अचानक-कौन-सा-कागज-लेकर-नीति-आयोग-की-बैठक-में-शामिल-होने-गए-सीएम-हेमंत-सोरेन
Niti Ayog:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 27 जुलाई को हो रही नीति आयोग की बैठक का इंडिया गठबंधन ने बहिष्कार का एलान कर रखा है. साफ घोषणा है कि इंडिया गठबंधन का कोई भी मुख्यमंत्री इस बैठक में शामिल नहीं होगा.  इसके बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार की दोपहर बाद अचानक नीति आयोग की बैठक में भाग लेने का फैसला किया. हेमंत सोरेन शुक्रवार की देर शाम नीति आयोग की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना भी हो गए. मुख्यमंत्री के साथ झारखंड के मुख्य सचिव एल ख्यांगते और वित्त सचिव प्रशांत कुमार भी रवाना हुए.  Niti Ayog:दोपहर बाद दिया खास कागज तैयार करने का निर्देश नीति आयोग की बैठक में भाग लेना तय हो जाने के बाद मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के सामने झारखंड की मांग जोरदार तरीके से उठाने के लिए कुछ खास आंकड़ों को तैयार करने का निर्देश दिया. इसके बाद केंद्र की ओर से झारखंड के साथ हो रही नाइंसाफी को दिखाने वाले कुछ खास आंकड़ों की फेहरिस्त तैयार की गई. इनमें साफ तौर पर दिखाया गया कि केंद्र किस तरह से झारखंड की हकमारी कर रहा है. 25 जुलाई को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दी ताकत नीति आयोग की बैठक के बहिष्कार या भागीदारी पर फैसले को लेकर अंतिम निर्णय तक पहुंचने में 25 जुलाई को आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने ताकत दी. इस फैसले में साफ कहा गया है कि खनिजों पर राज्यों का केवल रॉयल्टी का ही हक नहीं है, बल्कि कर लगाने का भी अधिकार है. हेमंत सोरेन सरकार खनिजों से मिलने वाले लाभ में झारखंड को उपेक्षित करने का आरोप केंद्र सरकार पर लगातार लगाती रही है. दो दिन बाद ही हो रही नीति आयोग की बैठक में झारखंड को जोरदार तरीके से यह मामला उठाने का मौका मिल रहा है. विधानसभा चुनाव की दहलीज पर इस मामले में काफी सियासी संभावना भी है.  केंद्रीय अनुदान पांच साल में 12 से घटकर नौ हजार करोड़ क्यों हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद भारत सरकार केंद्रीय योजनाओं के लिए मिलने वाले अनुदान में लगातार कमी कर रही है. 2019-20 के वित्तीय वर्ष में भारत सरकार की ओर से 12 हजार करोड़ केंद्रीय अनुदान के मद में दिया गया था. साल दर साल घटते हुए यह 2023-24 में यह 9100 करोड़ पर आ गया है. मुख्यमंत्री झारखंड के साथ हो रहे इस अन्याय को दूर करने की फरियाद भी करेंगे.  योजनाओं में केंद्र के अचानक हाथ खींचने से संकट में झारखंड मुख्यमंत्री कई योजनाओं से केंद्र के अचानक हाथ खींचने का सवाल भी प्रधानमंत्री की मौजूदगी में नीति आयोग के सामने उठाएंगे. केंद्र ने 2024-25 के बाद हर घर जल योजना का अनुदान बंद करने की घोषणा की है. इस कारण झारखंड पर सालाना 6500 करोड़ का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. इससे झारखंड सरकार को दूसरी महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाओं में कटौती करनी पड़ सकती है. आंगनबाड़ी की एक योजना में भी ऐसा ही हुआ है.  खनिजों का बकाया एक लाख 32 हजार करोड़ कब मिलेगा  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खनिजों की रॉयल्टी और सरफेस रेंट के बकाये एक लाख 32 हजार करोड़ का मुद्दा नीति आयोग के सामने फिर से उठाएंगे. यह राशि झारखंड को देने के लिए टाइमलाइन बताने का आग्रह करेंगे.  ALSO READ: EXCLUSIVE: झारखंड में 10 कंपनियां करेंगी 13 हजार करोड़ का निवेश, 20 हजार को रोजगार  ALSO READ: शनिवार को नीति आयोग की बैठक, I.N.D.I.A Bloc ने किया बहिष्कार का ऐलान, सीएम ममता बनर्जी होंगी शामिल

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Niti Ayog:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 27 जुलाई को हो रही नीति आयोग की बैठक का इंडिया गठबंधन ने बहिष्कार का एलान कर रखा है. साफ घोषणा है कि इंडिया गठबंधन का कोई भी मुख्यमंत्री इस बैठक में शामिल नहीं होगा. 

