कृषि-उपज-बढ़ाने-पर-पीएम-मोदी-का-जोर,-जारी-की-जलवायु-अनुकूल-बीजों-की-109-किस्में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कृषि और बागवानी फसलों की उच्च उपज वाली, जलवायु अनुकूल और जैव-सुदृढ़ीकृत बीजों की 109 किस्मों को जारी किया. इस पहल का उद्देश्य कृषि उत्पादकता और किसानों की आय को बढ़ाना है. इन किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने विकसित किया है और ये कुल 61 फसलों से संबंधित हैं. इनमें 34 खेतों में लगाई जाने वाली और 27 बागवानी की फसलें हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के पूसा परिसर में तीन प्रायोगिक कृषि भूखंडों पर बीजों को पेश किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने किसानों और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत भी की. खेती की फसलों में अनाज, बाजरा, चारा, तिलहन, दलहन, गन्ना, कपास और फाइबर फसलें शामिल हैं. वहीं बागवानी की फसलों में फलों, सब्जियों, मसालों, फूलों और औषधीय पौधों की नई किस्में शामिल हैं. Read Also : PM Modi in Wayanad: पीएम मोदी ने वायनाड का किया हवाई सर्वेक्षण, हादसे में बचे लोगों से करेंगे मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी वर्ष 2014 से ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए टिकाऊ खेती के तरीकों और जलवायु अनुकूल तरीकों की वकालत करते रहे हैं. उन्होंने लगातार ‘जैव-सुदृढ़’ किस्मों को बढ़ावा देने पर जोर दिया है, और कुपोषण से निपटने के लिए उन्हें मध्याह्न भोजन योजना और आंगनवाड़ी सेवाओं जैसी सरकारी पहलों से जोड़ा है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कृषि और बागवानी फसलों की उच्च उपज वाली, जलवायु अनुकूल और जैव-सुदृढ़ीकृत बीजों की 109 किस्मों को जारी किया. इस पहल का उद्देश्य कृषि उत्पादकता और किसानों की आय को बढ़ाना है. इन किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने विकसित किया है और ये कुल 61 फसलों से संबंधित हैं. इनमें 34 खेतों में लगाई जाने वाली और 27 बागवानी की फसलें हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के पूसा परिसर में तीन प्रायोगिक कृषि भूखंडों पर बीजों को पेश किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने किसानों और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत भी की. खेती की फसलों में अनाज, बाजरा, चारा, तिलहन, दलहन, गन्ना, कपास और फाइबर फसलें शामिल हैं. वहीं बागवानी की फसलों में फलों, सब्जियों, मसालों, फूलों और औषधीय पौधों की नई किस्में शामिल हैं.

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प्रधानमंत्री मोदी वर्ष 2014 से ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए टिकाऊ खेती के तरीकों और जलवायु अनुकूल तरीकों की वकालत करते रहे हैं. उन्होंने लगातार ‘जैव-सुदृढ़’ किस्मों को बढ़ावा देने पर जोर दिया है, और कुपोषण से निपटने के लिए उन्हें मध्याह्न भोजन योजना और आंगनवाड़ी सेवाओं जैसी सरकारी पहलों से जोड़ा है.