फर्जीवाड़ा:-पैतृक-संपत्ति-में-बंटवारे-के-दौरान-अन्य-लोगों-के-नाम-कर-दी-जमीन,-पटवारी-सहित-छह-लोगों-पर-एफआईआर
फ्रॉड केस - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us पैतृक कृषि भूमि का फौती नामांतरण व बटांकन होने के बाद पटवारी ने अलग-अलग भू- स्वामियों की 45 एकड़ जमीन दूसरे पांच लोगों के नाम दर्ज कर दी। जब फर्जी भू-स्वामी ने नामांतरण कराने आवेदन दिया, तब मूल भू-स्वामी के मोबाइल पर राजस्व विभाग का संदेश आया तब उन्होंने तहसील कार्यालय में इसकी सूचना दी। तहसीलदार ने भूमि के दस्तावेजों की जांच की तो फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। इछावर तहसीलदार ने पटवारी सहित छह लोगों पर थाने पहुंचकर फर्जीवाड़ा व विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया।  जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 से 2019 के बीच हल्का पटवारी अधिकांश शर्मा ने खजुरिया घेघी के राजस्व अभिलेखों में छेड़छाड़ कर रिक्त खसरा नंबरों में नए नाम जोड़कर पांच लोगों को फर्जी तरीके से भूमि स्वामी बना दिया। इन फर्जी भूमि स्वामियों ने उक्त भूमि राजस्व अभिलेखों में बताकर कई शासकीय व अशासकीय बैंकों से ऋण भी ले लिया, वहीं एक व्यक्ति ने नामांतरण के लिए आवेदन दिया तो चैन सिंह बाबूलाल मेवाड़ा मूल जमीन मालिक के पास मैसेज आ गया, जिसके बाद रिकार्ड निकलवाया तो पैतृक भूमि में किसी अन्य व्यक्ति का भी नाम जुड़ा हुआ था। मूल नंबर बिना नाम लिखे खाली छोड़ दिए गए वर्तमान कंप्यूटरकृत राजस्व प्रणाली के पहले राजस्व रिकॉर्ड हाथ से लिखे जाते थे, जिसमें पैतृक भूमि से हस्तांतरित हुई पीढ़ी दर पीढ़ी भूमि खसरा नंबरों में आगे बढ़ती चली जाती थी। जैसे यदि रामलाल के नाम से भूमि खसरा 858 नंबर है, तो उसके बेटे श्यामलाल के नाम पर भूमि खसरा नंबर 858/1 होगा और जब श्यामलाल के पुत्र के नाम पर यह हस्तांतरित होगी तो खसरा नंबर 858/1/1 हो जाएगा, लेकिन जब यह हस्तलिखित राजस्व रिकॉर्ड को कंप्यूटर पर चढ़ाया गया तो मूल नंबर बिना नाम लिखे खाली छोड़ दिए गए। पटवारी अधिकांश शर्मा ने इसी का फायदा उठाया और इन मूल नंबरों पर लेनदेन कर पांच लोगों के नाम जोड़कर इन्हें फर्जी तरीके से दूसरे की जमीन का भूमि स्वामी बना दिया। पटवारी कैसे जोड़ सकता है नाम  राजस्व मामलों से संबंधित जानकारों का कहना है कि राजस्व अभिलेखों में अंतिम नई प्रविष्टि या तो तहसीलदार क्रमांक से पटवारी कर सकता है या फिर तहसीलदार स्वयं अपनी आईडी से कर सकता है। इस मामले की गंभीरता से जांच की जाए तो पटवारी के अलावा भी कई जिम्मेदारों की भूमिका इस मामले में संदिग्ध दिख रही है। इन लोगों के विरुद्ध दर्ज हुई एफआईआर तहसीलदार ने जिन लोगों पर एफआइआर दर्ज कराई है, उनमें पटवारी अधिकांश शर्मा, दिलीप सिंह जाट पिता भीमसिंह जाट निवासी बड़झिरी आष्टा, इमाम खां पिता शेर खां निवासी बड़झिरी आष्टा, अनार सिंह जाट पिता करण सिंह जाट निवासी बड़झिरी आष्टा, करामत खां पिता शेर खां निवासी बड़झिरी आष्टा, शंकर लाल पिता घासीलाल जाति कलाल के नाम शामिल हैं। इस संबंध में इछावर एसडीएम जमील खान का कहना है कि पटवारी अधिकांश शर्मा ने इछावर नगर में फर्जी पट्टे बांटे हैं और अन्य जगह से भी फर्जीवाड़े के मामले सामने आ रहे हैं। हमने जांच कर दोषियों पर एफआईआर दर्ज कराई है। नियम अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।  

