स्कूल में बैठकर पढ़ रहे बच्चे - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us स्कूल चलें हम...सब पढ़ें-सब बढ़ें और सर्व शिक्षा अभियान जैसे तमाम सरकारी दावों की पोल खोलती तस्वीर प्राथमिक शाला दलदल की है। यहां इलाके के गरीब आदिवासी नन्हे-मुन्ने छात्र जर्जर हो चुके छत के नीचे दहशत के साए में पढ़ने को मजबूर हैं। कहने को तो स्कूल में दो कमरे हैं, लेकिन उन दोनों कमरों की हालत इस बरामदे से भी खराब है, जहां पहली से लेकर पांचवी क्लास के बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जाता है। स्कूल में पदस्थ शिक्षक मोतीलाल तेकाम बताते हैं कि स्कूल भवन की दुर्दशा को लेकर वे साल 2018 से लगातार शिक्षा विभाग के अधिकारीयों को पत्राचार कर रहे हैं। लेकिन अब तक कोई भी जिम्मेदार अधिकारी ने उनकी सुध नहीं ली है। शिक्षक का यह भी कहना है कि स्कूल भवन किसी भी वक्त धराशाई हो सकता है। वहीं, अभिभावकों का कहना है कि जब तक उनके बच्चे स्कूल से लौटकर वापस घर नहीं पहुंच जाते, तब तक डर बना रहता है। लेकिन गांव के आसपास कोई दूसरा स्कूल नहीं होने की वजह से न चाहते हुए भी वे अपने बच्चों को खंडहर हो चुके स्कूल में पढ़ने को भेज देते हैं। जिला शिक्षाधिकारी एस सिंदराम से जब इस मामले को लेकर बात की गई तो साहब पहले तो अंजान बनते हुए नजर आए, फिर जब उन्हें स्कूल की तस्वीरें दिखाई तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। जिला पंचायत के अध्यक्ष ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर स्कूल भवनों के मरम्मत की राशि में भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाते हुए प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। शिक्षा विभाग के रिकार्ड के मुताबिक, डिंडौरी जिले में कुल मिलाकर करीब 1,350 प्राइमरी स्कूल हैं, जिनमें 492 स्कूल भवनों की हालत जर्जर है। वहीं, 529 स्कूल भवनों में मेजर रिपेयर की जरूरत है। लेकिन बजट के अभाव में दिनो दिन स्कूल भवनों की हालत बद से बदतर होते जा रही है। जिले में कहीं झोपड़ी में तो कहीं प्रधानमंत्री आवास में तो कहीं खंडहर हो चुके भवनों में स्कूल का संचालन किया जा रहा है।

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

स्कूल में बैठकर पढ़ रहे बच्चे – फोटो : अमर उजाला

विस्तार Follow Us

स्कूल चलें हम…सब पढ़ें-सब बढ़ें और सर्व शिक्षा अभियान जैसे तमाम सरकारी दावों की पोल खोलती तस्वीर प्राथमिक शाला दलदल की है। यहां इलाके के गरीब आदिवासी नन्हे-मुन्ने छात्र जर्जर हो चुके छत के नीचे दहशत के साए में पढ़ने को मजबूर हैं। कहने को तो स्कूल में दो कमरे हैं, लेकिन उन दोनों कमरों की हालत इस बरामदे से भी खराब है, जहां पहली से लेकर पांचवी क्लास के बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जाता है।

स्कूल में पदस्थ शिक्षक मोतीलाल तेकाम बताते हैं कि स्कूल भवन की दुर्दशा को लेकर वे साल 2018 से लगातार शिक्षा विभाग के अधिकारीयों को पत्राचार कर रहे हैं। लेकिन अब तक कोई भी जिम्मेदार अधिकारी ने उनकी सुध नहीं ली है। शिक्षक का यह भी कहना है कि स्कूल भवन किसी भी वक्त धराशाई हो सकता है। वहीं, अभिभावकों का कहना है कि जब तक उनके बच्चे स्कूल से लौटकर वापस घर नहीं पहुंच जाते, तब तक डर बना रहता है। लेकिन गांव के आसपास कोई दूसरा स्कूल नहीं होने की वजह से न चाहते हुए भी वे अपने बच्चों को खंडहर हो चुके स्कूल में पढ़ने को भेज देते हैं।

जिला शिक्षाधिकारी एस सिंदराम से जब इस मामले को लेकर बात की गई तो साहब पहले तो अंजान बनते हुए नजर आए, फिर जब उन्हें स्कूल की तस्वीरें दिखाई तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। जिला पंचायत के अध्यक्ष ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर स्कूल भवनों के मरम्मत की राशि में भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाते हुए प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है।

शिक्षा विभाग के रिकार्ड के मुताबिक, डिंडौरी जिले में कुल मिलाकर करीब 1,350 प्राइमरी स्कूल हैं, जिनमें 492 स्कूल भवनों की हालत जर्जर है। वहीं, 529 स्कूल भवनों में मेजर रिपेयर की जरूरत है। लेकिन बजट के अभाव में दिनो दिन स्कूल भवनों की हालत बद से बदतर होते जा रही है। जिले में कहीं झोपड़ी में तो कहीं प्रधानमंत्री आवास में तो कहीं खंडहर हो चुके भवनों में स्कूल का संचालन किया जा रहा है।

Posted in MP