुठभेड़ की जांच की। इसमें ये स्पष्ट हुआ कि डकैत कालिया तो जेल में बंद है।

मरने वाला कौन, ये अब भी पता नहीं
ये स्पष्ट नहीं हो सका कि मृतक कौन है? एडवोकेट शर्मा ने बताया कि मृतक के परिजनों ने जांच को लेकर आवेदन भी दिया था, लेकिन पुलिस ने न तो एफआईआर दर्ज की और ना ही मामले की निष्पक्ष जांच की। कोर्ट ने उनका व शासन का पक्ष सुनने के बाद सुरक्षित रखा फैसला सुना दिया। कोर्ट ने याचिका को विलंब से आने का हवाला देते हुए अस्वीकार कर दिया। हालांकि, कॉस्ट की राशि पांच गुना बढ़ा दी। पीड़ित पक्ष के वकील जितेंद शर्मा का कहना है कि उनका पक्षकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है, क्योंकि वह निर्दोष को मुठभेड़ में मारने वाले अधिकारियों को दंडित कराना चाहता है, क्योंकि यह स्पष्ट हो गया है कि जिस कालिया को मारा गया वह जीवित है।

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