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पैतृक कृषि भूमि का फौती नामांतरण व बटांकन होने के बाद पटवारी ने अलग-अलग भू- स्वामियों की 45 एकड़ जमीन दूसरे पांच लोगों के नाम दर्ज कर दी। जब फर्जी भू-स्वामी ने नामांतरण कराने आवेदन दिया, तब मूल भू-स्वामी के मोबाइल पर राजस्व विभाग का संदेश आया तब उन्होंने तहसील कार्यालय में इसकी सूचना दी। तहसीलदार ने भूमि के दस्तावेजों की जांच की तो फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। इछावर तहसीलदार ने पटवारी सहित छह लोगों पर थाने पहुंचकर फर्जीवाड़ा व विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया। 

जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 से 2019 के बीच हल्का पटवारी अधिकांश शर्मा ने खजुरिया घेघी के राजस्व अभिलेखों में छेड़छाड़ कर रिक्त खसरा नंबरों में नए नाम जोड़कर पांच लोगों को फर्जी तरीके से भूमि स्वामी बना दिया। इन फर्जी भूमि स्वामियों ने उक्त भूमि राजस्व अभिलेखों में बताकर कई शासकीय व अशासकीय बैंकों से ऋण भी ले लिया, वहीं एक व्यक्ति ने नामांतरण के लिए आवेदन दिया तो चैन सिंह बाबूलाल मेवाड़ा मूल जमीन मालिक के पास मैसेज आ गया, जिसके बाद रिकार्ड निकलवाया तो पैतृक भूमि में किसी अन्य व्यक्ति का भी नाम जुड़ा हुआ था।

मूल नंबर बिना नाम लिखे खाली छोड़ दिए गए
वर्तमान कंप्यूटरकृत राजस्व प्रणाली के पहले राजस्व रिकॉर्ड हाथ से लिखे जाते थे, जिसमें पैतृक भूमि से हस्तांतरित हुई पीढ़ी दर पीढ़ी भूमि खसरा नंबरों में आगे बढ़ती चली जाती थी। जैसे यदि रामलाल के नाम से भूमि खसरा 858 नंबर है, तो उसके बेटे श्यामलाल के नाम पर भूमि खसरा नंबर 858/1 होगा और जब श्यामलाल के पुत्र के नाम पर यह हस्तांतरित होगी तो खसरा नंबर 858/1/1 हो जाएगा, लेकिन जब यह हस्तलिखित राजस्व रिकॉर्ड को कंप्यूटर पर चढ़ाया गया तो मूल नंबर बिना नाम लिखे खाली छोड़ दिए गए। पटवारी अधिकांश शर्मा ने इसी का फायदा उठाया और इन मूल नंबरों पर लेनदेन कर पांच लोगों के नाम जोड़कर इन्हें फर्जी तरीके से दूसरे की जमीन का भूमि स्वामी बना दिया।

पटवारी कैसे जोड़ सकता है नाम 
राजस्व मामलों से संबंधित जानकारों का कहना है कि राजस्व अभिलेखों में अंतिम नई प्रविष्टि या तो तहसीलदार क्रमांक से पटवारी कर सकता है या फिर तहसीलदार स्वयं अपनी आईडी से कर सकता है। इस मामले की गंभीरता से जांच की जाए तो पटवारी के अलावा भी कई जिम्मेदारों की भूमिका इस मामले में संदिग्ध दिख रही है।

इन लोगों के विरुद्ध दर्ज हुई एफआईआर
तहसीलदार ने जिन लोगों पर एफआइआर दर्ज कराई है, उनमें पटवारी अधिकांश शर्मा, दिलीप सिंह जाट पिता भीमसिंह जाट निवासी बड़झिरी आष्टा, इमाम खां पिता शेर खां निवासी बड़झिरी आष्टा, अनार सिंह जाट पिता करण सिंह जाट निवासी बड़झिरी आष्टा, करामत खां पिता शेर खां निवासी बड़झिरी आष्टा, शंकर लाल पिता घासीलाल जाति कलाल के नाम शामिल हैं।

इस संबंध में इछावर एसडीएम जमील खान का कहना है कि पटवारी अधिकांश शर्मा ने इछावर नगर में फर्जी पट्टे बांटे हैं और अन्य जगह से भी फर्जीवाड़े के मामले सामने आ रहे हैं। हमने जांच कर दोषियों पर एफआईआर दर्ज कराई है। नियम अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
 

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