इसके बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार की दोपहर बाद अचानक नीति आयोग की बैठक में भाग लेने का फैसला किया. हेमंत सोरेन शुक्रवार की देर शाम नीति आयोग की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना भी हो गए. मुख्यमंत्री के साथ झारखंड के मुख्य सचिव एल ख्यांगते और वित्त सचिव प्रशांत कुमार भी रवाना हुए. 

Niti Ayog:दोपहर बाद दिया खास कागज तैयार करने का निर्देश नीति आयोग की बैठक में भाग लेना तय हो जाने के बाद मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के सामने झारखंड की मांग जोरदार तरीके से उठाने के लिए कुछ खास आंकड़ों को तैयार करने का निर्देश दिया. इसके बाद केंद्र की ओर से झारखंड के साथ हो रही नाइंसाफी को दिखाने वाले कुछ खास आंकड़ों की फेहरिस्त तैयार की गई. इनमें साफ तौर पर दिखाया गया कि केंद्र किस तरह से झारखंड की हकमारी कर रहा है.

25 जुलाई को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दी ताकत नीति आयोग की बैठक के बहिष्कार या भागीदारी पर फैसले को लेकर अंतिम निर्णय तक पहुंचने में 25 जुलाई को आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने ताकत दी. इस फैसले में साफ कहा गया है कि खनिजों पर राज्यों का केवल रॉयल्टी का ही हक नहीं है, बल्कि कर लगाने का भी अधिकार है. हेमंत सोरेन सरकार खनिजों से मिलने वाले लाभ में झारखंड को उपेक्षित करने का आरोप केंद्र सरकार पर लगातार लगाती रही है. दो दिन बाद ही हो रही नीति आयोग की बैठक में झारखंड को जोरदार तरीके से यह मामला उठाने का मौका मिल रहा है. विधानसभा चुनाव की दहलीज पर इस मामले में काफी सियासी संभावना भी है. 

केंद्रीय अनुदान पांच साल में 12 से घटकर नौ हजार करोड़ क्यों हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद भारत सरकार केंद्रीय योजनाओं के लिए मिलने वाले अनुदान में लगातार कमी कर रही है. 2019-20 के वित्तीय वर्ष में भारत सरकार की ओर से 12 हजार करोड़ केंद्रीय अनुदान के मद में दिया गया था. साल दर साल घटते हुए यह 2023-24 में यह 9100 करोड़ पर आ गया है. मुख्यमंत्री झारखंड के साथ हो रहे इस अन्याय को दूर करने की फरियाद भी करेंगे. 

योजनाओं में केंद्र के अचानक हाथ खींचने से संकट में झारखंड मुख्यमंत्री कई योजनाओं से केंद्र के अचानक हाथ खींचने का सवाल भी प्रधानमंत्री की मौजूदगी में नीति आयोग के सामने उठाएंगे. केंद्र ने 2024-25 के बाद हर घर जल योजना का अनुदान बंद करने की घोषणा की है. इस कारण झारखंड पर सालाना 6500 करोड़ का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. इससे झारखंड सरकार को दूसरी महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाओं में कटौती करनी पड़ सकती है. आंगनबाड़ी की एक योजना में भी ऐसा ही हुआ है. 

खनिजों का बकाया एक लाख 32 हजार करोड़ कब मिलेगा  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खनिजों की रॉयल्टी और सरफेस रेंट के बकाये एक लाख 32 हजार करोड़ का मुद्दा नीति आयोग के सामने फिर से उठाएंगे. यह राशि झारखंड को देने के लिए टाइमलाइन बताने का आग्रह करेंगे. 

ALSO READ: EXCLUSIVE: झारखंड में 10 कंपनियां करेंगी 13 हजार करोड़ का निवेश, 20 हजार को रोजगार 

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