एम्स-के-डॉक्टरों-ने-रचा-इतिहास,-12-घंटे-की-सर्जरी-के-बाद-छाती-और-पेट-से-जुड़ी-जुड़वां-बच्चियों-को-किया-अलग
डॉक्टरों ने बताया, बच्चियों को अलग करना कितनी मुश्किल थी बाल चिकित्सा सर्जरी के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ प्रबुद्ध गोयल ने कहा, यह विसंगति अजीब थी जहां पसलियां, यकृत, डायफ्रॉम आदि आपस में मिले हुए थे. दोनों के हृदय एक दूसरे के बिल्कुल करीब थे यानी करीब-करीब स्पर्श कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इन बच्चियों का 11 महीने की उम्र में ऑपरेशन किया गया जब वे सर्जरी की क्रिया को बर्दाश्त करने की स्थिति में पहुंच गयी थीं. डॉ बाजपेयी ने कहा कि यह सर्जरी एम्स के नये मातृ एवं बाल खंड में ‘जनरल एनीस्थेसिया’ के प्रभाव में किया गया तथा सर्जरी में नौ घंटे लगे एवं यदि सर्जरी पूर्व एवं पश्चात एनीस्थेसिया की अवधि को जोड़ दिया जाए तो यह करीब साढ़े बारह घंटे की अवधि है.

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डॉक्टरों ने बताया, बच्चियों को अलग करना कितनी मुश्किल थी

बाल चिकित्सा सर्जरी के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ प्रबुद्ध गोयल ने कहा, यह विसंगति अजीब थी जहां पसलियां, यकृत, डायफ्रॉम आदि आपस में मिले हुए थे. दोनों के हृदय एक दूसरे के बिल्कुल करीब थे यानी करीब-करीब स्पर्श कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इन बच्चियों का 11 महीने की उम्र में ऑपरेशन किया गया जब वे सर्जरी की क्रिया को बर्दाश्त करने की स्थिति में पहुंच गयी थीं. डॉ बाजपेयी ने कहा कि यह सर्जरी एम्स के नये मातृ एवं बाल खंड में ‘जनरल एनीस्थेसिया’ के प्रभाव में किया गया तथा सर्जरी में नौ घंटे लगे एवं यदि सर्जरी पूर्व एवं पश्चात एनीस्थेसिया की अवधि को जोड़ दिया जाए तो यह करीब साढ़े बारह घंटे की अवधि है.