चुल्लू-भर-पानी-में-डूबा-रहा-इंदौर,-आप-करते-रहिए-मीटिंग-मीटिंग
इंदौर में एक साथ दस से ज्यादा ब्रिज बन रहे है। उन जगहों पर शेड लगा कर पानी रोका गया। खजराना, सत्यसांई सर्कल का जल जमाव इसका उदाहरण है। बची खुची कसर मेट्रो के पिलरों के आसपास बन रहे डिवाइडर पूरी कर रहे है। विजय नगर थाना इसलिए डूबा। इंदौर शहर के बारिश में ये हाल - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us तीन इंच बारिश कोई ज्यादा नहीं है,लेकिन उसमे इंदौर का डूबना ज्यादा चौंका रहा है।इंदौर ने इससे ज्यादा बारिश झेली है,लेकिन इस बार इंदौर अनुभवहीन अफसर नए नेताओं के हवाले है। उनके कारण इंदौर चुल्लू भर पानी में डूबने को मजबूर हो गया। पिछला बार सफाई के सातवे ' गांधीजी ' (स्वच्छता रैंकिंग पुरस्कार)जैसे तैसे मिल गए, इस बार तो वो भी  मिलना तय नहीं है, लेकिन इंदौर को ' गांधीसागर डेम' कौन बना रहा है? जो नेता जीत गए, वो घर से बाहर नहीं निकलते। सड़कों पर बारिश और जाम से जूझने के लिए आम तो है ही। वो जाम में कुडकुडाएगा,घर जाकर व्हाट्सएप चलाएगा और ‘कल तो बच्चों की छुट्टी है’ कि खुशखबर सुनाकर सो जाएगा। शुक्रवार को विजय नगर चौराहे पर ठसाठस जाम था, लेकिन न तो डांसिंग काॅर्प रणजी वहां डांस करते करते ट्रैैफिक संभालते दिखाई दिया और न सुमंत रील बना रहा था। कारें, एम्बुलैंस, दोपहिया लहरों के बीच अपनी शर्तों पर जाम में फंसे थे। ये आश्चर्य की बात है कि बारिश के मौसम के बीच निगम के युवा अफसर विजयनगर चौपाटी हटाने चले जाते है। कर्मचारी युवती का थप्पड़ खाकर लौटते है। मेयर कंट्रोल रूम जाकर बैठ जाते है, नगरीय प्रशासन मंत्री भोपाल से नागपुर की ट्रेन में यात्रा में अपना स्कैच बनवाते है, तो फिर इंदौर को कौन चलाएगा? इंदौर में एक साथ दस से ज्यादा ब्रिज बन रहे है। उन जगहों पर शेड लगा कर पानी रोका गया। खजराना, सत्यसांई सर्कल का जल जमाव इसका उदाहरण है। बची खुची कसर मेट्रो के पिलरों के आसपास बन रहे डिवाइडर पूरी कर रहे है। विजय नगर थाना इसलिए डूबा। किसी ने ब्रिज बनाने वाले विभागों से तालमेल नहीं बैठाया। सड़कों पर मोटे मोटे डिवाइडर बना दिए, जो पानी रोक रहे है। नालों की इस बार सफाई ठीक से नहीं हो पाई। कान्ह नदी ब्रिज से पांच फुट नीचे बह रही थी , लेकिन रामबाग ब्रिज पर डेढ़ फुट पानी भरा था,क्योकि ब्रिज की जल निकासी की तरफ ध्यान नहीं दिया। नगर निगम के अफसर बरसते पानी में शहर को देखने निकले तो उन्हें यह सब पता चले, लेकिन वे तो पंचायत के सचिव जी ठहरे, कीजिए मीटिंग मीटिंग,खेलिए मीटिंग मीटिंग, करते रहिए मीटिंग मीटिंग...। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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इंदौर में एक साथ दस से ज्यादा ब्रिज बन रहे है। उन जगहों पर शेड लगा कर पानी रोका गया। खजराना, सत्यसांई सर्कल का जल जमाव इसका उदाहरण है। बची खुची कसर मेट्रो के पिलरों के आसपास बन रहे डिवाइडर पूरी कर रहे है। विजय नगर थाना इसलिए डूबा। इंदौर शहर के बारिश में ये हाल – फोटो : अमर उजाला

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तीन इंच बारिश कोई ज्यादा नहीं है,लेकिन उसमे इंदौर का डूबना ज्यादा चौंका रहा है।इंदौर ने इससे ज्यादा बारिश झेली है,लेकिन इस बार इंदौर अनुभवहीन अफसर नए नेताओं के हवाले है। उनके कारण इंदौर चुल्लू भर पानी में डूबने को मजबूर हो गया। पिछला बार सफाई के सातवे ‘ गांधीजी ‘ (स्वच्छता रैंकिंग पुरस्कार)जैसे तैसे मिल गए, इस बार तो वो भी  मिलना तय नहीं है, लेकिन इंदौर को ‘ गांधीसागर डेम’ कौन बना रहा है?

जो नेता जीत गए, वो घर से बाहर नहीं निकलते। सड़कों पर बारिश और जाम से जूझने के लिए आम तो है ही। वो जाम में कुडकुडाएगा,घर जाकर व्हाट्सएप चलाएगा और ‘कल तो बच्चों की छुट्टी है’ कि खुशखबर सुनाकर सो जाएगा। शुक्रवार को विजय नगर चौराहे पर ठसाठस जाम था, लेकिन न तो डांसिंग काॅर्प रणजी वहां डांस करते करते ट्रैैफिक संभालते दिखाई दिया और न सुमंत रील बना रहा था। कारें, एम्बुलैंस, दोपहिया लहरों के बीच अपनी शर्तों पर जाम में फंसे थे।

ये आश्चर्य की बात है कि बारिश के मौसम के बीच निगम के युवा अफसर विजयनगर चौपाटी हटाने चले जाते है। कर्मचारी युवती का थप्पड़ खाकर लौटते है।

मेयर कंट्रोल रूम जाकर बैठ जाते है, नगरीय प्रशासन मंत्री भोपाल से नागपुर की ट्रेन में यात्रा में अपना स्कैच बनवाते है,

तो फिर इंदौर को कौन चलाएगा?

इंदौर में एक साथ दस से ज्यादा ब्रिज बन रहे है। उन जगहों पर शेड लगा कर पानी रोका गया। खजराना, सत्यसांई सर्कल का जल जमाव इसका उदाहरण है। बची खुची कसर मेट्रो के पिलरों के आसपास बन रहे डिवाइडर पूरी कर रहे है। विजय नगर थाना इसलिए डूबा।

किसी ने ब्रिज बनाने वाले विभागों से तालमेल नहीं बैठाया। सड़कों पर मोटे मोटे डिवाइडर बना दिए, जो पानी रोक रहे है। नालों की इस बार सफाई ठीक से नहीं हो पाई। कान्ह नदी ब्रिज से पांच फुट नीचे बह रही थी , लेकिन रामबाग ब्रिज पर डेढ़ फुट पानी भरा था,क्योकि ब्रिज की जल निकासी की तरफ ध्यान नहीं दिया।

नगर निगम के अफसर बरसते पानी में शहर को देखने निकले तो उन्हें यह सब पता चले, लेकिन वे तो पंचायत के सचिव जी ठहरे, कीजिए मीटिंग मीटिंग,खेलिए मीटिंग मीटिंग, करते रहिए मीटिंग मीटिंग…।

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