उन्होंने कहा कि अन्ना द्रमुक सरकार के दौरान विधानसभा द्वारा पारित विधेयक लौटा दिया गया था और तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी ने इसका खुलासा नहीं किया था, इसके बाद विधेयक समाप्त हो गया था. उन्होंने राज्यपाल की हाल की टिप्पणियों के संदर्भ में कहा, ‘‘राष्ट्रपति को केंद्र की सलाह पर विधेयक पर फैसला करना चाहिए. केवल राष्ट्रपति के पास शक्ति है न कि राज्यपाल के पास, उनका काम केवल डाकिये का है, जो हमने भेजा है, उन्हें वह भेजना पड़ेगा.’’
Comments